Lucknow: सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के मुख्यमंत्री के आदेश को एक बार फिर अफसरों ने दिखाया 'अंगूठा', अयोध्या-वाराणसी भी फिसड्डी
Lucknow News यूपी में सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के मुख्यमंत्री के आदेश को एक बार फिर सरकारी अफसरों ने अंगूठा दिखाया।
Lucknow News: उत्तर प्रदेश सरकार का पहला कार्यकाल हो या योगी आदित्य नाथ का बतौर मुख्यमंत्री दूसरा कार्यकाल इनमें सरकार अपने जिस बहु प्रचारित योजना में फिसड्डी साबित हुई , वह है- सड़कों को गड्ढा मुक्त करना है। योगी के पहले कार्यकाल में यह महकमा उनके धुर विरोधी, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के पास था, तो ऐसे में योगी के समर्थकों को यह कह कर बचने का रास्ता मिल जाता था कि केशव नहीं चाहते कि योगी का इक़बाल बुलंद हो।
पर आज कांग्रेस से भाजपा में आये जितिन प्रसाद इस महकमे के मंत्री हैं, पर तबादलों को लेकर उनके भी रिश्ते योगी आदित्य नाथ से अच्छे नहीं रह सके। बावजूद इसके नवंबर महीने की पंद्रह तारीख़ को प्रदेश की सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का संकल्प पूरा होता दिख नहीं रहा है।
क्योंकि जिस गति से काम हो रहा है, वह इस बात की चुग़ली करता है कि सरकार इस साल के अंत तक इसे पूरा कर पाये तो बड़ी बात होगी। विभागीय अफ़सरों की मानें तो दूसरे जितनी धनराशि इस काम के लिए आवंटित की गई है, वह भी ऊँट के मुँह में ज़ीरा है। सार्वजनिक निर्माण विभाग ( पीडब्ल्यूडी) महकमे की 5,9631 किलोमीटर सड़कों पर गड्ढा है। पूरी मेहनत और मुख्यमंत्री के निर्देश व संकल्प के बाद केवल 2,8215 किलोमीटर सड़कों को गड्ढा मुक्त किया जा सका है। इस मद में सरकार द्वारा आवंटित की गई 505.11 करोड़ रुपये में से केवल 173.80 करोड़ रूपये ही खर्च हो पाये हैं।
हद तो यह है कि पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद की समीक्षा में यह सत्य सामने आया कि गड्डा भरने के सरकार के इस काम में सूबे के सभी अठारह मंडलों में से किसी में भी औसत पचास फ़ीसदी काम नहीं हो पाया है। केवल मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के शहर गोरखपुर और मेरठ में यह औसत इकसठ फ़ीसदी पहुँचा है। राजधानी लखनऊ हो या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी अभियंताओं ने काम करने में रुचि नहीं दिखाई है। अयोध्या जिसे अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर लाने में मुख्यमंत्री जुटे हैं, वहाँ की भी हालत संतोषजनक नहीं कही जा सकती है।