जयंत BJP के लिए कितने अहम, मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद ही होगा खुलासा

Meerut: जयंत भाजपा के लिए महत्वपूर्ण नहीं रह गए हैं इन अटकलों को हवा तब मिली जब बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की बैठक में आरएलडी नेता जयंत चौधरी के मंच पर बैठने की जगह नहीं मिल सकी।

Report :  Sushil Kumar
Update:2024-06-08 13:32 IST

जयंत भाजपा के लिए कितने अहम (सोशल मीडिया)

Meerut News: भारतीय जनता पार्टी के लिए राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख जयंत चौधरी की अहमियत लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे घोषित होने के बाद घटी है या बढ़ी इसके लिए लोगों की निगाह इस बात पर है कि मोदी मंत्रिमंडल में जयंत चौधरी को शामिल किया जाएगा अथवा नहीं। अगर शामिल भी किया जाता है तो उन्हें कितनी अहम जिम्मेदारी दी जाएगी। हालांकि मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने के सवाल पर जयंत चौधरी ने इतना ही कहा है कि अभी एनडीए में इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है। वैसे, एनडीए में शामिल आरएलडी ने किसान या युवाओं से संबंधित मंत्रालय की मांग की है। उत्तर प्रदेश कैबिनेट मंत्री और रालोद विधायक अनिल कुमार ने कहा, ’हमें लगता है कि जयंत चौधरी को अहम जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। इसके साथ ही अनिल कुमार यह भी जोड़ते हैं कि रालोद की प्राथमिकता में किसान और नौजवान हैं। उन्हीं को ध्यान में रखते हुए जिम्मेदारी मिले तो अच्छा रहेगा।’

जयंत भाजपा के लिए महत्वपूर्ण नहीं रह गए हैं इन अटकलों को हवा तब मिली जब बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की बैठक में आरएलडी नेता जयंत चौधरी के मंच पर बैठने की जगह नहीं मिल सकी। दरअसल बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की बैठक में कई दिग्गज नेता पीएम मोदी के साथ मंच पर बैठे थे। लेकिन जयंत चौधरी को मंच पर जगह नहीं दी गई और वह सामने बैठे हुए थे। हालांकि जयंत चौधरी इस मुद्दे पर सीधे तौर पर कुछ कहने से बचते हैं। उनका बस इतना कहना है कि एनडीए संसदीय दल की बैठक में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया है। एनडीए की बैठक में हमने कई चर्चाएं की हैं। जिस तरह पीएम मोदी ने 10 साल काम किया है, उसी ऊर्जा के साथ आगे काम करेंगे। उन्होंने अपने मंत्री पद को लेकर भी कोई जिक्र नहीं किया।


भाजपा जयंत से गठबंधन को मान रही घाटे का सौदा

वैसे, भाजपा हलकों से छनकर आने वाली खबरों पर यकीन करें तो भाजपा जयंत चौधरी से गठबंधन को अपने लिए घाटे का सौदा मान रही है। भाजपाई सूत्रों का कहना है कि जयंत ने अपने हिस्से की दोनों सीटें तो भाजपा के वोट से जीत लीं, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद भाजपा के पक्ष में जाटों-किसानों के वोट ट्रांसफर नहीं करवा पाई। जिसके चलते एक जाट मंत्री की हार हो गई। भाजपा जब अकेले लड़ी थी 2019,2014 के चुनाव में तब जयंत और अजित सिंह दोनो को ही भाजपा उम्मीदवार ने चुनाव में पराजित किया था। वैसे ऐसा पहली बार ही हुआ कि भाजपा को रालोद के साथ दोस्ती का कोई लाभ नहीं हुआ। अलबत्ता,रालोद को जरुर लाभ हुआ है।

मसलन,2000 में पहली बार भाजपा ने अजित सिंह से हाथ मिलाया। 2002 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने रालोद को वेस्ट यूपी की 36 सीटे दी। इनमें से 14 सीटों पर रालोद को जीत मिली। लेकिन,भाजपा सपा और बसपा से भी पीछे रह गई। 2009 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने रालोद से हाथ मिलाया। रालोद को चुनाव में सात सीटें दी गई थी। चुनाव में रालोद पांच सीटे जीतने में सफल रही। जबकि भाजपा मात्र 10 सीटें ही जीत सकी। बहरहाल, ताजा स्थिति में जयंत के मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने के फेवर में यही बात है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के टिकट पर किसी जाट नेता को जीत हासिल नहीं हुई है। ऐसे में जाट नेता के तौर पर जयंत को मंत्री पद दिया जा सकता है।

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