Meerut News: दुनिया देखनी थी लेकिन..., नर्सिंग होम के इनक्यूबेटर में जला नवजात

Meerut News: जिलाधिकारी मेरठ द्वारा एसीएम-2 (सिविल लाइन) मेरठ को मेडिकल टीम के साथ जांच समिति का सदस्य नामित करते हुए प्रकरण की जांच 07 दिवस में करने के निर्देश दिए गए हैं।

Report :  Sushil Kumar
Update: 2024-06-09 05:31 GMT
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोशल मीडिया)

Meerut News: मेरठ के गढ़ रोड स्थित निजी नर्सिंग होम की स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में नवजात की जलकर मौत हो गयी। उसे बेहतर उपचार के लिए यहां भर्ती कर इनक्यूबेटर में रखा गया था। लेकिन, वहां जलकर उसकी मौत हो गयी। परिजनों ने घटना को लेकर नर्सिग होम में काफी देर हंगामा किया। हालांकि अभी तक उन्होंने घटना के संबंध में अपनी कोई लिखित शिकायत दर्ज नहीं कराई है।

उधर,सोशल मीडिया पर प्रसारित खबरों को संज्ञान में लेते हुए मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। जिलाधिकारी मेरठ द्वारा एसीएम-2 (सिविल लाइन) मेरठ को मेडिकल टीम के साथ जांच समिति का सदस्य नामित करते हुए प्रकरण की जांच 07 दिवस में करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, मुख्य चिकित्साधिकारी डा.अखिलेश मोहन का घटना के संबंध में कहना है कि उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली कि एक नवजात बच्चे की युग हास्पिटल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई है। यह भी जानकारी मिली कि नवजात की कमर पर जलने का निशान है। यह बच्चा युग हास्पिटल में भर्ती था तथा दिनांक 6 जून को उसकी मृत्यु हो गई थी। चिकित्सक द्वारा उसे सेप्टीसीमिया बताया जा रहा है। तथा परिजनों द्वारा लापरवाही की वजह से मृत्यु होना बताया जा रहा है। इस मामले में दो सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी गई है,जो कि प्रकरण की जल्द से जल्द जांच पूर्ण कर जांच आख्या उपलब्ध कराएगी। जांच में दोशी पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जाएगी।

उधर पता चला है कि परिजनों द्वारा घटना के संबंध में अभी तक कोई लिखित शिकायत की गई है। परिजनों द्वारा नवजात का पोस्टमार्टम कराने से भी इंकार किया गया है।

इन कारणों से नवजात को रखा जाता है इनक्यूबेटर में

1. समय से पहले जन्म पर शरीर के तापमान को नियंत्रित कर शिशु को विकसित करता है।

2. सांस लेने में समस्याएं होने पर कार्डियो-श्वसन निगरानी की जाती है।

3. संक्रमण होने पर हाथ व अन्य जगहों से आईवी तरल पदार्थ और दवाएं दी जा सकती हैं।

4. पीलिया रोग होने पर विशेष फोटोथेरेपी और फ्लोरोसेंट रोशनी से इलाज किया जाता है।

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