UP Politics: बीजेपी से जब निपटेंगे तब निपटेंगे फिलहाल तो सपा-कांग्रेस एक-दूसरे से निपट रहे

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उत्तर प्रदेश की सियासी सरगर्मी तेज हो चली है। सभी दल अपनी गोटियां साधने में जुटी है। इनमें कांग्रेस पार्टी अपने कुनबे को मजबूत करने के साथ सपा-बसपा के नेताओं को अपने पाले में करने में भी जुटी है।

Report :  Sushil Kumar
Update:2023-11-27 17:52 IST

राहुल गांधी और अखिलेश यादव (Social Media) 

Lok Sabha Elections 2024: 'इंडिया गठबंधन' के समाजवादी पार्टी और कांग्रेस, बीजेपी से जब निपटेंगे तब निपटेंगे। फिलहाल तो दोनों एक-दूसरे से निपटने में ही लगे हैं। दोनों पार्टियों के बड़े नेताओं की मानें तो दोनों पार्टियों के बीच चल रही जंग लोकसभा चुनाव की घोषणा तक शांत होने वाली नहीं है। हाल ही में घोषित प्रदेश कांग्रेस कमेटी में जिस तरह से कांग्रेस पार्टी ने सबसे अधिक 34 प्रतिशत ओबीसी को संगठन में जगह दी है। इसके बाद 31 प्रतिशत जनरल कैटेगरी के नेताओं को तवज्जो दी गई है उसको सपा के 'पीडीए' के लिए चुनौती माना जा रहा है।  

यूपी में सपा-कांग्रेस के बीच चल रही जंग की बड़ी वजह कांग्रेस का मुस्लिम वोट बैंक प्रेम है। 90 के दशक में सपा ने कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक को अपने साथ जोड़कर राजनीतिक बुलंदी हासिल की थी। लेकिन, साढ़े तीन दशक बाद भी कांग्रेस ने दोबारा से मुस्लिमों को अपने पाले में लाने की कोशिशों में जुटी है। यूपी में कांग्रेस की नजर विशेष रूप से वेस्ट यूपी के मुस्लिम नेताओं पर लगी है।

'मुस्लिमों का पुराना घर' है कांग्रेस 

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय कांग्रेस को 'मुस्लिमों का पुराना घर' बताते हैं। पश्चिम यूपी के कद्दावर नेता इमरान मसूद (Imran Masood) की कांग्रेस में वापसी के बाद पश्चिम यूपी में रालोद का मुस्लिम चेहरा रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व. नवाब कोकब हमीद के बेटे और रालोद नेता नवाब अहमद हमीद कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। प्रदेश कमेटी में उन्हें प्रदेश महासचिव बनाया गया है। माना जा रहा कि नवाब अहमद हमीद को बड़ी जिम्मेदारी देकर पश्चिमी यूपी में मुस्लिमों को साधने के लिए बड़ा दांव चला है।

कांग्रेस की नजर सपा-बसपा पर 

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, अभी कांग्रेस में कई मुस्लिम नेताओं की जॉइनिंग होनी है। इनमें से ज्यादातर सपा में हैं। कांग्रेस इनके संपर्क में है। वैसे, बसपा के एक पूर्व मुस्लिम सांसद की भी कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा चल रही है। दरअसल, मुस्लिम नेताओं में कांग्रेस में शामिल होने की सबसे बड़ी वजह आम मुसलमानों में कांग्रेस के प्रति एक लगाव महसूस किया जा रहा है इसी लगाव को नेता समझ कांग्रेस में जाने का जुगाड लगा रहे हैं।

कांग्रेस की हमदर्दी आज़म खान के साथ 

यही नहीं आजम खान पर हो रही कार्रवाई के बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय सार्वजनिक तौर पर आजम के प्रति हमदर्दी जता चुके हैं। इसके अलावा राज्य में कांग्रेस द्वारा मुस्लिम मतदाताओं को साधने के लिए अगले महीने मुस्लिम धर्मगुरुओं का एक सम्मेलन बुलाया जा रहा है, जहां इन बातों पर चर्चा की उम्मीद है कि मुस्लिम मतदाता कैसे अपने मतदान का सही इस्तेमाल करें? फिलहाल धर्मगुरुओं को चिट्ठी लिखकर लामबंद किया जा रहा है। पिछले दिनों घोषित 130 सदस्यीय कमेटी में मुसलमानों को 22 पद दिए गए हैं। पार्टी ने 16 उपाध्यक्ष, 38 महासचिव और 76 सचिव भी नियुक्त किए हैं. यूपीसीसी में पिछड़ों, दलितों और मुसलमानों को मिलाकर 68 फीसदी प्रतिनिधित्व दिया गया है।

PDA को ऐसे दी चुनौती 

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक के साथ सवर्ण समुदाय के नेताओं को मिली तरजीह को सपा के 'पीडीए' के लिए चुनौती माना जा रहा है। वैसे, इस लड़ाई से सपा नेता ज्यादा चिंतित दिख रहे हैं। इसकी सबसे वजह यही है कि प्रदेश में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। जबकि सपा बहुत कुछ खो सकती है।

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