Mahoba News : नए कानूनों के विरोध में वकीलों ने किया प्रदर्शन, डीएम को सौंपा ज्ञापन
Mahoba News : महोबा के कलेक्ट्रेट में जिला अधिवक्ता समिति के बैनर तले वकीलों ने न्यायिक कार्य का बहिष्कार कर प्रदर्शन करते हुए जुलाई से लागू होने वाले तीन नए कानून का विरोध किया है। प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपते हुए नए कानून लागू न किए जाने की मांग की गई है।
Mahoba News : महोबा के कलेक्ट्रेट में जिला अधिवक्ता समिति के बैनर तले वकीलों ने न्यायिक कार्य का बहिष्कार कर प्रदर्शन करते हुए जुलाई से लागू होने वाले तीन नए कानून का विरोध किया है। प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपते हुए नए कानून लागू न किए जाने की मांग की गई है।
कलेक्ट्रेट में जिला अधिवक्ता समिति के जिला अध्यक्ष इंद्रपाल सिंह के नेतृत्व में इकट्ठा हुए वकीलों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन करते हुए 1 जुलाई से लागू होने वाले तीन नए कानून के विरोध में प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला अधिकारी को सौंपा है। दिए गए ज्ञापन में कहा गया कि नए कानून में बड़ी कमियां हैं, इसलिए इसे लागू करने से पहले पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। वकीलों ने तीन नए कानून के विरोध में जमकर नारेबाजी की और कहा कि भारतीय दंड संहिता के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और साक्ष्य विधि के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम जुलाई से लागू किए जा रहे हैं। भारत सरकार द्वारा नए कानून जुलाई से लागू किया जा रहा है, जो बर्दाश्त नहीं है।
जटिल हो जाएगी न्याय प्रक्रिया
उन्होंने कहा कि इन कानून में सिर्फ नाम बदलकर उलटफेर किया गया है, जिससे न्याय प्रक्रिया और जटिल बन रही है और आने वाले समय में यह लोगों के लिए भ्रमित करने वाली हो जाएगी। ऐसे में इन नियमों और कानून पर पुनः विचार करते हुए पुराने कानून को ही लागू रखने की मांग की गई। जिला अध्यक्ष इंद्रपाल सिंह ने कहा कि 97 फ़ीसदी कानून में वही धाराएं हैं, वही अध्याय हैं ,नए कानून में सिर्फ धाराओं में उलट फेर किया गया है और धाराओं के नंबर बदले गए हैं, जबकि पुराने कानूनों से हर कोई अवगत है। आम आदमी से लेकर न्यायिक अधिकारी, अधिवक्ता और पुलिस सहित सभी लोग पुराने कानून को भली-भांति जानते और समझते हैं। ऐसे में नए कानून लागू होने से कई प्रकार की समस्या उत्पन्न हो जाएगी।
नए कानून लागू हुए तो होगा आंदोलन
साथ ही कानून के दायरे में आने वाली तमाम साहित्य और किताबें भी बेकार होने की बात अधिवक्ताओं ने कही है। वहीं बदले गए कानून से आम जनता को कुछ समझ में नहीं आएगा, ऐसे में कानून के मौलिक स्वरूप में छेड़छाड़ से आम पब्लिक से लेकर न्यायिक अधिकारी, अधिवक्ता इससे भ्रमित होने की स्थिति में हो जाएंगे। इसलिए इन कानून को लागू नहीं करने की मांग की गई। साथ अधिवक्ताओं ने कहा कि यदि ऐसा हुआ तो फिर सभी अधिवक्ता राष्ट्रीय नेतृत्व के आवाहन पर आंदोलन भी करेंगे।