Chaitra Navratri 2024 3rd Day: मां विंध्यवासिनी के चंद्रघंटा स्वरूप को देख भक्त हुए निहाल

Chaitra Navratri 2024 3rd Day: भक्तों के कल्याण के लिए आदिशक्ति विंध्यवासिनी नवरात्र के नौ दिनों में शक्ति के नौ रूपों में दर्शन देती हैं।

Report :  Brijendra Dubey
Update:2024-04-11 11:23 IST

मां विंध्यवासिनी के चंद्रघंटा स्वरूप को देख भक्त हुए निहाल (न्यूजट्रैक)

Chaitra Navratri 2024 3rd Day: “या देवी सर्व भूतेषु चन्द्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः“। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद में स्थित विंध्याचल मंदिर में नवरात्र के तीसरे दिन आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी की चन्द्रघंटा के रूप में पूजा अर्चना की जाती है। भक्तों के कल्याण के लिए आदिशक्ति विंध्यवासिनी नवरात्र के नौ दिनों में शक्ति के नौ रूपों में दर्शन देती हैं। तीसरे दिन आदिशक्ति की चन्द्रघंटा के रूप में पूजा आराधना की जाती है। चंद्रमा धारण करने वाली माँ अपने भक्तों को शीतलता प्रदान करने के साथ ही उनकी सारी मनोकामनाओ को पूरा करती हैं। प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित करने वाली माँ का यह स्वरूप सभी के लिए वन्दनीय है। विन्ध्य और माँ गंगा के संगम तट पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी चन्द्रघंटा के रूप में दर्शन देकर भक्तों की सारी मनोकामना पूरी करती हैं।

जानिए कैसे बना आस्था का केंद्र

प्रसिद्ध तीर्थ पुरोहित राजन मिश्रा कहते हैं,“ अनादिकाल से आस्था का केंद्र रहे विन्ध्याचल में विन्ध्य पर्वत व पतित पावनी माँ भागीरथी के संगम तट पर श्रीयंत्र पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी को तीसरे दिन चन्द्रघंटा के रूप में पूजन व अर्चन किया जाता है। भारत के मानक समय के लिए बिन्दु के रूप में स्थापित विंध्य क्षेत्र में माँ को बिन्दुवासिनी अर्थात विंध्यवासिनी के नाम से भक्तों के कष्ट को दूर करने वाला माना जाता है। जहाँ एक ओर माँ चंद्रघंटा दुष्टों का संहार अपने घंटे के ध्वनि से करती हैं वहीँ भक्तों के कष्टों का नाश भी घंटे से निकलने वाली ध्वनि से हो जाती है। प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली माँ चन्द्रघंटा सभी के लिए आराध्य है।

विद्वान यह भी बताते हैं कि मंदिरों में घंटा लगाने का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व है। साधकों के मणिपूरक चक्र जाग्रत होता है। भक्तो को हलुआ-पूड़ी का भोग माँ को अर्पण करने से सभी मनोकामना पूरी होती है। श्रद्धालु मंजरी बताती है,“ माँ चन्द्रघंटा के रूप में देवी की आराधना से मणिचक्र जागृत होता है जिससे व्यक्ति का समय चक्र परिवर्तित होता है। धाम में आने वाले भक्त यहाँ आकर बहुत खुश हैं। भक्तों का कहना है कि मातारानी सभी मनोकामना पूरा करती हैं। पिछले कई वर्षों से देवी पाठ करने वाले भक्तों की झोली माँ ने भर दिया है। आने वाले भक्त मन की मुराद पूरा होने से बहुत ख़ुशी की अनुभूति करते हैं। नवरात्र में नौ दिन माँ के अलग-अलग रूपों की पूजा कर भक्त सभी कष्टों से छुटकारा पाते हैं। माता के किसी भी रूप में दर्शन करने मात्र से प्राणी के शरीर में नयी ऊर्जा, नया उत्साह व सदविचार का संचार होता है।

Tags:    

Similar News