Meerut News: शहीद इंस्पेक्टर को अंतिम विदाई देने उमड़ा जन सैलाब, बदमाशों के साथ मुठभेड़ में गई थी जान
Meerut News: शामली में कग्गा गैंग के 4 बदमाशों का एनकाउंटर किया था। मुठभेड़ में इंस्पेक्टर के पेट में दो गोली लगी थी। सुनील कुमार को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल ले जाया गया, जहां सर्जरी की गई थी।;
Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के मसूरी गांव में शहीद इंस्पेक्टर सुनील कुमार का गुरुवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। सोमवार (20 जनवरी) की रात उनकी टीम ने शामली में कग्गा गैंग के 4 बदमाशों का एनकाउंटर किया था। मुठभेड़ में इंस्पेक्टर के पेट में दो गोली लगी थी। सुनील कुमार को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल ले जाया गया, जहां सर्जरी की गई थी। हालांकि, 36 घंटे जिंदगी-मौत से लड़ने के बाद इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने अंतिम सांस ली। देर रात उनका पार्थिव शरीर मेरठ लाकर जसवंत राय अस्पताल में रखा गया।
गुरुवार को एसटीएफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार का पार्थिव शरीर जसवंत राय अस्पताल से पुलिस लाइन स्थित शहीद स्मारक पर लाया गया। यहां पर सुनील कुमार को अंतिम सलामी दी गई। इस दौरान पिता को पुष्प अर्पित करते हुए बेटा मोनू उर्फ मनजीत फफक पड़ा, आंखों में आंसू लेकर बोला पापा आज तो कुछ बोल दो। शहीद इंस्पेक्टर को एडीजी मेरठ जोन डीके ठाकुर, एसएसपी एसटीएफ लखनऊ घुले, सुशील चंद्रभान, डीआईजी कलानिधि नैथानी, एसएसपी डॉक्टर विपिन ताड़ा ने कंधा दिया। पुलिस लाइन में गार्ड ऑफ ऑनर और अंतिम सलामी के बाद पूरे सम्मान के साथ एसटीएफ और पुलिस अफसर सुनील कुमार के पार्थिव शरीर को साथ लेकर उनके गांव मसूरी पहुंचे। परिवार की मौजूदगी में गांव के श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार कराया। इस दौरान अंतिम बिदाई देने जन सैलाब उमड़ पड़ा।
मूलरूप से मेरठ के इंचौली थाना क्षेत्र के मसूरी गांव निवासी सुनील कुमार पुत्र चरण सिंह एक सितंबर 1990 को यूपी पुलिस में सिपाही पद पर भर्ती हुए थे। एसटीएफ का गठन होने के बाद उन्होंने 1997 में मानेसर हरियाणा में कमांडो कोर्स किया। इसके बाद एक जनवरी 2009 से वह स्पेशल टास्क फोर्स में आ गए। सुनील कुमार के अजीत सिंह ने बताया कि सुनील कुमार एक सप्ताह पहले ही परिवार से मिलने गांव आए थे। सुनील कुमार दो भाइयों में छोटे थे। बड़े भाई अनिल गांव मसूरी में खेती करते हैं। दोनों परिवार साथ रहते हैं। परिवार में सुनील कुमार की मां अतरकली देवी, पत्नी मुनेश देवी और शादीशुदा बेटा-बेटी मंजीत काकरान और नेहा चौधरी हैं। भतीजे अजीत सिंह के मुताबिक सुनील कुमार मेरठ पुलिस लाइन में ही रह रहे थे। पिछले सप्ताह घर आने के बाद वे एक दिन रुककर चले गए थे।
ग्रामीणों का कहना है कि उनका स्वाभाव मिलनसार था।
मंगलवार सुबह से घटना के बारे में पता चलने पर लोगों का उनके घर आना-जाना शुरू हो गया था। बुधवार दोपहर में उनके दम तोड़ने की सूचना मिलने के बाद घर में कोहराम मच गया। भतीजे अजीत सिंह के मुताबिक सुनील कुमार कॉलेज के समय से ही कबड्डी के शानदार खिलाड़ी रहे। वह अपनी बटालियन की ओर से भी खेलने जाते थे। खेल में उन्हें कई पदक मिले। काम ज्यादा बढ़ने के कारण वे खेल पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाए। उन्हें बेहतर कार्य के लिए पुलिस मेडल भी दिया गया था। परिजनों के अनुसार उनका करीब आठ साल बाद रिटायरमेंट था। अपने कार्यकाल में उन्होंने बड़े-बड़े अपराधियों को एनकाउंटर में मार गिराया। उन्होंने कई ऑपरेशन को लीड किया और सफलता दिलाई।