Meerut News: वेस्ट यूपी में लोकदल की बढ़ती सक्रियता रालोद के लिए खतरे की घंटी

Meerut News: राष्ट्रीय लोकदल मुखिया जयंत चौधरी जहां वेस्ट यूपी में भारतीय जनता पार्टी के लिए चिंता का सबब बने हुए हैं। वहीं मिलते-जुलते नाम वाली लोकदल ने जयंत चौधरी की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं।

Report :  Sushil Kumar
Update: 2023-12-20 09:16 GMT

राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी (न्यूजट्रैक)

Meerut News: राष्ट्रीय लोकदल मुखिया जयंत चौधरी जहां वेस्ट यूपी में भारतीय जनता पार्टी के लिए चिंता का सबब बने हुए हैं। वहीं मिलते-जुलते नाम वाली लोकदल ने जयंत चौधरी की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं। यह अलग बात है कि सार्वजनिक रुप से न तो बीजेपी अपनी चिंता जाहिर कर रही है और न ही जयंत चौधरी। दरअसल, लोकसभा चुनाव से पहले लोकदल वेस्ट यूपी में बेहद सक्रिय दिख रही है। लोकदल की यह सक्रियता रालोद के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं मानी जा रही है।

बता दें कि पिछले कुछ अर्से से वेस्ट यूपी की राजधानी माने जाने वाले मेरठ में सड़कों पर लोकदल के बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए गए हैं। प्रमुख चौक चौराहों पर भी लोकदल के चुनाव चिन्ह (आगे बैल पीछे किसान) को दर्शाते हुए झंडे लगाए गए हैं। यही नहीं हाल ही में लोकदल द्वारा गाजियाबाद से बिजनौर तक रोड शो निकाला गया। इस दौरान लोदल नेताओं द्वारा किसानों और पिछड़ों के हक के लिए लड़ाई लड़ने का एलान किया गया। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले लोकदल का एक महीने के अंदर पश्चिमी यूपी में दूसरा बड़ा रोड शो था। बिजनौर में पार्टी कार्यालय के उद्घाटन के दौरान पार्टी के महासचिव विजेंद्र सिंह द्वारा यह एलान भी किया गया कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव लड़ेंगी।

वैसे,राष्ट्रीय लोकदल नेताओं द्वारा सार्वजिनक रुप से लोकदल की वेस्ट यूपी में सक्रियता को हल्के में लेने की कोशिश करते हुए इतना ही कहा जा रहा है कि जब जयंत सिंह को बीजेपी हर संभव कोशिश करके अपनी तरफ नहीं मिला सकी तो अब थकहार कर रालोद से मिलते-जुलते नाम वाली लोकदल का सहारा लेकर जयंत चौधरी को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। रालोद नेता सवालिया लहजे में पूछते हैं कि आखिर कोई बताएगा कि लोकदल के पास सड़कों पर बड़े-बड़े बैनर लगाने,पोस्टर लगाने व समाचार पत्रों में पूरे पेज के बड़े-बड़े विज्ञापन देने के लिए पैसा कहां से आ रहा है।

रालोद नेताओं का यह भी कहना है कि वैसे तो प्रदेश में छोटी-छोटी पार्टियों के नेताओं को बैठक के लिए सर्किट हाउस में जगह नहीं मिल पाती है। जैसा कि पिछले दिनों मेरठ में आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को मेरठ प्रशासन ने सर्किट हाउस में प्रेस कांन्फ्रेंस तक नहीं करने दी थी, जबकि लोकदल जिसका कुछ माह पूर्व तक पश्चिमी यूपी में कोई नाम लेने वाला भी नहीं था, अचानक से उसके नेताओं के लिए सर्किट हाउस के दरवाजे खोल दिए गए। आखिर इसका मतलब क्या है।

रालोद के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मंत्री मैराजुउद्दीन अहमद कहते हैं कि देश के पीएम रहे चौधरी चरण सिंह के द्वारा लोकदल की स्थापना की थी। षड्यंत्र के तहत उस पार्टी के मुखिया कोई और हो गए हैं। जनता सब जानती हैं कौन किसके इशारे पर रालोद को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। रालोद प्रवक्ता आतिर रिजवी कहते हैं-रालोद किसान,मजदूरों के बीच में काम करने वी पार्टी है। आज के मतदाता समझदार हैं। वें जानते हैं कि किसानों,मजदूरों के हक में असली लड़ाई लड़ने वाला कौन है और हवा में लड़ाई लड़ने वाला कौन है। ऐसे आधार विहीन दलों के आने से रालोद पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। किसानों,मजदूरों आदि सभी का आर्शीवाद अगर किसी के साथ है तो जयंत चौधरी जी के साथ है।

पश्चिमी यूपी की करीब 22 लोकसभा सीटों पर जाट वोटर

दरअसल पश्चिमी यूपी की करीब 22 लोकसभा सीटों पर जाट वोटर निर्णायक भूमिका में हैं और राष्ट्रीय लोक दल का वोट बैंक माने जाते हैं। रालोद नेता जयंत चौधरी का यहां खासा प्रभाव हैं। पश्चिमी यूपी में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए जाट मतदाताओं का रुख काफी मायने रखता है, यही वजह है कि बीजेपी किसी तरह इन वोटरों को अपने साथ रखना चाहती है. भूपेंद्र चौधरी को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भी इसी को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। वो जाट समुदाय से आते हैं। यही नहीं बीजेपी द्वारा जयंत को अपने पाले में लाने की कोशिशें भी कई बार की जा चुकी हैं।

आरएलडी राज्य में एनडीए का हिस्सा बने इसके लिए जयंत को जैसा कि बीजेपी सूत्रों का ही कहना है कि आश्वासन दिया कि उसे गठबंधन के भीतर “उचित सम्मान“ मिलेगा और उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों में अपेक्षित सीटें भी दी जाएगी। यूपी के मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता कपिलदेव अग्रवाल तो सार्वजिनक रुप से 2009 के चुनावों का उदाहरण देते हुए इस बात को पहले ही कह चुके हैं कि “सपा के साथ गठबंधन की तुलना में बीजेपी के साथ गठबंधन से आरएलडी को ज्यादा फायदा होगा।

गौरतलब है कि 2009 के लोकसभा चुनावों में रालोद ने पांच सीटें जीती थीं, जब उसका भाजपा के साथ गठबंधन था। संयोग से रालोद 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में राज्य में अपना खाता खोलने में विफल रही। बहरहाल, राष्ट्रीय लोकदल की संदेश यात्रा का समापन 23 दिसंबर को यानी चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस पर नई दिल्ली के किसान घाट पर होगा। वहीं लोकदल ने भी इसी दिन अपनी ताकत दिखाने के लिए चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिलाने की मांग को लेकर दिल्ली चलो का नारा दिया है।

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