बहराइच: करीब पांच सौ बारातें। हजारों बाराती। ढेर सारा दहेज। आतिशबाजी, सजावट, सामूहिक भोजन और शादी की सभी रस्मों की अदायगी। लेकिन बिना दुल्हन और दूल्हे के। है न अचरज की बात!
लेकिन ये शादियां हर साल होती हैं। और इन शादियों के दौरान सभी पारंपरिक रस्मों की अदायगी होती है। मगर प्रतीकात्मक तौर पर।
हजार वर्षों की परंपरा
-प्रतीकात्मक रूप से शादी की ये रस्म हर साल जेठ मेले में निभाई जाती है।
-विवाह का मुख्य आयोजन सोमवार के दिन होता है।
-पूरे देश में करीब 250 बारातें पंजीकृत हैं, लेकिन करीब 500 बरातें आयोजन में शामिल होती हैं।
-ये आयोजन बहराइच के सैयद सालार मसऊद गाजी की दरगाह पर होता है।
ये है इतिहास
-बारातें बैंड-बाजे और आतिशबाजियों के साथ दरगाह पहुंचती हैं।
-मुख्य बारातें रुदौली,टांडा, बस्ती, जौनपुर और नासिक की होती हैं
-मान्यता है कि बाराबंकी के रुदौली कस्बा निवासी जोहराबीबी की याद में ये विवाह होता है।
-करीब 1012 साल पहले जोहरा बबीबी दुल्हन बनी थीं और उनकी बारात गाजी की दरगाह तक आई थी।
किन्नरों की बारात
-सैयद सालार मसऊद गाजी की दरगाह पर इस साल भी करीब साढ़े पांच सौ बारातें पहुंची हैं।
-इनमें मुंबई से आने वाले किन्नरों की बारात आकर्षण का केंद्र रहती है।
-इस बारात की रौनक बाकी बारातों से अलग होती है।
-बाराती किन्नर मंजीरे व ढोलक की थाप पर थिरकते हुए गाजी की मजार पर पहुंचते हैं।
-हर बारात की तरह किन्नरों की बारात दरगाह पर सलाम करने पहुंचती है।
साम्प्रदायिक सौहार्द की प्रतीक
-सैयद सालार मसऊद गाजी की दरगाह हिंदू-मुस्लिम सौहार्द का प्रतीक है।
-इसबार भी दोनों समुदायों की सैकड़ों बारातें दरगाह पर पहुंची हैं।
-जेठ मेला इस बार 26 मई से शुरू हुआ है।
-इसमें देश भर से बाराती और लाखों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं।
आने लगीं बारातें
-शनिवार शाम से ही बारातों दरगाह की तरफ जाना शुरू हो गया था।
-इन बारातियों के हाथों में निशान, चादर, पलंगपीढ़ी और दहेज का अन्य सामान है।
-बारातें जंजीरी गेट से प्रवेश कर चमन ताड़, नाल दरवाजा होते हुए गाजी की दरगाह पर हाजिरी लगाएंगी।
-दरगाह पर पलंगपीढ़ी और दहेज का सामान रखा जाएगा।
-बाराती पूरे दिन उपवास रख कर कन्यादान की परंपरा निभाएंगे।
जोरदार तैयारियां
-बारातियों का स्वागत दरगाह प्रबंध समिति के साथ जिला प्रशासन के अधिकारी करते हैं।
-दरगाह प्रबंध समिति के अध्यक्ष सैयद शमशाद ने बताया कि सभी बारातियों और श्रद्धालुओं के लिए भोजन की व्यवस्था है।
-मेला परिसर में लाइट, 250 हैंडपंप और दो दर्जन जेनरेटर लगाए गए हैं।
-इस बार बाराबंकी और लखनऊ के आतिशबाज रौनक बढ़ाएंगे।