Mirzapur News: नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

Mirzapur News: अनादिकाल से आस्था का केंद्र रहे विन्ध्याचल में विन्ध्य पर्वत व पवन पावनी माँ भागीरथी के संगम तट पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी का दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजन व अर्चन किया जाता है ।

Report :  Brijendra Dubey
Update:2024-10-04 09:54 IST

2nd डे-माँ ब्रम्हचारणी   (photo: social media )

Mirzapur News: नवरात्र में आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी के नौ रूपों की आराधना की जाती है। पहले दिन जहाँ हिमालय की पुत्री पार्वती अर्थात शैलपुत्री के रूप में माँ की पूजन करने का विधान है। वहीँ दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजन की जाती है । प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली माँ का यह स्वरूप बड़ा दिव्य है। माता सफेद वस्त्र धारण कर एक हाँथ में कमंडल और दूसरे हाथ में माला लिए हुए सभी के लिए आरध्यनीय है । विन्ध्य और माँ गंगा के तट पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी ब्रह्मचारिणी के रूप सभी भक्तों का कष्ट दूर करती है ।

विंध्याचल बना है आस्था का केंद्र

अनादिकाल से आस्था का केंद्र रहे विन्ध्याचल में विन्ध्य पर्वत व पवन पावनी माँ भागीरथी के संगम तट पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी का दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजन व अर्चन किया जाता है । विंध्य क्षेत्र में माँ को विन्दुवासिनी अर्थात विंध्यवासिनी के नाम से भक्तों के कष्ट को दूर करने वाला माना जाता है । मां का दूसरा रूप शक्ति विग्रह ब्रह्मचारिणी या तपस्चारिणी अर्थात तप का आचरण करने वाला है। शत, चित, आनंदमय ब्रह्मा की प्राप्ति करना ही मां के दूसरे स्वरूप का उद्देश्य एवं स्वभाव है । उनकी आभा पूर्ण चंद्रमा के समान निर्मल और कान्तिमय है । इनकी शक्ति का स्थान स्वाधिष्ठान चक्र में है ।

प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली माँ ब्रह्मचारिणी सभी के लिए आराध्य है । नौ दिन में माँ सभी भक्तों के मनोकामना को पूरा करती है । इस गृहस्थ जीवन में जिस - जिस वस्तुओं की जरूरत प्राणी को होता है वह सभी प्रदान करती है ।


भक्तों की सारी मनोकामना होती है पूरी

माँ की सविधि पूजा अर्चना कर उन्हें आज पंचामृत का भोग लगाने से प्रसन्न हो जाती हैं और जप करने वाले भक्तों की सारी मनोकामना पूरी होती है । माता के दर्शन करने के लिए भक्तों का ताँता लगा रहता है । आदि शक्ति माँ विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए भक्त पिछले कई सालों से यहाँ आते रहे है । दूर दराज से आने वाले बहुत से वक्त 9 दिनों तक विंध्याचल क्षेत्र में ही निवास कर मां की आराधना पूरे तन मन से करते हैं । जिससे प्रसन्न होकर माँ उनकी सभी मुरादें पूरी करती है। मां के दरबार में आने वाले भक्त दर्शन पाकर भाव विभोर हो जाते हैं । कॉरिडोर बनने से आज धाम की व्यवस्था से दर्शन पूजन करना सुलभ और आनंददायक हो गया है।नवरात्र में नौ दिन माँ के अलग अलग रूपों की पूजा कर भक्त सभी कष्टों से छुटकारा पाते हैं । माता के किसी भी रूप में दर्शन करने मात्र से प्राणी के शरीर में नयी उर्जा, नया उत्साह व सदविचार का संचार होता है । माँ के धाम में आने के बाद माँ की मनोहारी दर्शन कर भक्तो को परम शांति मिलती है।



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