Meerut News: निजी अस्पतालों के खिलाफ लड़ाई में सपा विधायक अतुल प्रधान को गैरों का समर्थन, अपनों का ही नहीं मिला साथ
Meerut News: अतुल प्रधान की निजी अस्पतालों की मनमानी के खिलाफ शुरु लड़ाई को इलाके के लोंगो के अलावा कई समाजिक-गैर समाजिक संगठनों का तो समर्थन मिल ही रहा है। गैर-भाजपाई दलों का भी समर्थन मिल रहा है। वह चाहे आम आदमी पार्टी हो या फिर राष्ट्रीय लोकदल।
Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ में निजी अस्पतालों के खिलाफ लड़ाई में मेरठ के सपा विधायक के साथ आम आदमी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के जिम्मेदार नेता और कार्यकर्ता तो दिख रहे हैं। लेकिन विधायक की अपनी ही पार्टी के जिले के कई बड़े जिम्मेदार नेता जिनमें जनपद के तीन मुस्लिम विधायक भी शामिल हैं। अतुल प्रधान की इस लड़ाई से दूरी बनाए हुए हैं।
बता दें कि समाजवादी पार्टी के सरधना विधान सभा विधायक अतुल प्रधान ने निजी अस्पालों की मनमानी के खिलाफ पिछले कुछ दिनों से मोर्चा खोल रखा है। यही नहीं सोमवार से मेरठ कलक्ट्रेट में आमरण अनशन भी शुरू कर दिया है, जो कि समाचार लिखे जाने समय तक जारी है। अतुल प्रधान की निजी अस्पतालों की मनमानी के खिलाफ शुरु लड़ाई को इलाके के लोंगो के अलावा कई समाजिक-गैर समाजिक संगठनों का तो समर्थन मिल ही रहा है। गैर-भाजपाई दलों का भी समर्थन मिल रहा है। वह चाहे आम आदमी पार्टी हो या फिर राष्ट्रीय लोकदल।
अतुल प्रधान को अपनों ने दिया धोखा
लेकिन अचरज की बात यह है कि अतुल प्रधान की पार्टी के स्थानीय कई बड़े नेता अतुल प्रधान के आमरण अनशन से दूरी बनाए हुए हैं। इससे अधिक हैरत वाली बात भला और क्या होगी कि शहर में चल रहे अतुल प्रधान के आमरण अनशन में सपा के शहर विधायक रफीक अंसारी तक नहीं पहुंचे। इनके अलावा किठौर विधान सभा से सपा विधायक शाहिद मंजूर और सिवालखास विधान सभा से सपा विधायक गुलाम मोहम्मद भी आमरण अनशन से दूरी बनाए हुए हैं।
इस बारे में सपा के तीनों विधायको से सम्पर्क करने का प्रयास किय गया। लेकिन काफी कोशिशों के बाद भी उनसे उनके मोबाइल पर सम्पर्क नहीं किया जा सका। अलबत्ता, पार्टी सूत्र तीनों मुस्लिम विधायकों के आमरण अनशन से दूरी बनाए रखने की वजह हाल ही में संपन्न हुए मेयर के चुनाव को बता रहे हैं। इन सूत्रों के अनुसार मेयर चुनाव में मेरठ शहर सपा विधायक रफीक अंसारी अपनी पत्नी के लिए मेयर का टिकट मांग रहे थे। शहर विधायक होने के कारण उनकी पत्नी का टिकट तय भी माना जा रहा था। शाहिद मंजूर और गुलाम मोहम्म्द भी रफीक अंसारी के पक्ष में थे। लेकिन आखिर में पार्टी द्वारा अतुल प्रधान की पत्नी को मेयर सीट का टिकट दे दिया गया। जिस कारण से रफीक अंसारी की अतुल प्रधान से नाराजगी बनी हुई है।