Meerut Lok Sabha Seat: सपा और भाजपा के बीच लड़ाई, सपा का पलड़ा भारी
Meerut News: सपा और भाजपा के बीच सीधी लड़ाई में सपा का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। बसपा के लिए नतीजे निराशाजनक हो सकते हैं।
Meerut News: इस बार चुनाव में न तो कोई ऐसा मुद्दा हावी दिखा जिससे विपक्ष की हवा मजबूत मानी जाए और न ही ऐसा कोई मामला सामने आया कि जमीन पर ध्रुवीकरण हुआ हो और चीजें भाजपा के पक्ष में जाती दिखाई दी हों। मुस्लिमों का सपा की तरफ रुझान नजर आया, जबकि बाकी में बंटवारा दिखा। खासकर बसपा के वोट बैंक में सपा प्रत्याशी सुनाती वर्मा सेंध लगाती नजर आई।
सपा-भाजपा में लड़ाई
मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट पर लड़ाई सपा और भाजपा के बीच दिख रही है। यहां 2014 और 2019 में भाजपा जीती है, लेकिन बसपा प्रत्याशियों का अच्छा प्रभाव रहा है। 2019 में बसपा प्रत्याशी हाजी याकूब कुरैशी को 581,455 लाख वोट मिले थे। वह भाजपा से सिर्फ 4700 वोटों से हारे थे। 2004 में शाहिद अखलाक बसपा से सांसद चुने गए थे। 2009 में मलूक नागर दूसरे स्थान पर रहे थे। भाजपा ने यहां से सिटिंग एमपी राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काटकर रामायण सीरियल में राम का रोल अदा करने वाले अरुण गोविल को मैदान में उतारा है। सपा ने सुनीता वर्मा को उतारकर दलित कार्ड खेला है। बसपा ने त्यागी कार्ड खेलकर देवव्रत त्यागी को मौका दिया है।
मैदान में आठ प्रत्याशी
इस चुनाव में तीनों प्रमुख प्रत्याशियों समेत कुल आठ प्रत्याशी हैं। भाजपा का परंपरागत वोट वैश्य, गुर्जर, जाट, ब्राह्मण, सैनी, कश्यप, प्रजापति, पाल, वाल्मीकि भाजपा के साथ खड़ा दिखाई दिया है। हालांकि त्यागी समाज के वोटों में बंटवारा हुआ है। भाजपा प्रत्याशी को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम सहारा मिला तो सपा प्रत्याशी एससी-मुस्लिम गठजोड़ का सहारे हैं। रहा सवाल बसपा प्रत्याशी का तो शुरू से ही मतदाताओं का उनकी तरफ ज्यादा रुझान नजर नहीं आया। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की हुई रैली और पूर्व कैबिनेट मंत्री हाजी याकूब की अपील का भी मतदान में ज्यादा असर नहीं दिखा। मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट में पांच विधानसभा (शहर, दक्षिण, कैंट, किठौर और हापुड़) हैं।बहरहाल, नतीजे तो 4 जून को आएंगे, लेकिन समीकरण बता रहे हैं कि चुनाव में मेरठ में सपा का पलड़ा भाजपा के मुकाबले अधिक भारी रहा है।