Meerut Famous Sweets: मेरठ की रेवड़ी- गजक का तो स्वाद ही निराला है, देश ही नहीं पूरे विश्व में मशहूर है
Meerut Famous Sweets: यही वजह है कि मेरठ में रेवड़ी, गजक का कारोबार करोड़ों में होता है। काजू वाली गजक, पट्टी वाली गजक, रामकला गजक, चॉकलेट गजक, मशरुम गजक, पिज्जा गजक, मूंगफली गजक और प्योर मक्खन की बनी गजक खास लोकप्रिय है।
Meerut Famous Sweets: उत्तर प्रदेश का मेरठ शहर खेल सामग्री के अलावा रेवड़ी-गजक को लेकर ना सिर्फ देश में बल्कि पूरे विश्व में मशहूर है। मेरठ में मिलने वाली रेवड़ी गजक का जैसा स्वाद है वैसा कहीं और नहीं मिलेगा। यही कारण है कि मेरठ की बनी रेवडी गजक न सिर्फ देश में , बल्कि कनाड़ा, लंदन, साउदी अरब, यूएस, सिंगापुर, दुबई सहित कई देशों में भी बड़ी मात्रा में सप्लाई की जाती है।
यही वजह है कि मेरठ में रेवड़ी, गजक का कारोबार करोड़ों में होता है। काजू वाली गजक, पट्टी वाली गजक, रामकला गजक, चॉकलेट गजक, मशरुम गजक, पिज्जा गजक, मूंगफली गजक और प्योर मक्खन की बनी गजक खास लोकप्रिय है।
मेरठ में रेवड़ी गजक के बाजार की बात की जाए तो जाए तो शुरुआती दौर में शहर की घनी आबादी वाले इलाके गुजरी बाजार में इसकी दुकानें थीं। जानकारों की मानें तो गुजरी बाजार में रेवड़ी-गजक की शुरुआत लाला रामचंद्र सहाय ने 1904 में गुड और तिल को कूटकर पटटी और गजक बनाने से की थी। फिलहाल,रामचंद सहाय के चौथी पीढ़ी इस काम को कर रही है।
गुजरी बाजार की छोटी सी दुकान में बनने वाली यह मिठाई स्थानीय लोगों सहित अंग्रेजों को भी खूब पसंद आई थी। बताते हैं कि लाला रामचंद सहाय ने चार कारीगरों की मदद से रेवड़ी-गजक बनाई। स्वाद में बेजोड़ यह गुड की रेवडी और गजक लोंगो को इस कदर पसंद आई कि आज इसे बनाने वालों कारीगरों की संख्या आज हजारों में है। वर्तमान की बात करें तो गुजरी बाजार के अलावा शहर के बुढ़ाना गेट-जीमखाना मैदान के अलावा सदर बाजार में रेवड़ी- गजक, रेवड़ी का बाजार पांव पसार चुका है। समय के साथ रेवड़ी गजक को बनाने में कई प्रयोग किए गए और आज देश विदेश में रेवडी गजक मेरठ के नाम से प्रसिद्ध है।
बुढ़ाना गेट ,जीमखाना मैदान के पास रामचंद्र सहाय रेवड़ी गजक वाले संदीप कहते हैं- रेवड़ी-गजक बनाने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है। क्योंकि रेवड़ी-गजक बनाने का काम मशीनों से नहीं बल्कि हाथ से ही किया जाता है। संदीप आगे कहते हैं-दीपावली के मौके पर लोग उपहार भेंट भी रेवड़ी गजक देते हैं। यही कारण है कि, बड़ी मात्रा में यहां से रेवड़ी गजक की सप्लाई अन्य राज्यों के लिए भी की जाती है। संदीप के अनुसार यहां पर एक दो नहीं नहीं बल्कि कई तरह की गजक तैयार की जाती हैं। जैसे कि मलाई गजक, आगरा गजक, गजक रोल, चीनी की गजक, गुड़ की गजक, तिल की गजक, यहां विशेष रूप से बनाई जाती है। संदीप के अनुसार गुड़ और तिल से बनी रेवड़ी के दाम भी उसके स्वाद और क्वालिटी के अनुसार तय किए जाते हैं।
रेवड़ी-गजक बनाने वाले कारीगर अरुण के अनुसार रेवडी बनाने के लिए ताजे गुड को गरम कर उसकी चाशनी बनाई जाती है, इसमें देशी घी, जावित्री, जायफल मिलाया जाता है। इसके बाद इसकी पिटाई या खिंचाई की जाती है। इसके बाद उसमें तिल चिपकाए जाते हैं और फिर हल्का गर्म किया जाता है इससे उसमें चिव्ंगम की तरह खिंचाव आता है। फिर तैयार होती है विश्व प्रसिद्ध रेवड़ी गजक।