व्यापमं घोटाले की रहस्य भरी कहानी : सुनिए मुख्य आरोपी की जुबानी

Update: 2016-05-04 17:21 GMT

लखनऊ: एसटीएफ ने सीबीआई के साथ मिलकर व्यापमं के अहम सूत्रधार कहे जाने वाले रमेश चन्द्र शिवहरे उर्फ चंद्रा को गिरफ्तार कर लिया है। शिवहरे ने एसटीएफ और सीबीआई की गहन पूछताछ में घोटाले से जुड़े कई राज उगले हैं। उसने बताया कि घोटाले में व्यापमं के प्रशासनिक और तकनीकी अधिकारियों के अलावा दूसरे अधिकारी भी जुड़े हुए थे।

दो तरह के सॉल्वर

-घोटाले में दो तरह के अरेंजमेंट थे। पहला-मेन कैंडिडेट की जगह सॉल्वर बिठाने का और दूसरा-मेन कैंडिडेट के पीछे सॉल्वर बिठाने का।

-एसटीएफ के एएसपी अरविंद चतुर्वेदी ने बताया सीबीआई और एसटीएफ की पूछताछ में चंद्रा ने बताया कि पहले अरेंजमेंट में अभ्यर्थी की जगह डमी कैंडिडेट बिठाया जाता था, जो खुद पेपर सॉल्व करता था।

-दूसरे सिस्टम में कैंडिडेट के पीछे सॉल्वर बिठाया जाता था। इसमें एक साथ रोल नम्बर अलॉट करने में व्यापमं दफ्तर शामिल होता था।

-इन दोनों अरेंजमेंट में कैंडिडेट से मोटी रकम ली जाती थी, जो पूरे सिस्टम में बंटती थी। इस तरह सेलेक्ट होकर ढेरों अयोग्य लोग डॉक्टर इंजीनियर बन गए।

घोटाले के 6 साल

-शिवहरे ने सीबीआई को बताया कि वह करीब 6 साल तक संतोष गुप्ता और दूसरे लोगों के साथ व्यापमं घोटाले में शामिल रहा।

-शिवहरे ने यह भी बताया कि जब उसे सीबीआई ढूंढ रही थी, तो फरारी के दौरान वह आगरा, गाजियाबाद, नोएडा के गिरोहों के कॉंटैक्ट में आया। इस दौरान वह इन गिरोहों के साथ कॉम्पिटीटिव एग्जाम्स में सेंध लगा कर भर्ती करवा रहा था।

कोचिंग से घोटाले तक

-शिवहरे ने एसटीएफ को बताया कि 2005 में उसने कानपुर के एचबीटीआई से लेदर टैक्टनोलाजी में बीटेक किया था। लेकिन नौकरी के बजाय उसने पैराडाईज नाम से कोचिंग सेंटर शुरू किया।

-कोचिंग के दौरान ही मेडिकल और इंजीनियरिंग में जाने वाले कैंडिडेट्स उसके कॉंटैक्ट में आए। इसी बीच उसकी मुलाकात जबलपुर निवासी संतोष गुप्ता से हुई, जिसने शिवहरे से व्यापमं के एग्जाम्स के लिए मुन्ना भाई यानी सॉल्वर देने को कहा।

व्यापमं के 3500 चेहरे

-इस घोटाले में अब तक कुल 185 मामले दर्ज हुए हैं और करीब 3500 लोगों के नाम सामने आए हैं।

-सीबीआई के मुताबिक इसमें व्यापमं के डायरेक्टर, प्रिन्सिपल सिस्टम एनेलिस्ट, तत्कालीन टेक्निकल एजुकेशन मिनिस्टर लक्ष्मीकान्त वर्मा, तत्कालीन गवर्नर के ओएसडी धनराज यादव समेत कई प्रशासनिक अधिकारी अरेस्ट हो चुके हैं।

-रमेश शिवहरे ने यह भी बताया कि उसकी पत्नी अंशु शिवहरे 2011 से 2016 तक महोबा की जिला पंचायत अध्यक्ष रही है और अभी महोबा की खन्ना सीट से जिला पंचायत सदस्य है। इसीलिए लोग उसे अध्यक्षजी के नाम से भी जानते हैं।

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