Meerut: नंबर एक गाड़ी दो, दोनों के चेचिस नंबर भी अलग-अलग, फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद भी सरकारी अफसर खामोश
Meerut News: उत्तर प्रदेश में छेड़छाड़ की गई चेचिस नंबर वाली फॉर्च्यूनर से भाजपा एमएलसी के चलने का मामला सामने आया है। इसके तार मेरठ से जुड़े हैं। जानिए क्या है मामला?
Meerut News: छेड़छाड़ की गई चेचिस नंबर वाली फॉर्च्यूनर से बीजेपी एमएलसी के चलने के मामले में यह जानकारी सामने आने के बाद भी कि गाड़ी पर फर्जी चेचिस नंबर दर्ज है और यह गाड़ी मेरठ के एक व्यक्ति के नाम पर दर्ज है। स्थानीय कोई भी सरकारी अफसर बोलने को तैयार नहीं है। देखा जाए तो यह अपने आप में एक अजीब तरह का मामला है। मसलन, एक ही नंबर की दो गाड़ियां चल रही हैं और दोनों के चेचिस नंबर भी अलग-अलग हैं।
क्या है मामला?
बता दें कि, जानकारी मिली है विगत आठ सितंबर को लखनऊ के एक वर्कशॉप में एक्सीडेंट में क्षतिग्रस्त संदिग्ध एसयूवी ठीक होने के लिए आई थी। इस गाड़ी पर दोनों ओर मोटे अक्षरों में 'विधान परिषद सदस्य' लिखा था। विधान भवन का पास भी लगा था। सर्वेयर ने क्लेम की जांच की तो गाड़ी चोरी की निकली। जिसके बाद गाड़ी चोरी होने का पूरे मामले का खुलासा हुआ। यहां तक की गाड़ी पर फर्जी चेचिस नंबर दर्ज है। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि यह गाड़ी मेरठ के एक फैसल नाम के व्यक्ति के नाम पर दर्ज है। जांच में यह भी सामने आया कि चेसिस नंबर असोम की एसयूवी का है। जिसके मालिक ने बताया कि उन्होंने ये एसयूवी स्क्रैप में दे दी थी।
फर्जीवाड़े का खुलासा
सूत्रों के अनुसार फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब सर्वेयर ओमवीर सिंह ने रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी) में दर्ज वाहन स्वामी के पते पर एक पत्र भेजा। गाड़ी के मालिक फैसल से मालूम हुआ कि गाड़ी तो कभी लखनऊ गई ही नहीं। गाड़ी तो मेरठ में है। वाहन मालिक के इस जवाब से भी सर्वेयर हैरत में पड़ गए कि उनकी गाड़ी का कोई एक्सीडेंट भी नहीं हुआ है। इस पर सर्वेयर ने फैसल से गाड़ी के कागज मंगाए और तस्दीक की तो पता चला कि गाड़ी की आरसी से भी छेड़छाड़ कर कई बदलाव किए गए हैं।
यही नहीं फैसल के आधार से भी छेड़छाड़ हुई है। जांच में यह बात भी मालूम हुई कि बीमा की कॉपी में जो चेचिस नंबर दर्ज है वह वास्तविक गाड़ी का है, जो गाड़ी मेरठ में फैसल के पास है, लेकिन लखनऊ में एक वर्कशॉप में खड़ी गाड़ी में चेचिस दूसरी लगी थी, जो साफ तौर पर टेंपर की हुई पता चलती है। इस संबंध में फैसल के बड़े भाई शहजाद ने मीडिया को जो कुछ बताया है उसके अनुसार उन्हें इस फर्जीवाड़े की कोई जानकारी पहले से नहीं थी। कुछ माह पहले ही उन्हें इस बात की जानकारी लखनऊ क्राइम ब्रांच से किसी अखिलेश नाम के अधिकारी ने फोन पर दी थी। लेकिन,फिऱ इसके बाद उनका कोई फोन नहीं आया। बहरहाल,यहां बड़ा सवाल यही है कि भाजपा एमएलसी के पास एसयूवी कैसे पहुंची?