Meerut: कृपाओं की माता मरियम का दूसरा तीर्थस्थल है सरधना का विश्व प्रसिद्ध चर्च, रोचक है निर्माण की कहानी

Meerut News: बड़े अल्तार के ऊपर और दाएं-बाएं तरफ बने अल्तारों पर तीन गुंबद हैं। बड़े अल्तार वाली गुंबद बड़ी और बाकी दोनों छोटी हैं। ये तीनों रोम में बने संत पेत्रुस के महागिरिजाघर की गुंबद से मिलती-जुलती हैं।

Report :  Sushil Kumar
Update: 2023-12-05 11:33 GMT

सरधना का विश्व प्रसिद्ध चर्च (Social Media)

Meerut News: यूपी के मेरठ मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर सरधना कस्बे में हिंदू-मुस्लिम बस्ती के बीच बना ऐतिहासिक चर्च सौहार्द, आस्था और इतिहास का बेजोड़ नमूना माना जाता है। अपनी भव्यता और कला के इस बेजोड़ नमूने को करीब दो सौ साल पहले बेगम समरू द्वारा बनवाया गया था। यह चर्च सौहार्द, आस्था और इतिहास का बेजोड़ नमूना है।

चर्च निर्माण में लगे थे 11 साल

चर्च को ईसाई धर्म के लोग कृपाओं की माता मरियम का तीर्थस्थान मानते हैं। मान्यता है कि सरधना के चर्च में कृपाओं की माता मरियम की चमत्कारी मूर्ति के सामने खड़े होकर यदि सच्चे मन से प्रार्थना की जाए तो मरियम फरियादी की सुनती हैं। यहां 25 दिसंबर को मां मरियम के दर्शन करने के लिए यहां देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। इस चर्च के कारण ही सरधना का नाम अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमकता है। खास बात यह है कि जैसा कि जानकार लोग बताते हैं कि इस चर्च के निर्माण में करीब 11 साल लगे। चर्च के बनने में करीब 4 लाख रुपए लागत आई थी।


इस वजह से बना था चर्च

जिला बागपत के कोताना गांव में लतीफ अली खां के परिवार में जन्मी फरजाना से भरतपुर के राजा जवाहर सिंह के सेनापति वाल्टर रेंनार्ड उर्फ समरू ने मुस्लिम रस्मों के मुताबिक निकाह किया। वाल्टर रेनार्ड समरू की मृत्यु के बाद बेगम समरू ने शासन किया और कैथोलिक ईसाई धर्म अपना लिया। इसी दौरान उन्होंने इस चर्च का निर्माण कराया था।

शिल्पकारी का बेजोड़ नमूना

चर्च में जिस स्थान पर प्रार्थना होती है, उसे 'अल्तार' कहा जाता है। अल्तार के निर्माण के लिए सफेद संगमरमर जयपुर से लाया गया था। इसमें फूलों की पच्चीकारी खूबसूरत है। इसमें कौरनेलियन, जास्पर और मैलकाइट जैसे कई कीमती पत्थर जड़े हैं। निर्माण के दौरान चर्च की सुंदरता को नहीं, बल्कि कैथोलिक मजहब के रिवाज को ध्यान में रखा गया।


रोम में बने 'महागिरिजाघर' की गुंबद के समान

बड़े अल्तार के ऊपर और दाएं-बाएं तरफ बने अल्तारों पर तीन गुंबद हैं। बड़े अल्तार वाली गुंबद बड़ी और बाकी दोनों छोटी हैं। ये तीनों रोम में बने संत पेत्रुस के महागिरिजाघर की गुंबद से मिलती-जुलती हैं। इन सबके पीछे आसमान को छूती दिखाई देने वाली दो मीनार हैं। माता मरियम की पवित्र तस्वीर को जुलूस के रूप में सरधना लाकर चर्च में स्थापित किया गया।

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