Mahakumbh Mein Bhagdad Ki Ghatna: फिर याद आई पुरानी तस्वीर, जब भगदड़ ने ले ली थी , सैंकड़ों की जानें और हुए हजारों लोग घायल

Mahakumbh Mein Bhagdad Ki Ghatna: महाकुम्भ में मची भगदड़ के बाद हर किसी के ज़हन में यही सवाल आ अहा है कि सुरक्षा के इतने पुख्ता इंतज़ाम के बाद भी ये कैसे हुआ। लेकिन ये पहली बार नहीं है जब कुम्भ में ऐसा कुछ हुआ है।;

Report :  Akshita Pidiha
Update:2025-01-30 08:15 IST

Mahakumbh Mein Bhagdad Ki Ghatna (Image Credit-Social Media)

Mahakumbh Mein Bhagdad Ki Ghatna: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम तट पर दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला, महाकुंभ, चल रहा है। यह भव्य आयोजन 13 जनवरी, 2025 से शुरू हुआ है और 26 फरवरी, 2025 तक चलेगा। गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम में पवित्र स्नान करने के लिए करोड़ों श्रद्धालु यहाँ पहुंच रहे हैं। महाकुंभ में साधु-संतों और दुनियाभर से आए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। इस वर्ष, महाकुंभ में करीब 45 करोड़ लोगों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।

संगम नोज पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़

मौनी अमावस्या के मौके पर बुधवार को संगम नोज पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ स्नान के लिए उमड़ पड़ी। अत्यधिक भीड़ के कारण देर रात भगदड़ मच गई, जिसमें 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। 

महाकुंभ और अर्धकुंभ में हुए बड़े हादसे और भगदड़ का इतिहास

1. महाकुंभ 1954, प्रयागराज

Mahakumbh Stampede 2025 (Image Credit-Social Media)

3 फरवरी, 1954 को स्वतंत्र भारत का पहला कुंभ मेला होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए।अचानक भीड़ बढ़ने और अव्यवस्थित पुलिस प्रबंधन के कारण भगदड़ मच गई।कई श्रद्धालु कुचले गए और बड़ी संख्या में लोग गंगा नदी में गिर गए।इसे कुंभ इतिहास की सबसे भीषण भगदड़ माना जाता है।इसमे लगभग 800 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। VIP मूवमेंट के कारण आम श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने की कोशिश में पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे भगदड़ मच गई।राहत कार्य देर से शुरू हुआ, जिससे और अधिक लोगों की जान गई।इसमे 2000 से अधिक लोग घायल हुए थे। भीड़ नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल अपर्याप्त था।

2. महाकुंभ 1986, हरिद्वार

Mahakumbh Stampede 2025 (Image Credit-Social Media)

1986 के हरिद्वार महाकुंभ के दौरान एक और बड़ी भगदड़ हुई, जिसमें करीब 200 लोगों की मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ जब तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह और कई अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री संगम स्नान के लिए पहुंचे। सुरक्षा बलों ने आम श्रद्धालुओं को किनारे से दूर कर दिया, जिससे गुस्साई भीड़ बेकाबू हो गई। लोगों ने जबरन बैरिकेड तोड़ दिए और अफरा-तफरी में बड़ी संख्या में लोग कुचले गए। यह घटना प्रशासन की लापरवाही का बड़ा उदाहरण बनी, जिसके बाद वीआईपी मूवमेंट को नियंत्रित करने के नए नियम बनाए गए।

3. अर्धकुंभ 2003, हरिद्वार

Mahakumbh Stampede 2025 (Image Credit-Social Media)

2003 में महाराष्ट्र के नासिक में आयोजित महाकुंभ के दौरान 27 अगस्त को एक बड़ा हादसा हुआ। गोदावरी नदी में स्नान के लिए उमड़ी लाखों की भीड़ अचानक बेकाबू हो गई, जिससे भगदड़ मच गई। इस घटना में 39 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक श्रद्धालु घायल हो गए। विशेषज्ञों के मुताबिक, भीड़ को काबू करने में नाकामी और संकीर्ण रास्तों की वजह से यह हादसा हुआ था। इसके बाद प्रशासन ने कुंभ मेले के दौरान एंट्री और एग्जिट प्वाइंट्स को बेहतर करने पर ध्यान दिया, लेकिन हादसे पूरी तरह से रुक नहीं पाए।

4. महाकुंभ 2010, हरिद्वार

Mahakumbh Stampede 2025 (Image Credit-Social Media)

स्नान घाटों पर सुरक्षा प्रबंध पर्याप्त नहीं थे।स्नान के दौरान पुलिस ने भीड़ को पीछे हटाने की कोशिश की, जिससे भगदड़ मच गई।प्रशासन हादसे के बाद भी सही राहत अभियान नहीं चला पाया।श्रद्धालुओं के बीच आपसी धक्का-मुक्की और घबराहट के कारण भगदड़ मची।जिसमें अपार भीड़ और प्रशासनिक लापरवाही देखी गई। जिसमे मरने वालों की संख्या 07 थी।

5. महाकुंभ 2013, प्रयागराज

Mahakumbh Stampede 2025 (Image Credit-Social Media)

10 फरवरी, 2013 (मौनी अमावस्या का दिन)को इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर अत्यधिक भीड़ इकट्ठा हो गई।प्लेटफॉर्म पर अधिक संख्या में श्रद्धालुओं के आने से अचानक अफवाह फैली कि पुल गिरने वाला है, जिससे भगदड़ मच गई।प्लेटफॉर्म पर अफवाह फैलने से श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई।स्टेशन पर जगह कम होने के कारण लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे।प्रशासन द्वारा तत्परता न दिखाने के कारण स्थिति और बिगड़ गई।जिसमें मृतकों की संख्या 36 थी। हादसे के बाद मेडिकल सहायता देर से पहुंची। प्रशासन ने घटना की ज़िम्मेदारी रेलवे पर डाली, जबकि रेलवे ने पुलिस को दोषी ठहराया।रेलवे स्टेशन पर भीड़ को संभालने के लिए कोई अलग योजना नहीं बनाई गई।

6. महाकुंभ 2025, प्रयागराज

Mahakumbh Stampede 2025 (Image Credit-Social Media)

हाल ही में 13 जनवरी 2025 (पौष पूर्णिमा का पहला स्नान) को संगम नोज पर अत्यधिक भीड़ होने के कारण भगदड़ मच गई।लोगों ने स्नान के लिए तेजी से आगे बढ़ने की कोशिश की, जिससे धक्का-मुक्की शुरू हो गई।प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए आपातकालीन सेवाएँ लगाईं और भीड़ को अलग-अलग दिशाओं में डायवर्ट किया।जिसमे मरने वालों की संख्या 10 से अधिक थी।

महाकुंभ में भगदड़ के कारण

लाखों लोग एक साथ स्नान करने के लिए आते हैं, जिससे भीड़ बेकाबू हो जाती है।कभी-कभी झूठी खबरें (जैसे पुल गिरने की खबर) भगदड़ का कारण बनती हैं।सुरक्षा व्यवस्था की कमी और मार्गों का सही नियोजन न होना।संकीर्ण रास्तों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ जाते हैं, जिससे हादसे होते हैं।साथ ही हर बार सरकार श्रद्धालुओं की संख्या का सही अनुमान नहीं लगा पाती, जिससे योजनाएं अधूरी रह जाती हैं।कुंभ में VIP और नेताओं के आने से आम श्रद्धालुओं की भीड़ को गलत तरीके से मोड़ा जाता है, जिससे भगदड़ मचती है।कुंभ के प्रमुख स्नान घाटों तक जाने वाले रास्ते संकीर्ण होते हैं और प्रशासन इन्हें चौड़ा करने की व्यवस्था नहीं करता। हर बार भगदड़ की शुरुआत किसी अफवाह से होती है, लेकिन सरकार इस पर रोक लगाने में विफल रहती है।हादसे के बाद प्रशासन तुरंत राहत अभियान नहीं चलाता, जिससे घायलों की संख्या बढ़ जाती है।

भविष्य में हादसों को रोकने के उपाय

  • स्मार्ट ट्रैफिक और भीड़ नियंत्रण: ड्रोन और सीसीटीवी की मदद से भीड़ को नियंत्रित किया जाए।
  • अधिक स्नान घाटों का निर्माण: नए अस्थायी स्नान घाट बनाकर भीड़ को विभाजित किया जाए।
  • VIP मूवमेंट पर नियंत्रण: VIP दर्शन और स्नान का अलग समय निर्धारित किया जाए ताकि आम श्रद्धालुओं को दिक्कत न हो।
  • फर्जी अफवाहों को रोकने के लिए जागरूकता अभियान: कुंभ में अफवाह फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और सही सूचना के लिए सूचना केंद्र स्थापित किए जाएँ।
  • आपातकालीन बचाव दल की तैनाती: हर स्नान घाट और प्रमुख मार्गों पर डॉक्टर, एंबुलेंस और आपातकालीन बचाव दल को पहले से तैनात किया जाए।
  • महाकुंभ आस्था और धार्मिकता का सबसे बड़ा पर्व है, लेकिन सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि यह आयोजन बिना किसी अनहोनी के संपन्न हो सके।
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