पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री इंतिजार आब्दी सहित कई हत्या के केस में हुए बाइज्जत बरी

सैफी जगत नारायण रोड स्थित शिक्षा भवन से पहले एक चाय की दुकान पर ही मिल गए। बातचीत के दौरान सैफी के मोबाइल पर एक फोन आया। सैफी ने बताया कि मैं चाय की दुकान पर हूं। इसके करीब 10 मिनट बाद मोटरसाईकिल पर दो लोग आए। दोनों ने बिना कुछ कहे सैफी पर गोली चलानी शुरु कर दी। उन लोगों पर भी फायर किया गया। लेकिन वो लोग बाल बाल बच गए।

Update:2019-11-30 21:46 IST

विधि संवाददाता

लखनऊ: अपर सत्र न्यायाधीश मुकेश कुमार सिंह ने हत्या के मामले में पूर्व दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री इंतिजार आब्दी उर्फ बॉबी तथा अभियुक्त भाई सलीम व रुस्तम समेत पांच अभियुक्तों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।

यह मामला थाना वजीरगंज से संबधित है। दो मार्च, 2011 को इस मामले की एफआईआर सैयद रईस हैदर नकवी ने अज्ञात में दर्ज कराई थी। अभियोजन के मुताबिक उस रोज दिन में 11 बजे रईस अपने पड़ोसी राकेश पांडेय के साथ सैयद सैफ हैदर नकवी उर्फ सैफी से मिलने उनके घर जा रहे थे।

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लेकिन सैफी जगत नारायण रोड स्थित शिक्षा भवन से पहले एक चाय की दुकान पर ही मिल गए। बातचीत के दौरान सैफी के मोबाइल पर एक फोन आया। सैफी ने बताया कि मैं चाय की दुकान पर हूं। इसके करीब 10 मिनट बाद मोटरसाईकिल पर दो लोग आए। दोनों ने बिना कुछ कहे सैफी पर गोली चलानी शुरु कर दी। उन लोगों पर भी फायर किया गया। लेकिन वो लोग बाल बाल बच गए।

मौके पर मौजूद लोगों की मदद से सैफी को ट्रामा सेंटर ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। विवेचना के बाद पुलिस ने इस मामले में इंतिजार ऑब्दी व सलीम रुस्तम समेत छःह अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इनमें से एक अभियुक्त मम्मू की दौरान विचारण मौत हो चुकी है।

विचारण के दौरान शेष अभियुक्तों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं पेश किया जा सका। लिहाजा अदालत ने इंतिजार आब्दी उर्फ बॉबी समेत सलीम, रुस्तम, शहजादे व शाम मोहम्मद को बरी कर दिया। बचाव पक्ष की ओर से वकील प्रांशू अग्रवाल, अतुल सिंह व विनोद यादव ने पैरवी की।

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नबालिक से दुराचार के आरेापी को मिली उम्र कैद

अपर सत्र न्यायाधीश अरविन्द मिश्र ने सात साल की मासूम लड़की से बलात्कार करने वाले अभियुक्त मो. नफीस को उम्र कैद की सजा सुनाई है। केार्ट ने उस पर 60 हजार का जुर्माना भी ठोंका है। साथ ही जुर्माने की 90 प्रतिशत धनराशि पीड़िता को देने का आदेश दिया है।

केार्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ऐसी घटना की वजह से ही लोग अपने बच्चों को स्वतंत्रतापूर्वक खेलने व व्यवहार करने की आजादी नहीं दे पा रहे हैं। लोगों के मन में हमेशा यह आशंका बनी रहती है कि कहीं कोई उनके बच्चे के साथ यौन अपराध कारित न कर दे। परिणामस्वरुप इस देश की नई पीढ़ी का सर्वागींण विकास नहीं हो पा रहा है। क्योंकि वो खुलकर अपन बचपन व्यतीत नहीं कर पा रहे हैं।

फौजदारी के जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज कुमार त्रिपाठी के मुताबिक 18 जुलाई, 2017 को इस मामले की एफआईआर पीड़िता के पिता ने थाना महानगर में दर्ज कराई थी। उस रोज शाम को अभियुक्त उनकी बेटी को खरगोश दिलाने के बहाने अपने घर ले गया। और उसके साथ गलत हरकत की।

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मूक बधिर से दुराचार के आरेापी की जमानत अर्जी खारिज

अपर सत्र न्यायाधीश रजनीश कुमार मिश्रा ने एक मूक बधिर लड़की के साथ दुराचार करने के मामले में निरुद्ध समर्पण डे केयर फाउण्डेशन के प्रबंधक व सचिव खुशहाल सिंह की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। केार्ट ने प्रथम दृष्टया अभियुक्त के अपराध को गंभीर करार दिया है। सरकारी वकील अरुण पांडेय के मुताबिक अभियुक्त के इस कृत्य से पीड़िता गर्भवती हो गई थी।

इस मामले की एफआईआर पीड़िता के पिता ने थाना मड़ियांव में दर्ज कराई थी। देहरादुन में रहने वाली पीड़िता छुट्टियों में अपने मां-बाप के पास लखनऊ आती थी। यहां उसके मां-बाप सुबह 10 से शाम चार बजे तक उसे समर्पण डे केयर फाउण्डेशन में छोड़ देते थे।

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22 नवंबर, 2018 को मालुम हुआ कि उनकी बेटी गर्भवती है। विवेचना के दौरान डीएनए टेस्ट से अभियुक्त का नाम प्रकाश में आया। 15 फरवरी, 2019 को पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था।

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