Meerut News: मेरठ में पर्यावरण विशेषज्ञों ने प्लास्टिक के पर्यावरण पर प्रभाव की गंभीरता पर की चर्चा

Meerut News: मेरठ में आज सामाजिक संस्था यूथ फर्ज वेलफेयर फाउंडेशन एवं संस्थान के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा "प्लास्टिक एवं पर्यावरण पर इसका प्रभाव" विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

Report :  Sushil Kumar
Update:2024-10-02 21:18 IST

Meerut news (pic- Newstrack)

Meerut News: सर छोटू राम इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में आज सामाजिक संस्था यूथ फर्ज वेलफेयर फाउंडेशन एवं संस्थान के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा "प्लास्टिक एवं पर्यावरण पर इसका प्रभाव" विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों ने प्लास्टिक से जुड़ी गंभीर वैश्विक समस्याओं पर अपने अनुभव साझा किए तथा कहा कि जब तक पॉलीथिन एवं सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग बंद नहीं होगा, तब तक पर्यावरण संरक्षण पूर्णतः संभव नहीं है।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ. प्रीतम सिंह ने समस्या के समाधान की तकनीकों के बारे में जानकारी दी। डॉ. श्याम सिंह, डॉ. पंकज शर्मा, एमयूटीए अध्यक्ष डॉ. मुकेश कुमार और डॉ. मुनेश कुमार ने समस्या के समाधान में राजनीतिक और सामाजिक भूमिका की महत्ता पर प्रकाश डाला। प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और इसके पुनर्चक्रण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। इंजीनियर बीडी शर्मा ने पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के उपयोग को कम करने पर जोर दिया।

केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के विद्यार्थियों ने भी मंच से विषय पर अपने विचार व्यक्त किए, जिनका मंच द्वारा मूल्यांकन किया गया तथा छात्र आदित्य कुमार राय को प्रथम, लकी यादव को द्वितीय तथा प्रिंस पांडेय को तृतीय स्थान प्रदान किया गया।

कार्यक्रम का आयोजन संस्थान के निदेशक डॉ. नीरज सिंघल के संरक्षण में इंजीनियर अमन कुमार और इंजीनियर प्रत्यूष उपाध्याय द्वारा किया गया। दीपेश मोहन और शुभम यादव ने विशेष सहयोग दिया। फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. कुमार पी. कर्णवाल ने सभी अतिथियों और छात्रों का स्वागत और आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों और प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र दिए गए।

आपको बता दें कि मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर ने करीब दो साल पहले प्लास्टिक कचरे के विघटन की तकनीक ईजाद की है। सीसीएस यूनिवर्सिटी में फिजिक्स डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. योगेंद्र गौतम और उनकी टीम ने यह प्रयोग किया है। प्लास्टिक को नष्ट करने की यह स्थायी तकनीक सस्ती और सरल है। डॉ. योगेंद्र गौतम के मुताबिक प्लास्टिक कचरे के निपटान के सभी तरीके महंगे हैं। इनमें निकलने वाली गैसें और भी खतरनाक हैं। हमारी तकनीक में प्लास्टिक के विघटन के बाद जो कचरा निकलता है, वह उपयोग योग्य होता है। हमारी तकनीक स्थायी रूप से काम करेगी।

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