Raj Thackeray Ayodhya Visit: महाराष्ट्र की सियासी लड़ाई यूपी में आई, दिखेगा एक और चाचा भतीजे का टकराव

Raj Thackeray Ayodhya Visit: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के भाई और मनसे प्रमुख राज ठाकरे पांच जून को अयोध्या जाएंगे जबकि दस जून को उनके भतीजे और उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे भी यहां पहुंचेगे।

Written By :  Shreedhar Agnihotri
Published By :  Monika
Update:2022-05-09 11:43 IST

योध्या में पोस्टरबाजी (फोटो: सोशल मीडिया )

Raj Thackeray Ayodhya: महाराष्ट्र के ठाकरे परिवार की जंग की गूंज अब अयोध्या (Ayodhya) तक सुनाई पड़ने लगी है। अगले महीने के पहले सप्ताह से असली हिन्दुत्वादी होने को लेकर जबरर्दस्त सियासी टकराव देखने को मिलेगा। अयोध्या में अभी से चाचा- भतीजे और भाई -भाई के बीच पोस्टरबाजी शुरू हो गयी है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के भाई और मनसे प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) पांच जून को अयोध्या जाएंगे जबकि दस जून को उनके भतीजे और उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे भी यहां पहुंचेगे। इस बीच उद्धव ठाकरे के आने का भी प्लान बन रहा है।

यूपी में अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल सिंह यादव की तरह ही महाराष्ट्र में भी दोनो भाईयों उद्धव ठाकरे और राजठाकरे की सियासी टकराव की कहानी बहुत पुरानी है। इस टकराव में भतीेजे आदित्य ठाकरे (Aaditya Thackeray) की भी बड़ी भूमिका बताई जाती है। हांलाकि इसकी शुरुआत तो 1995 के आसपास ही हो चुकी थी जब शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे की सियासी ताकत पूरे महाराष्ट्र में थी। राजठाकरे उस समय बाला साहब ठाकरो के बेहद नजदीकी थें। इस बीच बेटे उद्वव ठाकरे को लगा कि राज ठाकरे उनके पिता बाला साहब ठाकरे के बेहद नजदीक होते जा रहे हैं तो उन्होंने भी बाला साहब के कामों में हस्तक्षेप करना षुरू कर दिया। उस दौरान बीएमसी के चुनाव हुए उद्वव ने अपने अधिकतर समर्थकों को चुनाव मैदान में उतारा। इस चुनाव में मिली सफलता के बाद पार्टी में उद्धव की ताकत काफी बढ गयी। पार्टी में उद्धव की पकड मजबूत होने लगी और राजठाकरे किनारे होते गए।

ऐसे बढ़ी दोनों भाइयों में दूरी

इसके बाद बाला साहब ठाकरे के जीवित रहते ही उद्धव को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। दिलचस्प बात यह कि उद्धव ठाकरे के अध्यक्ष बनने का प्रस्ताव राजठाकरे की तरफ से रखा गया। कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर जब उद्धव ठाकरे ने काम शुरू किया तो राजठाकरे खुद को पार्टी में उपक्षित महसूस करने लगे। इसके बाद दोनो भाईयों में दूरी बढती गयी और अंततः 2006 में राज ठाकरे ने शिवसेना छोड दी और नई पार्टी का गठन किया। 2009 में विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में 13 सीटों पर विजय हासिल की। लेकिन इसके बाद पार्टी का जनाधार कम होता गया।

अब जब लाउडस्पीकर विवाद चरम पर है और देष में हिन्दुत्व राजनीति का दौर तेज हो गया है। मनसे प्रमुख राजठाकरे बेहद सक्रिय भूमिका में नजर आ रहे हैं। वह पांच जून को अयोध्या जाएगें। उधर शिवसेना सांसद संजय राउत ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे पर अयोध्या दौरे को लेकर कहा कि भगवान राम उन लोगों को आशीर्वाद नहीं देते हैं जो उनके पास फर्जी भावनाएं लेकर और राजनीतिक वजहों से आते हैं।

आदित्य ठाकरे भी अयोध्या आ रहे

उधर, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे राम लला के दर्शन के लिए अयोध्या आ रहे हैं। संजय राउत का मानना है कि यह राजनीतिक यात्रा नहीं है। बल्कि विशुद्ध रूप से धार्मिक इरादे से है। उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा के दौरान महाराष्ट्र और भारत के अन्य हिस्सों से हजारों शिवसैनिक और युवा सैनिक आदित्य के साथ शामिल होंगे।

यह यात्रा महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे की अयोध्या यात्रा के पांच दिन बाद होगी। पोस्टर और बैनर के साथ आदित्य की यात्रा के लिए माहौल तैयार किया गया है। जिसमें दावा किया गया है कि असली नेता आ रहे हैं। राज ठाकरे की अयोध्या की प्रस्तावित तीर्थयात्रा को लेकर भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह ने धमकी दी है।

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