Meerut News : फर्जी स्टांप घोटाला, सरकार को साढ़े सात करोड़ से ज्यादा राजस्व का नुकसान
Meerut News : उत्तर प्रदेश के मेरठ में करोड़ों रुपए के स्टांप घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें पिछले तीन साल में 997 फर्जी स्टांप पर बैनामे की पहचान की गई है।
Meerut News : उत्तर प्रदेश के मेरठ में करोड़ों रुपए के स्टांप घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें पिछले तीन साल में 997 फर्जी स्टांप पर बैनामे की पहचान की गई है। फर्जी स्टांप का इस्तेमाल सरकारी राजस्व में घोटाले के लिए किया गया। एआईजी स्टांप ज्ञानेंद्र कुमार ने आज न्यूजट्रैक से बातचीत में कहा कि शासन का नया आदेश भी आ गया है, जिसमें अब पिछले पांच साल में किये गये बैनामे की जांच की जानी है। उन्होंने बताया कि ऐसे में फर्जी स्टांप घोटाला साढ़े सात करोड़ से बढ़ कर और कहां तक पहुंचेगा कहा नहीं जा सकता।
उधर, करीब साढ़े सात करोड़ के फर्जी स्टाम्प पर 997 लोगों की रजिस्ट्री कराने वाला आरोपी वकील विशाल वर्मा अभी गिरफ्तार नहीं हो पाया है। विशाल वर्मा की गिरफ्तारी मांग को लेकर आज मेरठ व्यापार मंडल के अध्यक्ष जीतू सिंह नागपाल की अगुवाई में पीड़ितों ने एडीजी डीके ठाकुर से मुलाकात की। जीतू सिंह नागपाल ने एडीजी को बताया कि इस घोटाले में विशाल के अलावा दूसरे लोग भी शामिल हैं। उनके नाम उजागर करके जल्द रिपोर्ट दर्ज कराई जाए, अन्यथा विशाल वर्मा की तरह वह भी फरार हो जाएंगे। जीतू नागपाल के अनुसार, एडीजी डीके ठाकुर ने उन्हें जल्द ही विशाल वर्मा की गिरफ्तारी का भरोसा दिया है।
मेरठ में हुए करोड़ों रुपए के फर्जी स्टांप घोटाले के बारे में और अधिक जानकारी देते हुए एआईजी स्टांप ज्ञानेंद्र कुमार ने न्यूजट्रैक को बताया कि पांच हजार रुपए से अधिक के स्टांप पेपर केवल ट्रेजरी से मिलते हैं। इन्हें किसी बाहरी आदमी से नहीं खरीदा जा सकता। इस मामले में लोग दस्तावेज लेखक/अधिवक्ता विशाल वर्मा के पास रजिस्ट्री कराने गए। विशाल वर्मा ने लोगों से रजिस्ट्री कराने के सारे पैसे ले लिए और पता नहीं कहां से फर्जी स्टांप लाकर रजिस्ट्री करा दी। विशाल वर्मा इसी तरह फर्जी स्टांप लगा कर रजिस्ट्री कराता रहा।
एआईजी स्टांप ज्ञानेंद्र कुमार कहते हैं- जब जुलाई 2023 में मेरी मेरठ में पोस्टिंग हुई तो मेरा एक साथी नया सब रजिस्ट्रार जिसकी पहली पोस्टिंग मेरठ में थी। उसके सामने ऐसी दो रजिस्ट्री आई तो उसे शक हुआ। इस पर उसने उनको ट्रेजरी से वेरीफाई करवाया। ट्रेजरी से पता लगा कि उनके यहां से तो यह जारी ही नहीं हुए हैं। ट्रेजरी से जारी नहीं हुए हैं तो फिर कहां से जारी हुए हैं। तो पता लगा कि ट्रेजरी ने वो स्टांप 2013 में गाजियाबाद को बेच दिए थे। बाद में ट्रेजरी की नकली मोहर लगा कर और उस पर रोकड़िया के हस्ताक्षर कराए गए।
एआईजी स्टांप के अनुसार, इस मामले की रिपोर्ट उन्होंने विभागीय मंत्री और अपने विभाग के एचओडी को की। एचओडी ने फिर बाद में यह कहा कि यही दो मामले नहीं हो सकते। हो सकता है यह पहले से चल रहा हो। और भी मामले हो सकते हैं। जिसके बाद उन्होंने निर्देश दिया कि पिछले तीन साल के बैनामे की जांच करा ली जाए। जिनमें पांच हजार से ऊपर के स्टांप लगे हैं। जिसके बाद जांच तो लाखों बैनामों की हुई, लेकिन उनमें 997 ऐसे सामने आए जिन्हें ट्रेजरी ने जारी ही नहीं किए थे। मतलब जिनके नाम पर होना चाहिए, वह उनके नाम पर जारी न होकर किसी और के नाम पर 2012-2013 में जारी किए गए होंगे।
एआईजी स्टांप ज्ञानेंद्र कुमार के अनुसार, नियम यह है कि जो प्रापर्टी खरीद रहा है या तो उसके नाम पर जारी हो। अगर किसी अन्य के नाम से कोई खऱीद लेता है तो वह स्टांप शून्य हैं। जाहिर सी बात है कि सरकार के खाते में पैसा नहीं गया तो सरकार को राजस्व में क्षति हो गई। इसलिए ऐसे सभी 997 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। इसके अलावा विभागीय स्तर पर उन सभी 997 लोगो के खिलाफ स्टांप वाद नियोजित कर दिया। जिसके बाद इऩसे वसूली शुरु हो गई। जिसमें अब तक चार सौ लोग पैसा जमा करा चुके हैं।
एआईजी स्टांप ज्ञानेंद्र कुमार के अऩुसार इस मामले में पहली एफआईआर जुलाई 2023 में और दूसरी एफआईआर मई 2024 में थाना सिविल लाइऩ में दर्ज कराई गई। क्योंकि 997 लोगो का अपराध एक जैसा था। इसलिए इन सभी की एफआईआर एक साथ दर्ज कराई गई। उन्होंने बताया कि आरोपी वकील विशाल वर्मा के खिलाफ एफआईआर पीड़ितों द्वारा दर्ज कराई गई है।