Mainpuri By Election 2022: 26 साल बाद बिना मुलायम होगा मैनपुरी में चुनाव, सैफई परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर
Mainpuri By Election 2022: मुलायम सिंह के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी को विरासत बचाने की चुनौती होगी। जानें नेताजी और मैनपुरी सीट का इतिहास।
Mainpuri Lok Sabha By Election 2022: भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने देश के अलग-अलग राज्यों में खाली हुई लोकसभा तथा विधानसभा सीटों के लिए चुनाव तारीखों का ऐलान किया है। इन सीटों पर 5 दिसंबर को उप चुनाव के लिए मतदान होंगे। जबकि, 8 दिसंबर को गुजरात और हिमाचल प्रदेश के साथ ही मतगणना होगी। इन सीटों में यूपी की मैनपुरी लोकसभा सीट (Mainpuri Lok Sabha seat) भी शामिल है, जहां से समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। उनके निधन के बाद ये सीट खाली हुई है।
उत्तर प्रदेश में मैनपुरी के अलावा रामपुर विधानसभा सीट के लिए भी वोटिंग होगी। ये सीट सपा नेता आजम खान (Azam Khan) की सदस्यता रद्द होने के बाद खाली हुई। मगर, आज बात यूपी की मैनपुरी लोकसभा सीट की, जो मुलायम सिंह यादव की जीत का पर्याय बन चुका था। मैनपुरी सीट 'नेताजी' के दिल के बेहद करीब था। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि, जब उन्हें आजमगढ़ और मैनपुरी दोनों लोकसभा सीट से जीत मिली, तो उन्होंने मैनपुरी को चुना।
1996 में मैनपुरी से सांसद बने थे 'नेताजी'
मैनपुरी लोकसभा सीट से मुलायम सिंह का नाता काफी पुराना रहा है। यूपी की राजनीति करने के बाद जब नेताजी ने अपने कदम केंद्र की ओर बढ़ाए तो लोकसभा चुनाव मैनपुरी सीट से लड़े। साल 1996 में मुलायम यहां से सांसद चुने गए। इसके बाद, 1998 से 2004 के बीच समाजवादी पार्टी की टिकट पर बलराम सिंह यादव ने मैनपुरी की अगुआई की। बता दें, बलराम यादव समाजवादी पार्टी के नहीं थे। बल्कि, वो कांग्रेस से सपा में आए थे। मैनपुरी सीट के लिए ये माना जाता रहा है कि, चेहरा कोई भी हो वोटर के दिल में छवि मुलायम सिंह यादव की ही रहती थी। इसलिए ये सीट सपा का अभेद्य किला बन गया। दौर कोई भी हो यहां सैफई परिवार ही काबिज रहा।
मैनपुरी सीट और मुलायम सिंह
अब आया साल 2004, जब एक बार फिर मुलायम सिंह यादव यहां से सांसद निर्वाचित हुए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के नाते उन्होंने ये सीट खाली कर दी। जब उप चुनाव हुआ तो उनके भतीजे धर्मेंद्र यादव यहां से सांसद निर्वाचित हुए। साल 2009 में मुलायम सिंह ने फिर मैनपुरी सीट की अगुआई की। वर्ष 2014 के उप चुनाव को छोड़ दें तो नेताजी के निधन तक वो ही यहां के सांसद रहे। वर्ष 2014 में जब देश में मोदी लहर थी, तब मुलायम सिंह यादव मैनपुरी और आजमगढ़ दोनों जगह से चुनाव लड़े और जीते थी। हालांकि, मुलायम ने उपचुनाव में पोते तेजप्रताप यादव को यहां से सांसद बनाया।
..नेताजी के बाद अब कौन
पिछले इतिहास को देखें, तो तय है कि मैनपुरी लोकसभा सीट से उम्मीदवार सैफई परिवार से ही होगा। अब चेहरा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को तय करना है। हालांकि, इस बार रेस में डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव और शिवपाल यादव का नाम चल रहा है। इन्हीं चेहरों पर नजरें टिकी हैं। ये अलग बात है कि, अखिलेश चाचा शिवपाल यादव के रुख पर भी नजर रखेंगे, कि उनका स्टैंड क्या होगा। वो साथ रहेंगे या खिलाफ जाएंगे। गौरतलब है कि, शिवपाल पहले है मैनपुरी सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं।