सपा केे लक्जरी रथ से निकला विकास रथयात्रा का दिवाला, हुड़दंगबाजों ने की मारपीट
लखनऊः बसपा मुखिया मायावती ने बसपा की विकास रथयात्रा को दिवालिया रथयात्रा करार देते हुए कहा है कि करोड़ों रुपयों वाली लक्जरी रथ सपा सरकार के मुखिया के यात्रा का शुरू में ही दिवाला निकाल गई। इसके साथ चलने वाले हुड़दंगबाजों ने पहले आपस में खूब मार-पीट की और फिर यात्रा के रास्ते में जो भी मिला। उसको लूटते-खसोटते चले गए। पुलिस को केवल तमाशबीन बने रहने को मजबूर होना पड़ा।
मायावती ने शुक्रवार को जारी अपने एक बयान में कहा है कि विकास रथयात्रा के आयोजित कार्यक्रम में सरकार की मौजूदगी में समाजवादी युवक आपस में ही उसी तरह सेे भिड़ गए जैसे कि उन्होंने आमतौर पर प्रदेश में अराजकता व जंगलराज कायम करकेे हर वर्ग के लोगों का जीवन बेहाल कर रखा है। उन्हें वर्तमान मुख्यमंत्री का खुला संरक्षण प्राप्त है और यह सब सपाई तमाशा सपा के सभी बड़े नेताओं की मौजूदगी में हुआ लेकिन सभी ख़ामोश तमाशाबीन बने रहे।
विकास के दावे भी हवा हवाई होने की लोगों को शिकायत
बसपा मुखिया ने कहा कि किसी भी सरकार के लिये उसके काम को बोलना चाहिए, लेकिन जिस प्रकार वर्तमान मुख्यमंत्री को अपने गुमनाम होने की शिकायत है कि लोग उन्हें नहीं पहचानते, ठीक उसी प्रकार उनके विकास के दावे भी हवा-हवाई होने की लोगों को शिकायत है। सपा सरकार ने जनहित के वास्तविक काम किए होते तो उन्हें भारी सरकारी शान-शौकत के साथ विकास रथयात्रा निकालने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
डेंगूू पर घेरा
-हाईकोर्ट व सुप्रीमकोर्ट तक से सपा सरकार को फटकार मिलती रही है।
-डेंगूू जैसी घातक बीमारी ने महामारी का रूप धारण कर लिया।
-हाईकोर्ट को काफी सख़्ती के साथ इस मामले में भी दख़ल देना पड़ा।
सपा सरकार का मुखिया इन बातों के मद्देनजर शर्मिन्दा व सतर्क नहीं,बल्कि कुछ जगह ही निष्प्रभावी ढंग से शुरू हुयी एम्बुलेन्स सेवा का ही ढिंढ़ोरा पीटता रहता है। सपा सरकार को लगभग 22 करोड़ जनता का ख़्याल रखने की संवैधानिक जिम्मेदारी है। कुछ ज़िला व मण्डल स्तर पर विकास की बात करके लोगों का वोट हासिल करना चाहता है।
-बसपा सरकार में बनाये गये स्मारकों व पार्कों को फ़िज़ूलख़र्ची बताकर व उनका अनादर करके
-सीएम ना केवल ओछी व जातिवादी द्वेषपूर्ण राजनीति कर रहे हैं।
-बल्कि दिखावटी (छद्म) समाजवादी होने का भी परिचय दे रहे हैं।
-लोहिया पार्क व इटावा में मौज-मस्ती के लिए लायन सफ़ारी बनाने
-सैफ़ई महोत्सव पर करोड़ों-अरबों रुपयों के ख़र्च को फ़िजूलख़र्ची मानने को तैयार नहीं है।
-यह इस सपा सरकार का कैसा दोहरा चाल, चरित्र व चेहरा?
-भाजपा से सपा की मिलीभगत है।
-इसलिए सीएम, मोदी सरकार के खिलाफ इशारों-इशारों में बात करता है
-खुलकर आलोचना या निन्दा भी करने में काफी हिचकता है।
-बसपा के खिलाफ ग़लत आरोप व अनर्गल बातें करने में बाप से भी दो कदम आगे रहता है।
-ऐसा समझना गलत होगा कि जनता इन बातों का नोट नहीं ले रही है।