UP Politics: ...तो उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर और आकाश आनंद के बीच लड़ाई के लिए मंच तैयार है
UP Politics: नगीना के सांसद चंद्रशेखर आज़ाद एक नए प्रतिद्वंद्वी के रूप में युवा पीढ़ी के दलित मतदाताओं के बीच गहरी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं और मायावती के गढ़ नगीना सीट पर भाजपा, सपा और बसपा तीनों को हराकर उन्होंने काफी हद तक यह साबित करने में कामयाबी भी हासिल की है।
UP Politics: नगीना लोकसभा में जीत के बाद चंद्रशेखर आज़ाद फुल फार्म में दिख रहे हैं। नगीना लोकसभा के बाद उऩकी कोशिश 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों में अपनी ताकत दिखाने की है, ताकि बसपा के खिसकते चुनावी आधार और खासकर दलितों की युवा पीढ़ी को भुनाया जा सके। उधर, 28 वर्षीय आकाश आनंद को भावी बीएसपी चेहरे के रूप में पेश करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में अब उत्तर प्रदेश की दलित राजनीति में आकाश आनंद बनाम चंद्रशेखर का मुकाबला तय माना जा रहा है।
बता दें कि हाल के लोकसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद, पार्टी अध्यक्ष मायावती ने पिछले दिनों एक बार फिर अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और अपने पिछले फैसले को पलटते हुए उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया है। राजनीतिक हलकों में बसपा सुप्रीमों मायावती का आकाश आनंद को लेकर किया गया ताजा फैसला पूरी तरह से चंद्रशेखर आज़ाद का मुकाबला करने के लिए माना जा रहा है। दरअसल, नगीना के सांसद चंद्रशेखर आज़ाद एक नए प्रतिद्वंद्वी के रूप में युवा पीढ़ी के दलित मतदाताओं के बीच गहरी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं और मायावती के गढ़ नगीना सीट पर भाजपा, सपा और बसपा तीनों को हराकर उन्होंने काफी हद तक यह साबित करने में कामयाबी भी हासिल की है।
गौरतलब है कि हाल के चुनाव में, आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र नगीना से 1,50,000 से अधिक मतों से जीत हासिल की, जिसमें बड़ी संख्या में दलित मतदाता हैं, उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के ओम कुमार को बेहद रोमांचक चुनाव में हराया। नगीना संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी पांच विधानसभा सीटें बिजनौर जिले का हिस्सा हैं। उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने 1989 में बिजनौर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी, जो उनका पहला संसदीय पदार्पण था।
बहरहाल, चंद्रशेखर अंबेडकर, कांशीराम और मायावती तीनों का नाम लेकर जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं उससे इतना तो साफ है कि उत्तर प्रदेश की दलित राजनीति में आकाश आनंद के लिए चंद्रशेखर आज़ाद से मुकाबला आसान नहीं रहने वाला है।