Mirzapur Loksabha Election 2024: मिर्जापुर लोकसभा सीट पर चौतरफा घिरीं अनुप्रिया पटेल, राजा भैया के परिवार भी खिलाफ

Mirzapur Me Kaun Jeet Raha Hai: अनुप्रिया पटेल द्वारा हाल ही में कुंडा विधायक और जनसत्ता दल के प्रमुख रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ किए गए टिप्पणी के बाद यहां का चुनाव रोचक हो गया है।

Written By :  Sandip Kumar Mishra
Update: 2024-05-29 11:13 GMT

Mirzapur Loksabha Election 2024: यूपी के मिर्जापुर लोकसभा सीट पर मौसम के साथ सियासी तपिश देखने को मिल रहा है। मिर्जापुर लोकसभा सीट पर 40 वर्षों से स्थानीय व्यक्ति चुनाव जीतकर संसद नहीं बन पाए हैं। कोई भी स्थानीय प्रतिनिधि चुनाव जीतकर दिल्ली में मिर्जापुर का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाया है। आखिरी बार 1984 में मिर्जापुर जिले के रहने वाले उमाकांत मिश्रा ने चुनाव में जीत दर्ज की थी। 1984 के बाद से इस सीट पर बाहरी का दबदबा बढ़ता गया, जहां पर यह सीट बाहरियों के लिए महफूज होता गया। स्थानीय नेता अन्य जिलों से भले सांसद बन गए हों लेकिन मिर्जापुर से चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो सके।

यहां से एनडीए की सहयोगी अपना दल (एस) की प्रमुख व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल तीसरी बार चुनावी मैदान में उतरी हैं। जबकि इस बार अनुप्रिया को भदोही लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद रहे रमेश चंद बिंद सपा के टिकट पर उनको चुनौती दे रहे हैं। वहीं बसपा से मनीष तिवारी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इनके अलावा अपना दल कमेरावादी के दौलत सिंह पटेल भी मैदान में हैं। अनुप्रिया पटेल द्वारा हाल ही में कुंडा विधायक और जनसत्ता दल के प्रमुख रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ किए गए टिप्पणी के बाद यहां का चुनाव रोचक हो गया है। अनुप्रिया पटेल को अपने करीब 3 लाख स्वजातीय (कुर्मी) मतदाताओं के अलावा मोदी और योगी सरकार की योजनाओं के भरोसे मैदान में उतरीं हैं, जहां उनको समर्थक कम विरोधी से ज्यादा सामना करना पड़ रहा है। भाजपा की ओर से पीएम मोदी, सीएम योगी समेत कई दिग्गज यहां जनसभा कर चुके हैं।

अनुप्रिया पटेल को पहली चुनौती उनके परिवार से


अनुप्रिया पटेल के हैट्रिक लगाने के सपने पर पानी डालने के लिए उनकी मां कृष्णा और बहन पल्लवी पटेल ने अपना दल कमेरावादी से दौलत सिंह पटेल को सामने उतारा हैं। जो चुनार क्षेत्र से 3 बार विधायक रहे स्व. यदुनाथ सिंह के चुनावी सलाहकार और प्रतिनिधि रहे हैं। सेवानिवृत्त अध्यापक और कुशल राजनीतिज्ञ होने के चलते समाज में अच्छी पकड़ हैं। स्थानीय उम्मीदवार होने के कारण लोगों का मिल रहा समर्थन सत्ता पक्ष के सपनों को चकनाचूर कर रहा है।

राजा भैया के समर्थन से सपा उम्मीदवार हुए मजबूत


वहीं इंडिया गठबंधन की ओर से सपा उम्मीदवार रमेश चंद बिंद पार्टी के अलावा बसपा और भाजपा के भी कोर वोटर्स में सेंध मार रहे हैं। जातिवाद की नींव पर खड़ी सपा यादव व मुस्लिम मतदाताओं के साथ ही बिंद, कुर्मी, मौर्या और कुशवाहा बिरादरी को अपने पाले में लाने के लिए रमेश चंद बिंद को अपने पाले में लाया था, जिसका भरपूर फायदा मिल रहा है। वहीं रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के समर्थन के बाद 80 हजार क्षत्रिय मतदाता भी सपा के पाले में जाते दिख रहे हैं। वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यहां जनसभा कर उम्मीदवार के पक्ष में माहौल तैयार किया है।

बसपा उम्मीदवार को पार्टी और स्वजातीय मतदाताओं पर भरोसा

बसपा उम्मीदवार मनीष तिवारी ग्रामीण अंचल के साथ ही पिछड़े ब्लाक हलिया के मतदाता हैं। उन्हें अपने पार्टी के मूल मतदाताओं का समर्थन मिल रहा है। इसके अलावा पिछड़े और दलित वर्ग का समर्थन मिलने से इनकी निगाह सवर्ण बिरादरी को साधने में लगी है। इसके लिए कई टीमें मैदान में लगी हैं। जिले के करीब 1.5 लाख ब्राह्मण मतदाता चुनाव में खेवनहार की भूमिका में हैं। लेकिन बिखराव के बीच यह जिधर करवट लेंगे, जीत का सेहरा उसी के माथे पर सजेगा। बसपा सुप्रीमों मायावती ने अपने उम्मीदवार के पक्ष में जनसभा की है।

मिर्जापुर लोकसभा सीट का जातीय समीकरण

मिर्जापुर लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो कुर्मी मतदाता की संख्या करीब 3 लाख 5 हजार है। बिंद 1 लाख 45 हजार, ब्राह्मण 1 लाख 55 हजार, मौर्या 1 लाख 20 हजार, क्षत्रिय 80 हजार, वैश्य 1 लाख 40 हजार, हरिजन 2 लाख 55 हजार, कोल 1 लाख 15 हजार, यादव 85 हजार, पाल 50 हजार, सोनकर- 30 हजार और प्रजापति, नाई , विश्वकर्मा, मुस्लिम मिलाकर करीब दो लाख की आबादी है। आजादी के बाद से जिले की जनता ने तीसरी बार किसी को अपना प्रतिनिधि नहीं चुना है। अब यह 4 मई को ही पता चलेगा की इस बार भी यहां के मतदाता फिर बाहरी को अपना नुमाइंदा चुनती है या स्थानीय। 

मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र का मुद्दा

लोकसभा चुनाव में जातीय आंकड़ों के सहारे बाहर से आए उम्मीदवारों के लिए इस बार का चुनावी वैतरणी को पार कर पाना कठिन होगा। लोगों का कहना है कि आखिर जो बोआ हैं। वहीं तो काटने को मिलेगा। जिले में 10 साल से भाजपा नेताओं की उपेक्षा के चलते आम कार्यकर्ताओं में आक्रोश है। अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं। जिले की समस्याओं की अनदेखी केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के मंसूबों पर पानी फेर सकती हैं। जिले के कुछ इलाकों में सड़क और पेयजल की बरकरार समस्या विकास के दावों को खाई में ढकेल रही हैं। इसके अलावा जिले में किसानों को सिंचाई के लिए पानी देने के बजाय प्रयागराज भेज दिया गया। जिले के लोग पानी के लिए तरसते रहे और सूख रही फसलों को देख सिसकते रहे। जिस पर कोई कार्रवाई नहीं किया गया।

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