Meerut News: मेरठ में इस बार बीजेपी की राह कठिन! इंडिया गठबंधन ने बढ़ाई मुश्किल

Meerut News: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति का केंद्र माने जाने वाले मेरठ की महत्वता को इस बात से भी समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेरठ से ही शंखनाद रैली कर 2019 लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंका था।

Report :  Sushil Kumar
Update: 2023-12-17 11:22 GMT

मेरठ में इस बार बीजेपी की राह कठिन! इंडिया गठबंधन ने बढ़ाई मुश्किल: Photo- Social Media

Meerut News: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति का केंद्र माने जाने वाले मेरठ की महत्वता को इस बात से भी समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेरठ से ही शंखनाद रैली कर 2019 लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंका था।

मेरठ की मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट की बात करें तो यह लंबे समय से भाजपा की झोली में है। पिछले तीन चुनाव से यहां भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल का कब्जा है। वर्ष 2019 के चुनाव में बसपा के हाजी याकूब को मात देकर उन्होंने अपनी हैट्रिक लगाई। हालांकि इस बार भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए सपा ने रालोद और कांग्रेस से गठबंधन कर रखा है। अब देखना ये है कि भाजपा की जीत को रोक पाने में विपक्ष कितना कामयाब हो पाएगा? ये तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा।

मेरठ लोकसभा सीट का इतिहास 

मेरठ लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो देश में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस का परचम लहराया, लेकिन 1967 में सोशलिस्ट पार्टी ने कांग्रेस को मात दी। 1971 में एक बार फिर कांग्रेस ने बाजी मारी, लेकिन उसके अगले चुनाव में इमरजेंसी के खिलाफ चली लहर जनता पार्टी के हक में गई। हालांकि, 1980, 1984 में कांग्रेस की ओर से मोहसिना किदवई और 1989 में जनता पार्टी ने ये सीट जीती। 1990 के दौर में देश में चला राम मंदिर आंदोलन का मेरठ में सीधा असर दिखा और इसी के बाद ये सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ बन गई। 1991, 1996 और फिर 1998 में यहां से लगातार भारतीय जनता पार्टी के दबंग नेता अमरपाल सिंह ने जीत दर्ज की। उसके बाद 1999, 2004 में क्रमश कांग्रेस और बसपा ने यहां से बाजी मारी। हालांकि, 2009,2014 और 2019 में फिर यहां भारतीय जनता पार्टी का परचम लहराया।

मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट के जातीय समीकरण पर नजर डालें तो मेरठ में दलित-मुस्लिम बाहुल्य वोटरों का वर्चस्व है। मसलन,यहां करीब पांच लाख 64 हजार मुस्लिम आबादी है। इसके अलावा जाटव भी इस शहर में खासा असर रखते हैं। इनकी आबादी करीब तीन लाख 14 हजार 788 है। बाल्मीकि समाज की बात करें तो 58700 के आसपास इनकी आबादी है। मेरठ लोकसभा सीट पर ब्राह्मण एक लाख 18 हजार, वैश्य एक लाख, 83 हजार, त्यागी समाज के लोगों की 41 हजार की आबादी है। पिछड़े वर्ग में जाटों की आबादी करीब एक लाख 30 हजार के आसपास हैं। वहीं गुर्जर समुदाय के लोगों का भी खासा जोर है। इनकी आबादी करीब 56300, सैनी समाज की आबादी 41150, प्रजापति समाज 46800, पाल समाज 27000 और कश्यप समाज 30 हजार के आसपास हैं।

 जपा के विजय रथ को को रोकने के लिए सपा ने किया रालोद और कांग्रेस से गठबंधन

फिलहाल, 2024 की बात करें तो इस बार इस बार भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए सपा ने रालोद और कांग्रेस से गठबंधन कर रखा है। मेरठ के पड़ोसी जिले मुजफ्फरनगर की खतौली सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी की हार से इंडिया गठबंधन में उत्साह वहीं, पिछली बार मेरठ के मौजूदा सांसद राजेंद्र अग्रवाल कम वोटों से चुनाव जीते थे। ऐसे में चर्चा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में मेरठ से भाजपा को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। बहरहाल,अब देखना ये है कि भाजपा की जीत को रोक पाने में विपक्ष कितना कामयाब हो पाएगा? ये तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा।

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