अंबेडकर जयंती से बढ़ेगी चुनावी गर्मी, मायावती करेंगी शक्ति प्रदर्शन

Update: 2016-04-13 07:55 GMT

लखनऊ: यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में 20 प्रतिशत दलित वोट पर सभी दलों की नजरें हैं, इसीलिए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के साथ उनकी जयंती का भी महत्व बढ गया है। बीएसपी बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर को अपना दलित आइकॉन बना चुकी है, उसके लिए तो यह दिन कई राजनीतिक मायने रखता है। खासतौर से तब, जबकि बीजेपी और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियां दलितों को अपनी-अपनी तरह से लुभाने में लगी हैं। मायावती 14 अप्रैल को चुनावी रणभेरी बजा सकती हैं। वह इस मौके पर अपने चुनावी दौरों की घोषणा भी कर सकती हैं।

वोटबैंक में सेंधमारी से होगा बचाव

कभी संतरविदास तो कभी बाबा साहब अंबेडकर को मुद्दा बनाकर बीजेपी और कांग्रेस दलित वोटबैंक में सेंध लगाने की फ़िराक में हैं। विरोधी दलों की लगातार चल रही कोशिशों को बीएसपी सुप्रीमो बहुत ध्यान से मॉनिटर कर रही हैं और समय-समय पर इस मुद्दे पर उन्होंने बयान भी जारी किए हैं। मायावती 14 अप्रैल को लखनऊ में बड़ा जमावड़ा कर करारा जवाब देंगी। बसपा दलित समाज में जन्में संतों, गुरुओं, महापुरुषों के सम्मान में उनकी जयन्ती व पुण्य तिथि पर बड़े आयोजन करती रही है।

बाबा साहब अम्बेडकर की बर्थ एनिवर्सिरी 14 अप्रैल और पुण्य तिथि 6 दिसम्बर को पार्टी हर साल आयोजन करती रही है परंतु विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही जिस तरह विरोधी दलों ने पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश तेज कर दी है, उसके बाद पार्टी ने बाबा साहब के जन्मदिन पर इस बार शक्ति प्रदर्शन से जवाब देने का फैसला किया है।

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बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण से होगी शुरुआत

बीएसपी के पूर्व सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता बृजेश पाठक ने बताया-

-मायावती सुबह गोमतीनगर स्थित अम्बेडकर पार्क में बाबा साहब की मूर्ति पर माल्यार्पण करेंगी।

-इसके बाद अन्य कार्यक्रमों का आयोजन होगा।

-वैसे तो पार्टी के सभी कोऑर्डिनेटर्स और विधानसभा प्रभारियों की मीटिंग हर महीने 10 तारीख को होती है।

-लेकिन इस बार अम्बेडकर जयंती समारोह की वजह से 14 अप्रैल को ही ये मीटिंग होगी।

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जयंती के बहाने होगा दोहरा शक्ति परीक्षण

-चुनावी साल होने के कारण अम्बेडकर जयंती का महत्व बढ़ चुका है।

-इस मौके पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में जुटने वाली भीड़ विरोधियों को दिखाने के लिए होगी।

-भीड़ को लाने की चुनौती पार्टी के सभी बड़े नेताओं, विधानसभा प्रभारियों और कोऑर्डिनेटर्स को पूरी करनी है।

-इन सभी को पिछले महीने ही जयंती के मौके पर ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने के निर्देश दिए जा चुके हैं।

-ऐसे में ढिलाई बरतने वाले नेता और प्रभारी भी जानते हैं उन पर किस तरह की गाज गिर सकती है।

-दरअसल जयंती पर अपना शक्ति प्रदर्शन कर मायावती दलित समाज में यह संदेश देना चाहती हैं कि वे और उनकी पार्टी ही बाबा साहब की असली अनुयायी हैं।

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