UP Politics: जयंत चौधरी का NDA में जाना नरेश टिकैत को नहीं आया रास, बोले- पहले सलाह-मशविरा तो कर लेते

UP Politics: नरेश टिकैत ने कहा कि, 'पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह किसानों के मसीहा थे। इसलिए भारत रत्न के हकदार तो थे ही। बल्कि, यह सम्मान उन्हें पहले ही मिल जाना चाहिए था।'

Report :  Sushil Kumar
Update: 2024-02-11 16:36 GMT

जयंत चौधरी और नरेश टिकैत (Social Media) 

Meerut News: राष्ट्रीय लोक दल (RLD) जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) के पाला बदलकर एनडीए में जाना भारतीय किसान यूनियन (BKU) अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत (Naresh Tikait) को पसंद नहीं आया। उनकी यह नाराजगी तब खुल कर सामने आई, जब उन्होंने भाजपा के साथ रालोद के गठबंधन के सवाल का जवाब दिया।

नरेश टिकैत बोले, 'वैसे तो राजनीति में कब दुश्मन दोस्त बन जाए। कुछ पता नहीं चलता। जयंत चौधरी की अपनी सोच है। लेकिन,जो लोग तीन पीढिय़ों से उनके साथ है, उनसे कम से कम सलाह-मशविरा तो जयंत चौधरी को कर लेना चाहिए था। यही नहीं नरेश टिकैत ने यह भी कहा कि उन्हें इसका हमेशा मलाल रहेगा।'

'चौधरी चरण सिंह भारत रत्न के हकदार थे ही'

भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत रविवार (11 फरवरी) को बागपत जिले के दोघट कस्बे में यूनियन के नेता राजेंद्र चौधरी के आवास पर पहुंचे थे। यहां मीडिया से बातचीत में नरेश टिकैत ने कहा कि, 'पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) किसानों के मसीहा थे। इसलिए भारत रत्न के हकदार तो थे ही। बल्कि, यह सम्मान उन्हें पहले ही मिल जाना चाहिए था।'

गन्ना का भाव और बढे तो बनेगी बात

भारतीय किसान यूनियन (Bharatiya Kisan Union) के नेता ने आगे कहा, 'चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न दिए जाने की मांग पहले ही किसानों ने की थी। भाकियू नेता ने कहा, कि सरकार को लगे हाथ अब किसानों की ज्वलंत समस्याओं का समाधान भी करना चाहुए। उन्होंने गन्ना भाव की चर्चा करते हुए सरकार पर किसानों को नुकसान पहुंचाने का काम करने की भी बात कही। कम घोषित करने की बात कही और कहा कि सरकार 30-35 रुपये प्रति क्विंटल और बढ़ाकर दाम देना चाहिए। कम से कम 400 रुपए प्रति क्विंटल कर दे तो किसान नुकसान से बच जायेगा'।

राकेश टिकैत ने भी जयंत को दी नसीहत

आपको बता दें कि, इससे पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी को नसीहत दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि, 'वह चाहे जहां चले जाएं लेकिन अपना मूल स्थान न छोड़ें और किसानों की बात करते रहें'।

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