Meerut News: मेरठ में कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट की दस्तक, पुष्टि के लिए भेजे गए सैंपल
Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ के एक गांव में चार आशा कार्यकर्ताओं में संक्रमण मिलने के बाद डेल्टा वेरिएंट की आहट की संभावना को लेकर जांच शुरू हो गई है।;
कॉन्सेप्ट फोटो ( फोटो सौजन्य से सोशल मीडिया)
Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ के एक गांव में चार आशा कार्यकर्ताओं में संक्रमण मिलने के बाद डेल्टा वेरिएंट की आहट की संभावना को लेकर जांच शुरू हो गई है। चारों आशा कार्यकर्ताओं के सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ पुणे भेजे गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार अगले कुछ दिनों में इसकी रिपोर्ट आ जाएगी कि कहीं ये डेल्टा प्लस वेरियंट तो नहीं है?
सीएमओ डॉक्टर अखिलेश मोहन का कहना है कि एहितायतन ये कदम उठाया गया है। सीएमओ डा.अखिलेश मोहन ने बताया कि शासन ने जीनोम सिक्वेंसिंग पर ज्यादा फोकस किया है। पहले हर माह 30 सैंपलों की जीनोम जांच का लक्ष्य था, लेकिन डेल्टा प्लस के संक्रमण को देखते हुए सभी सैंपलों की जांच की जाएगी। मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डा. अशोक तालियान ने बताया कि मेडिकल कालेज ने अब तक दो सौ से ज्यादा सैंपलों को जांच के लिए एनआइवी पुणो और एनसीडीसी नई दिल्ली भेजा है।
सीएमओ डा. अखिलेश मोहन के् अनुसार मेरठ के अंदर डेल्टा वेरियंट की कोई आशंका नहीं है लेकिन चूंकि महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में डेल्टा वेरियंट के केसेज मिले हैं। इसलिए एहतियात बरता जा रहा है। सीएमओ का कहना है कि मेरठ के खरखौदा इलाके के एक गांव में चार लोगों के सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे गए हैं। बताया गया कि ये चारों आशा वर्कर हैं. सीएमओ ने बताया कि जीनोम सिक्वेंसिंग से मालूम चल जाएगा कि कौन सा वेरियंट है? अगर कोई नया वेरियंट है तो भी पता चल जाएगा और ये भी पता चल जाएगा कि कहीं ये डेल्टा प्लस वेरियंट तो नहीं है।
चिकित्सकों का कहना है कि दूसरी लहर में कोरोना के डेल्टा वायरस ने तबाही मचाई, जिसमें म्यूटेशन से यह डेल्टा प्लस बन गया, जो कई गुना घातक है। मेडिकल के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा. अरविन्द का कहना है कि मोनोकोनल एंटीबाडी इस पर काम नहीं करती है। वायरस के स्पाइक प्रोटीन में बदलाव से कोशिकाओं में तेज प्रवेश करता है। स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कालेज की माइक्रोबायोलोजी लैब के जरिए दो सौ सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे हैं।
डेल्टा वेरियंट से निपटने के लिए मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में जीनोम सिक्वेंसिंग की लैब स्थापित कराने के लिए दो करोड़ का प्रस्ताव गेल को भेजा गया है। जिलाधिकारी मेरठ के बालाजी ने इस बारे में जानकारी दी। जिलाधिकारी के बालाजी का कहना है कि अगर मेडिकल कॉलेज में लैब स्थापित हो जाएगा तो यहीं से आईडेंटिफाई किया जा सकता है कि व्यक्ति को कौन सा वेरियंट है। के बालाजी का कहना है कि जहां-जहां केसेज़ निकल रहे हैं। वहां वहां सारे विषयों पर आंकलन किया जा रहा है। जिलाधिकारी के अनुसार हालांकि कोरोना के केसेज़ कम होने कारण कर्मचारियों की संख्या कम है। अगर केसेज़ बढ़ेंगे तो कंट्रोल रुम में कर्मचारी भी बढ़ाए जाएंगे।