Meerut News: चुनाव परिणामों के बाद मायावती जाटव समाज को लेकर हुई गंभीर

बीएसपी सुप्रीमो मायावती विधानसभा चुनाव के बाद जाटव समाज को लेकर गंभीरता दिखाई।

Report :  Sushil Kumar
Published By :  Divyanshu Rao
Update: 2022-03-18 11:05 GMT

 बसपा सुप्रीमो मायावती (फोटो- न्यूजट्रैक) 

Meerut News: ताजा विधानसभा चुनाव के बाद बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती एक तरफ जाटवों को लेकर गंभीर दिख रही हैं। वहीं ब्राह्मण वोटों को लेकर उनकी गंभीरता में कमी आई है। यही वजह है कि लोकसभा में ब्राह्मण समाज के रितेश पांडेय को हटा कर उनकी जगह जाटव समाज के गिरीश चंद्र को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया गया है।

गौरतलब है कि रितेश पांडेय को उस हालात में हटाया गया है जबकि बहुजन समाज पार्टी के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्र की राज्यसभा इस साल जुलाई में खत्म हो रही है। मायावती अच्छी तरह से जानती है कि सतीश चंद्र मिश्र को दोबारा राज्यसभा में नही भेजा जा सकता है क्योंकि उत्तर प्रदेश में उनका मात्र एक विधायक ही जीता है। ऐसे में रितेश पांडेय को हटाने से हुई ब्राह्मण समाज की नाराजगी सतीश चंद्र मिश्र को राज्यसभा में पुनः भेजकर दूर भी नही की जा सकती है। साफ है कि उन्हें ब्राह्मण समाज की नाराजगी मंजूर है लेकिन,जाटव समाज की नही।

दरअसल,चुनाव नतीजों के बाद जातियों के वोटिंग पैटर्न का जो डाटा सामने आया है उसके मुताबिक 21 से 25 फीसदी तक जाटवों ने भाजपा को वोट दिया है। पश्चिमी यूपी के एक वरिष्ठ बसपा नेता कहते हैं,बहनजी को ताजा चुनाव में अच्छे परिणाम की पहले ही उम्मीद नही थी। यही वजह रही कि चुनाव के दौरान कम सक्रिय रही।

लेकिन उनको यह अंदाजा कतई नहीं था कि इस तरह एक चौथाई जाटव भी साथ छोड़ देंगे। मायावती को यह सच्चाई भी मालूम है कि उनकी ताकत जाटव समाज है। जाहिर है कि जाटव अगर ऐसे ही बसपा से दूर होता रहा तो बसपा का अस्तित्व ही संकट में पड़ जाएगा। यही वजह है कि मायावती जाटव वोटों को लेकर गंभीर हो गई हैं।

मायावती की तस्वीर (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

जाटव वोंटों को लेकर मायावती इसलिए भी चितिंत है क्योंकि भाजपा पिछले काफी अर्से से जाटव समाज को अपने पाले में लाने की कोशिसों में जुटी हुई है। ताजा विधानसभा चुनाव से पहले तो भाजपा की यह कोशिश और तेज हुई है। उत्तराखंड की राज्यपाल रहीं बेबी रानी मौर्य को वापस बुला कर चुनाव लड़ाया जाना। भाजपा की ऐसी ही एक कोशिश है। गौरतलब है कि बेबी रानी मौर्य भी जाटव समाज से आती है। मौर्य के उप मुख्यमंत्री बनने की चर्चा भी जोरो पर है। हैं। इसी तरह जाटव समाज के आईएएस अधिकारी असीम अरुण वीआरएस लेकर कानपुर से चुनाव लड़ कर विधायक बन चुके हैं। उनके भी मंत्री बनने की चर्चा है। भाजपा की कोशिशों से मायावती की चिंता बढ़ी है और उन्होंने अपना कोर वोट बचाने का प्रयास शुरू कर दिया है।

लोकसभा में गिरीश चंद्र को नेता लोकसभा बनाया जाना मायावती की ताजा रणनीति का ही हिस्सा है। पार्टी के अंदर से छनकर आ रही जानकारी के अनुसार २०२४ चुनावी मिशन के तहत उनका ध्यान अपने वोट बैंक जाटव समाज के साथ ही मुसलमानों की तरफ भी है। क्योंकि उन्हें यह सच्चाई भी मालूम है कि अकेले जाटव समाज के वोंटो के बलबूते उनके लिए उत्तर प्रदेश में फिर से वपसी करना करना कठिन ही नही नामुमकिन है। ऐसे में निकट भविष्य में बसपा मुसलमानों को अपनी तरफ जोड़ने की कोशिशें तेज तक कर सकती है। संभव है कि कुछ पुराने बसपाई मुसलमान नेताओं की पुनः बसपा में वपसी कराई जाए।

बहरहाल,मायावती के राजनीतिक भविष्य के लिए 2024 का चुनाव काफी महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि मायावती जो कि विधानसभा चुनाव के पहले और चुनाव के दौरान लगभग पूरी तरह से एक तरह से निष्क्रिय रहीं हैं अचानक सक्रिय हो गई हैं। अब मायावती की सक्रियता बसपा को पुनः उत्तर प्रदेश में पहले की तरह जीवित कर पाती है अखवा नही इसका खुलासा तो 2024 के चुनाव परिणाम ही करेंगे,जो कि अभी करीब दो साल दूर हैं।

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