Meerut News स्कूल का प्यार पाने के लिए पति की हत्या कर शव के टुकड़े करने वाली मुस्कान जेल में पहुंचते ही बोली-मुझे अपने किए पर पछतावा,जेल में रातभर करवटें बदलती रही
Meerut News: पति की हत्या कर शव के टुकड़े करने वाली मेरठ मुस्कान जेल में रातभर नहीं सोई। खाना भी नहीं खाया। रातभर करवटें बदलती रही। कभी उठकर बैठ जाती, तो कभी बैरक में टहलने लगती थी।;
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Meerut News: स्कूल का प्यार पाने के लिए पति की हत्या कर शव के टुकड़े करने वाली मेरठ मुस्कान जेल में रातभर नहीं सोई। खाना भी नहीं खाया। रातभर करवटें बदलती रही। कभी उठकर बैठ जाती, तो कभी बैरक में टहलने लगती थी।चौधरी चरण सिंह जिला कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक डा.वीरेश राज शर्मा ने गुरुवार को न्यूजट्रैक से बातचीत में कहा कि मुस्कान और साहिल को कल शाम करीब छह बजे जिला कारागार के अंदर लाया गया था। यहां मुस्कान को जेल मैन्युअल के मुताबिक महिला बैरक (बैरक नम्बर12)और साहिल को पुरुष बैरक( बैरक नम्बर-18) में रखा गया है। जेल में नींद आई दोनो को पूछने पर जेल अधिकारी ने बताया कि नार्मली पहले दिन भला जेल में किसे नींद आती है।
जेल अधिकारी के अनुसार जेल में आने के बाद मुस्कान गुमसुम रही। कहीं कोई किसी तरह की बात नहीं की। हालांकि जेल में प्रवेश करने से पहले मुस्कान ने मीडिया से यह जरुर कहा कि मुझे अपने किये पर पछतावा है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल में रात को मुस्कान ने खाना भी नहीं खाया। जेल में मुस्कान रोई थी। इस सवाल पर जेल अधिकारी ने बताया कि ऐसा कुछ नहीं। बाकी उसकी गतिविधियों का पता आज लगेगा। क्योंकि कल तो आते हीजेल की बैरक में बंद हो गई थी।
जेल कर्मचारियों की मानें तो जेल के अंदर दोनो को जब अलग-अलग बैरक में रखा जाने लगा तो दोनो के हाव-भाव देखकर ऐसा लगता था कि दोनो एक ही बैरक में अथवा आमने-सामने की बैरक में रहना चाहते थे। बुधवार को पति के 4 टुकड़े करने वाली मुस्कान और उसके बॉयफ्रेंड साहिल को सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में मेरठ जेल भेज दिया। इससे पहले कोर्ट के बाहर वकीलों ने दोनों को घेर लिया। दोनों की जमकर पिटाई की। साहिल के बाल खींचे और कपड़े तक फाड़ डाले। पुलिस बमुश्किल दोनों को बचाकर कोर्ट रूम ले गई। बुधवार शाम 5 बजे पोस्टमॉर्टम के बाद सौरभ का शव एम्बुलेंस से घर लाया गया। कपड़े में शव लपेटा था। शव आते ही परिवार में चीख-पुकार मच गई। मां रेणु देवी, बहन चिंकी शव से लिपटकर रोने लगीं। मां और बेटी ने आखिरी बार सौरभ का चेहरा देखना चाहा, मगर परिजनों और लोगों ने कपड़ा हटाने से मना कर दिया। क्योंकि जिस तरह शरीर के 4 टुकड़े किए और फिर सीमेंट-बालू का मसाला बनाकर उसे ड्रम में पैक किया गया, फिर ड्रम काटकर और मसाला तोड़कर शव निकालना पड़ा। इससे उसका चेहरा देखने लायक नहीं था। सौरभ की मां रेणू ने कहा- मेरी कैसी किस्मत है, जो आखिरी बार बेटे का चेहरा भी नहीं देख पाई। इसके बाद शव को देर शाम गढ़ मुक्तेश्वर के ब्रजघाट ले जाकर अंतिम संस्कार किया गया।