Meerut News: एशियन गेम्स में देश को पदक दिलाने वाली किरण की मां बोली- बेटी जल्दी से ओलंपिक में खेले और देश का नाम रोशन करे
Meerut News: यह महिला शॉट पुट में 72 साल बाद देश के लिए पहला पदक है। किरण की इस उपलब्धि पर उनके घर पर उत्सव माहौल है।
Meerut News: उत्तर प्रदेश मेरठ की रहने वाली और मूलरूप से मुजफ्फरनगर के पुरबालियान गांव की निवासी किरण बालियान(23) ने हांगझोऊ एशियाई खेलों में देश को एथलेटिक्स (ट्रैक एंड फील्ड) का पहला पदक दिलाया। उन्होंने शुक्रवार को शॉट पुट में 17.36 मीटर दूर गोला फेंककर अपने करियर का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। यह महिला शॉट पुट में 72 साल बाद देश के लिए पहला पदक है। किरण की इस उपलब्धि पर उनके घर पर उत्सव माहौल है। मां बाबी के अनुसार बेटी की इस कामयाबी का पता परिवार को शुक्रवार को टीवी देखने के बाद लगा। इसके बाद खुद बेटी ने घर पर फोन करके अपने मां और पिता को इसकी जानकारी दी।
जिला एथलेटिक संघ के पदाधिकारियों के अलावा क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी योगेन्द्र पाल सिंह ने उन्हें बधाई दी। क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी ने बातचीत में कहा कि यह बच्ची (किरण) हमारे कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम में रोजाना प्रैक्टिस करती है। किरण की इस उपलब्धि से हमें बहुत खुशी के साथ गर्व है। इसने मेरठ,यूपी का ही नहीं बल्कि इंडिया का नाम रोशन किया है। इससे बढ़कर और क्या बात हो सकती है। किरण शॉट पुट में राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीत चुकी हैं। उनके पिता सतीश बालियान पीएसी में तैनात हैं।
जीता स्वर्ण पदक
काफी खुश दिख रही किरण की मां बॉबी बताती हैं कि किरण ने इस वर्ष 10 सितंबर को 17.92 मीटर गोला फेंककर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। वह गुजरात राष्ट्रीय खेलों में 17.14 मीटर के साथ चैंपियन भी बनीं थीं। किरण ने पहला थ्रो 15.42 मीटर फेंका। उसके बाद उन्होंने 16.84 और तीसरी थ्रो 17.36 मीटर का किया। इसके बाद उन्होंने 16.79 और 16.87 का थ्रो किया। चीन की लीजियाओ गांग ने 19.58 मीटर के साथ स्वर्ण और इसी देश की जियायुआन ने 18.92 मीटर के साथ रजत पदक जीता। किरण का चयन राजस्थान पुलिस की आइबी में इंस्पैक्टर रद पर 29 जून 2022 में खेल कोटे से हुआ था। किरण बालियान ने मेरठ में कोच रोबिन के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लिया है।
ओलंपिक में देखना चाहती हैं मां
मां बाबी के अनुसार असुरक्षा जैसी अड़चनों से निपटने के लिए वह रोजाना स्कूटी पर किरण के साथ स्टेडियम जाती थीं। दोनों सुबह सवा छह से आठ बजे तक स्टेडियम में रहते थे। इसके बाद शाम चार से साढ़े छह बजे तक दोनों फिर अभ्यास के लिए स्टेडियम जाते थे। बाकी समय में मां बॉबी घर का काम, बेटी को खाना देना करती थीं। बॉबी के मुताबिक, उनका बेटा बास्केटबॉल खेलता है, लेकिन वह छोटा है। बॉबी का सपना है कि बेटी जल्दी से ओलंपिक में खेले और देश का नाम रोशन करे, ताकि उनकी तपस्या सफल हो जाए।
मां बॉबी के मुताबिक, उनका छोटा बेटा देव बालियान(19) बास्केटबॉल मां बॉबी बताती हैं कि उनका का सपना है कि उनकी बेटी जल्दी से ओलंपिक में खेले और देश का नाम रोशन करे, ताकि उनकी तपस्या सफल हो जाए। मां बाबी का यह भी कहना है कि किरण की कामयाबी में उनके पति(किरण के पिता) का बहुत योगदान रहा है। दैसा कि बाबी कहती हैं,परिवार व समाज के लोग किरण के खेल के खिलाफ थे। वें किरण के पिता को भी कहा करते थे कि बेटी को इन खेल-वेल के पचड़ो में ना डालो। लेकिन,उन्होंने कभी परिवार व समाज के लोगो की परवाह नहीं की। उनका बस यही लक्ष्य रहा कि उनकी बेटी खेल के मैदान में कामयाबी हासिल कर पूरी दुनिया में देश का नाम करें। बकौल,बाबी हमारी आर्थिक हालत कोई अच्छी नहीं थी। लेकिन फिर भी हमने अपनी बेटी के बेटी के सपनों को पूरा करने में कोई कमी नहीं आने दी।
मां बॉबी बताती हैं कि महिला ट्रेनर न होने की वजह से किरण को स्ट्रेचिंग करने, प्रैक्टिस करने में दिक्कत आती थी। इसमें लड़कों की मदद नहीं ले सकते थे। इसीलिए यह सब वह खुद ही किरण से करवाती थीं। बॉबी केवल बेटी को व्यायाम नहीं करातीं, बल्कि वीडियो बनाकर उसकी गलतियां भी बताती थीं। बेटी के साथ रोजाना स्टेडियम आकर बॉबी इस खेल की सभी बारीकियों को समझ चुकी थीं। आठवीं पास बॉबी का कभी खेलों से ताल्लुक नहीं रहा, लेकिन बेटी के साथ आते-आते वह मंझे हुए कोच की तरह बन गईं। अब किरण ने एशियाई खेलों में देश को एतिहासिक पदक दिलाकर अपनी मां बॉबी और पूरे परिवार का नाम रोशन किया है।