Mahant Narendra Giri Ka Suicide Note: महंत गिरि आत्महत्या मामले में कई नए खुलासे, नहीं लिखना आता था पत्र, तो लिखा कैसे ?
Mahant Narendra Giri Ka Suicide Note : आचार्य कैलाशानंद गिरि ने भी कहा कि सुसाइड नोट के हर पेज की लिखावट में अंतर साफ तौर पर दिख रहा है...
Mahant Narendra Giri Ka Suicide Note : अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Akhil Bharatiya Akhara Parishad) की संदिग्ध हालात में हुई मौत के बाद उनका सुसाइड नोट लगातार चर्चा में बना हुआ है l मगर अब इस सुसाइड नोट (Narendra Giri Suicide Note) को लेकर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। महंत के शिष्य बलवीर गिरि (Kaun hai Balveer Giri) सुसाइड नोट को लेकर दिए गए अपने बयान से पलट गए हैं। मंगलवार को उन्होंने सुसाइड नोट में अपने गुरु महंत नरेंद्र गिरि की राइटिंग होने की बात कही थी, मगर अब उनका कहना है कि वे अपने गुरु जी की राइटिंग नहीं पहचानते।
दूसरी ओर भाजपा के पूर्व सांसद और अयोध्या के संत रामविलास वेदांती ने सुसाइड नोट को पूरी तरह फर्जी बताया है। उनका कहना है कि नरेंद्र गिरि की मौत उनकी गद्दी हासिल करने के लिए किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है।
निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर आचार्य कैलाशानंद गिरी ने भी सुसाइड नोट पर सवाल खड़े किए हैं। उनका भी कहना है कि सुसाइड नोट किसी पढ़े-लिखे दूसरे व्यक्ति ने लिखा है। महंत नरेंद्र गिरि ऐसा नहीं लिख सकते।
रामजन्मभूमि विवाद के पक्षकार रहे निर्वाणी अनी अखाड़े के महंत ज्ञानदास का कहना है कि महंत नरेंद्र गिरि लिखना नहीं जानते थे। उन्होंने सुसाइड नोट को बनावटी और नकली करार दिया है।
देखें Sucide Note - https://newstrack.com/pdf_upload/camscanner-09-20-2021-190610-1-1226578.pdf
बलवीर गिरि बोले-राइटिंग नहीं पहचानता
सुसाइड नोट के बारे में बलवीर गिरि के पलट जाने को महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालात में हुई मौत का उल्लेखनीय पहलू माना जा रहा है। सुसाइड नोट को देखने के बाद मंगलवार को बलवीर गिरि ने इसे अपने गुरु जी की ही हैंडराइटिंग बताया था।
सुसाइड नोट में बलवीर को ही उत्तराधिकारी बनाए जाने की बात कही गई है।इसी पर बलवीर का कहना था कि वह अगला महंत बनने के लिए तैयार हैं। उनका कहना था कि मैंने गुरुजी की राइटिंग देखी है। ये उनके हाथ से लिखे हुए अक्षर हैं।
मंगलवार को बयान देने के 24 घंटे बाद ही बुधवार को बलवीर गिरि अपने बयान से पलट गए। अब उनका कहना है कि वे महंत नरेंद्र गिरि की राइटिंग को नहीं पहचानते। उनका यह भी कहना है कि गद्दी के अगले महंत का फैसला पंच परमेश्वर की ओर से किया जाएगा। उत्तराखंड के रहने वाले बलवीर गिरि 2005 में संत बने थे। मौजूदा समय में वे निरंजनी अखाड़े के उपमह॔त की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
वेदांती बोले-हर पेज पर अलग राइटिंग
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालात में हुई मौत के बाद उनका सुसाइड नोट लगातार चर्चा में बना हुआ है l मगर अब इस सुसाइड नोट को लेकर ही सवाल खड़े होने लगे हैं।
महंत के शिष्य बलवीर गिरि सुसाइड नोट को लेकर दिए गए अपने बयान से पलट गए हैं। मंगलवार को उन्होंने सुसाइड नोट में अपने गुरु महंत नरेंद्र गिरि की राइटिंग होने की बात कही थी, मगर अब उनका कहना है कि वे अपने गुरु जी की राइटिंग नहीं पहचानते।
दूसरी ओर भाजपा के पूर्व सांसद और अयोध्या के संत रामविलास वेदांती ने सुसाइड नोट को पूरी तरह फर्जी बताया है। उनका कहना है कि नरेंद्र गिरि की मौत उनकी गद्दी हासिल करने के लिए किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है।
निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर आचार्य कैलाशानंद गिरी ने भी सुसाइड नोट पर सवाल खड़े किए हैं। उनका भी कहना है कि सुसाइड नोट किसी पढ़े-लिखे दूसरे व्यक्ति ने लिखा है। महंत नरेंद्र गिरि ऐसा नहीं लिख सकते। रामजन्मभूमि विवाद के पक्षकार रहे निर्वाणी अनी अखाड़े के महंत ज्ञानदास का कहना है कि महंत नरेंद्र गिरि लिखना नहीं जानते थे। उन्होंने सुसाइड नोट को बनावटी और नकली करार दिया है।
बलवीर गिरि बोले-राइटिंग नहीं पहचानता
सुसाइड नोट के बारे में बलवीर गिरि के पलट जाने को महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालात में हुई मौत का उल्लेखनीय पहलू माना जा रहा है। सुसाइड नोट को देखने के बाद मंगलवार को बलवीर गिरि ने इसे अपने गुरु जी की ही हैंडराइटिंग बताया था।
सुसाइड नोट में बलवीर को ही उत्तराधिकारी बनाए जाने की बात कही गई है।इसी पर बलवीर का कहना था कि वह अगला महंत बनने के लिए तैयार हैं। उनका कहना था कि मैंने गुरुजी की राइटिंग देखी है। ये उनके हाथ से लिखे हुए अक्षर हैं।
मंगलवार को बयान देने के 24 घंटे बाद ही बुधवार को बलवीर गिरि अपने बयान से पलट गए। अब उनका कहना है कि वे महंत नरेंद्र गिरि की राइटिंग को नहीं पहचानते। उनका यह भी कहना है कि गद्दी के अगले महंत का फैसला पंच परमेश्वर की ओर से किया जाएगा। उत्तराखंड के रहने वाले बलवीर गिरि 2005 में संत बने थे। मौजूदा समय में वे निरंजनी अखाड़े के उपमह॔त की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
वेदांती बोले-हर पेज पर अलग राइटिंग
पूर्व सांसद और अयोध्या के संत रामविलास वेदांती का कहना है कि मैं नरेंद्र गिरी को राम मंदिर आंदोलन के समय से ही जानता हूं। वेदांती ने कहा कि महंत नरेंद्र गिरि के शव के पास बरामद हुआ सुसाइड नोट नरेंद्र गिरि ने लिखा ही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि 8 पेज के सुसाइड नोट के हर पन्ने पर अलग हैंडराइटिंग दिख रही है।
वेदांती ने कहा कि मैंने कभी भी महंत नरेंद्र गिरि को इतना लिखते नहीं देखा। सच्चाई तो यह है कि नरेंद्र गिरि की मौत गद्दी हासिल करने के लिए रची गई किसी बहुत बड़ी साजिश का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस मामले की सीबीआई जांच करानी चाहिए । ताकि सच्चाई उजागर हो सके। उन्होंने महंत नरेंद्र गिरि को बहादुर संत बताते हुए कहा कि वे आत्महत्या जैसा कदम कभी नहीं उठा सकते थे। उन्होंने कहा कि सुसाइड नोट में कई लोगों की राइटिंग है और अलग-अलग लिखावट स्पष्ट दिख रही है।
कैलाशानंद ने सुसाइड नोट को फर्जी बताया
निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर आचार्य कैलाशानंद गिरि ने भी सुसाइड नोट को फर्जी करार दिया है। उन्होंने कहा कि मैं महंत नरेंद्र गिरि को नजदीक से जानता रहा हूं। वे ऐसा नहीं लिखते थे। यह सुसाइड नोट किसी पढ़े लिखे व्यक्ति की ओर से लिखा गया है।
आचार्य कैलाशानंद गिरि ने भी कहा कि सुसाइड नोट के हर पेज की लिखावट में अंतर साफ तौर पर दिख रहा है। महंत नरेंद्र गिरि का अलग-अलग पेज पर हस्ताक्षर भी अलग-अलग दिख रहा है। ऐसे में यह सुसाइड नोट पूरी तरह संदेहास्पद है। उन्होंने भी इस मामले की गहराई से पड़ताल करने की मांग की है।
महीशानंद ने भी की जांच की मांग
पंचायती अखाड़ा के महामंडलेश्वर महीशानंद महाराज ने सुसाइड नोट की जांच करने पर जोर दिया है। उनका कहना है कि महंत नरेंद्र गिरि को पूरे जीवनकाल में उन्होंने कभी इतना लिखते नहीं देखा। उन्होंने कहा कि पहले सुसाइड नोट की जांच की जानी चाहिए कि वह नरेंद्र गिरि ने लिखा भी है या नहीं । उसके बाद ही बलवीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाने के संबंध में फैसला लिया जाना चाहिए।
ज्ञानदास बोले-नरेंद्र गिरि को नहीं आता था लिखना
रामजन्म भूमि विवाद में पक्षकार रहे निर्वाणी अनी अखाड़े के स्वामी ज्ञानदास ने महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन करने के बाद पूरे घटनाक्रम पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि जिस कमरे में महंत नरेंद्र गिरि का शव मिला है उस कमरे में वह कभी नहीं सोते थे।
उनकी हत्या करने के बाद शव को वहां लाकर कमरे में लटकाया गया है। स्वामी ज्ञानदास ने भी सुसाइड नोट को पूरी तरह फर्जी और नकली बताया। उन्होंने दावा किया कि नरेंद्र गिरी लिखना नहीं जानते थे। ऐसे में वे 8 पेज का सुसाइड नोट कैसे लिख सकते थे।