मायावती का पलटवार: नसीमुद्दीन को बताया ब्लैकमेलर, ऑडियो टेप से की छेड़छाड़

Update:2017-05-11 19:18 IST

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से निष्कासित पूर्व पार्टी महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी के आरोपों और ऑडियो टेप सुनाए जाने के बाद सुप्रीमो मायावती प्रेस-कांफ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने नसीमुद्दीन सिद्दीकी द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब दिया। माया ने नसीमुद्दीन की ओर से सुनाए गए ऑडियो टेप से छेड़छाड़ की बात भी कही।

मायावती बोलीं, ईवीएम के साथ पार्टी के वरिष्ठ लोगों को, जिनको जो ज़िम्मेदारी दी थी। कुछ को चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार तय करने की भी जिम्मेदारी दी थी। हमारी पार्टी के हार का कारण ईवीएम भी था। पश्चिमी यूपी, जो मुस्लिम बाहुल्य इलाका है वहां नसीमुद्दीन को लगाया था। उम्मीद थी कि मुस्लिम हैं, तो मुस्लिम को जोड़ेंगे। इसलिए उस क्षेत्र में उन्हें लगाया था। चुनाव नतीजे आने के बाद पार्टी संगठन के लोगों ने कहा हम कुछ बात करना चाहते हैं।

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ये पार्टी के नाम पर धंधा करता था

मायावती बोलीं, 'जो लोग बसपा के मूवमेंट और विचारधारा से जुड़े हैं ऐसे कई अलग-अलग लोग मुझसे दिल्ली में भी मिले। उन्होंने बताया किनसीमुद्दीन सिद्दीकी ब्लैकमेलर हैं। नसीमुद्दीन सिद्दीकी ब्लैकमेलर हैं। ये पार्टी के नाम पर धंधा करता है। लोगों की बातें उकसाकर टेप करता है। फिर वही बहनजी को सुनाने की धमकी देता है। टॉप के कार्यकर्ताओं को साइड लाइन किया। टेप के ज़रिए डराया। पैसा भी उगाहा और डराते भी रहे। आज मुझे मालूम हुआ, जो पश्चिमी यूपी के लोग कह रहे थे कि वो ब्लैकमेलर है। यह बात सही साबित हो गई है। आज साबित हुआ कि नसीमुद्दीन क्या है।'

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पश्चिमी यूपी छोड़ सभी ने चंदे का हिसाब दिया

मायावती ने कहा, मैंने नसीमुद्दीन का पूरा प्रेस कांफ्रेंस सुना। टेप में जो बात सुनाई गई वह पूरी तरह सही नहीं है। जब प्रदेश में चुनाव होने वाला था तब पूरे यूपी के लोगों से पैसा जमा करने को कहा था। नोटबंदी से पहले जो पैसा आया था वह बैंक में जमा कराया था। यूपी में पार्टी के लिए जमा पैसे की ज़्यादातर किताबें आ गई थी। सिर्फ पश्चिमी यूपी से नहीं आया। जब पता किया तो, पता चला पैसा नसीमुद्दीन और उनके बेटे ने ले लिया है। हमने किताब लाकर हिसाब देने को कहा था। पार्टी के लोग चुनाव परिणाम आने के बाद बोले, पैसा नसीमुद्दीन को दिया है। कहा, ये गरीबों,मजलूमों की पार्टी है। लेकिन उसने फोन पर बेहूदा बातें की।

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हम धन्ना सेठों से पैसा नहीं लेते

माया ने कहा, जब मैंने पार्टी चंदे का हिसाब देने को कहा तो नसीमुद्दीन ने मेरा फोन टेप करना शुरू किया। उसने 9 मई तक अपना हिसाब जमा नहीं किया।पश्चिमी यूपी के लोगों ने और बातें बताई थी, जो मैं नहीं कहना चाहती। सतीश चंद्र मिश्रा ने कल उसे पार्टी से निकले जाने की कई वजहें आपलोगों (मीडिया) को बताई। कई वजहों से उनको पार्टी से निकाला गया। हम छोटा-बड़ा चुनाव लड़ने के लिए धन्ना सेठों से पैसा नहीं लेते। सदस्यता के जरिए पार्टी के पास पैसा आता है।

टेप में सिर्फ अपने मतलब की बातें सुनाई

मायावती ने टेप प्रकरण पर कहा, 'आपने जो सुना वो सही नहीं है। मैंने क्या बोला, वो नहीं सुनाया। अपने मतलब की बातें सुनाई। मेंबरशिप के सिवाए कोई बात नहीं हुई। लोग कहते हैं पैसा दे दिया है जब पैसा देने वाले से आमना-सामना करने की बात कही, तो नसीमुद्दीन भागने लगा।'

किसी अन्य मुस्लिम चेहरे को सामने आने नहीं देता था

माया बोलीं, लोगों ने बताया की नसीमुद्दीन ने ये कहकर उनसे पैसे लिए कि प्रदेश में सरकार बनने वाली है। मुझे कई विभाग मिलेंगे। इसी नाम पर धन उगाही की गई। ऐसे लोगों को पार्टी में रखने वाली मैं नहीं हूं।' इसने मुस्लिम समाज के प्रभावशाली लोगों को आगे आने नहीं दिया। मुस्लिम समाज के जो लोग मुझसे जुड़ते हैं उन्हें पार्टी में टिकने नहीं देता था। इसी वजह से हमने नसीमुद्दीन को एमपी भेजा।

मेरा भाई भी व्यापार कर आगे बढ़ा है

नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने जिन लोगों से पैसा लिया उनका सामना नहीं करना चाहता था। जब से पार्टी में आया है किसी ना किसी रूप में ठेकेदारों और प्रॉपर्टी डीलरों के संपर्क में रहा है। एक छोटे से छोटा आदमी भी बड़ा बन सकता है। अंबानी का बैकग्राउंड क्या था? सब जानते हैं। मेरा भाई भी व्यापार करके आगे बढ़ा है।

नसीमुद्दीन की कोई लड़की थी ही नहीं

नसीमुद्दीन ने मेरे सामने मुस्लिम समाज के लिए किस भाषा का प्रयोग किया, वो मैं नहीं कर सकती। मुस्लिम समाज के लोगों ने ख़ुशी ज़ाहिर की है। मैं बता दूं, नसीमुद्दीन की कोई लड़की थी ही नहीं। साले की लड़की गोद ली हुई थी। मेरे ऊपर गलत आरोप है कि मेरे वजह से बेटी की मौत हुई।

जो बेटे को नहीं जीता सका वो...

बसपा सुप्रीमो ने कहा, जो अपने बेटे को नहीं जीता सका, वो मुझे क्या जिताएगा। 2014 में इसने अपने बेटे को लोकसभा चुनाव लड़ाया। बेटा हार गया। खुद नसीमुद्दीन ने 1990 में चेयरमैन का चुनाव लड़ा था बुरी तरह हारे थे। 2017 विधानसभा चुनाव में भी बेटे को नहीं जीता सके। बसपा जन्म कब हुआ ये भी उन्हें नहीं पता। 1991 में पहली बार बसपा के टिकट पर लड़े थे और जीते थे। बांदा सदर से 1993 में चुनाव लड़ा हार गए। उसके बाद कभी सीधा चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं की। फिर एमएलसी बनाया था। नसीमुद्दीन की खुद की तुलना सतीश चंद्र मिश्रा से करना इन्हें शोभा नहीं देता है।

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