Meerut News: ओबीसी मतों के लिए भाजपा व विपक्ष में घमासान

Meerut News: भाजपा ओबीसी वोटरों को लुभाने के लिए पार्टी के कद्दावर नेताओं के अलावा गठबंधन से जुड़े आबीसी नेताओं का सहारा लेने से भी पीछे नहीं है।

Report :  Sushil Kumar
Update:2023-09-29 15:01 IST

Clash between BJP and opposition in Meerut  (photo: social media )

Meerut News: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछाई जाने लगी है। भाजपा व विपक्ष की नजरे फिलहाल ओबीसी मतो पर है। सत्ताधारी भाजपा की बात करें तो भाजपा ओबीसी वोटरों को लुभाने के लिए पार्टी के कद्दावर नेताओं के अलावा गठबंधन से जुड़े आबीसी नेताओं का सहारा लेने से भी पीछे नहीं है। भाजपा के कई बड़े जिनमें केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं की यूपी में सभाएं व रैलियां प्रस्तावित हैं। मेरठ की बात करें तो रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामदास आठवले सरकार के पक्ष में माहौल बनाने के लिए एक अक्टूबर को आइटीआइ साकेत में जन अधिकार रैली को संबोधित करेंगे। इस रैली में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी विशिष्ट अतिथि के रुप में शामिल होंगे।

दरअसल, आठवले महाराष्ट्र में ओबीसी मतदाताओं में अच्छा प्रभाव रखते हैं। वह सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में राज्यमंत्री हैं। वहीं कांग्रेस पार्टी भी पिछड़ों को अपने पक्ष में लामबंद करने में जुटी है।इसे लेकर कांग्रेस की ओर से रणनीति बनाई गई है। इस रणनीति के तहत कांग्रेस की ओर से मंडल से लेकर जिला स्तर तक पिछड़ा वर्ग सम्मेलन किये जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग के अध्यक्ष मनोज यादव को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। इस कार्यक्रम के तहत 28 सितंबर को मेरठ में पिछड़ा वर्ग सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव जो कि कांग्रेस ओबीसी विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं ने कांग्रेस को ओबीसी का बड़ा हितेषी होने का दावा करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार आने पर जातीय जनगणना कराई जाएगी और पिछड़ो वंचितो की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। 1 अक्टूबर को कांग्रेस बरेली में मंडलीय सम्मेलन कर रही है। इसके अलावा पार्टी द्वारा प्रदेश में नए सिरे से जिला स्तरीय सम्मेलन शुरू करने की तैयारी है जिसमें पाल, निषाद, यादव, नोनिया, नाई, कुम्हार, लोधी, कुर्मी, कहार, लोहार, बढ़ई और चौरसिया समाज के प्रतिनिधियों को बुलाया जाएगा।

 यूपी में सबसे बड़ा वोट बैंक पिछड़ा वर्ग

वैसे तो उत्तर प्रदेश में जातीय आधार पर पिछड़ा वोट बैंक का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक यूपी में सबसे बड़ा वोट बैंक पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का है. लगभग 52 फीसदी पिछड़ा वोट बैंक में 43 फीसदी वोट बैंक गैर यादव बिरादरी का है, जो कभी किसी पार्टी के साथ स्थाई रूप से नहीं खड़ा रहता है। प्रदेश की सियासत में पिछड़ा वर्ग की अहम भूमिका इस बात से समझी जा सकती है कि करीब 50 फीसदी ये वोट बैंक जिस भी पार्टी के खाते में गया, सत्ता उसी की हुई। 2017 के विधानसभा और 2014 व 2019 के लोकसभा में बीजेपी को पिछड़ा वर्ग का अच्छा समर्थन मिला। नतीजतन वह केंद्र और राज्य की सत्ता पर मजबूती से काबिज हुई। इससे पहले ऐसे ही 2012 में सपा ने भी ओबीसी समुदाय के दम पर ही सूबे की सत्ता पर काबिज हुई थी जबकि 2007 में मायावती ने दलित के साथ अति पिछड़ा दांव खेलकर ही चुनावी जंग फतह की थी।

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