Vindhyachal Mandir: नवरात्र के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की पूजा, माँ का यह स्वरूप सभी के लिए अराध्नीय
Vindhyachal Temple Navratri Puja: अनादिकाल से आस्था का केंद्र रहे विन्ध्याचल में विन्ध्य पर्वत व पवन पावनी माँ भागीरथी के संगम तट पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी का दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजन व अर्चन किया जाता है ।
Vindhyachal Temple Navratri Puja: नवरात्र में आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी के नौ रूपों की आराधना की जाती है । पहले दिन जहाँ हिमालय की पुत्री पार्वती अर्थात शैलपुत्री के रूप में माँ का पूजन करने का विधान है वहीँ दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजन किया जाता है | प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली माँ का यह स्वरूप सभी के लिए अराध्नीय है |विन्ध्य और माँ गंगा के तट पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी ब्रह्मचारिणीके रूप सभी भक्तों का कष्ट दूर करती है |
विंध्य पर्वत पर विराजमान है मां विंध्यवासिनी
अनादिकाल से आस्था का केंद्र रहे विन्ध्याचल में विन्ध्य पर्वत व पवन पावनी माँ भागीरथी के संगम तट पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी का दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजन व अर्चन किया जाता है । विन्ध्यक्षेत्र में माँ को विन्दुवासिनी अर्थात विंध्यवासिनी के नाम से भक्तों के कष्ट को दूर करने वाला माना जाता है | प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली माँ ब्रह्मचारिणी सभी के लिए आराध्य है । नौ दिन में माँ सभी भक्तों के मनोकामना को पूरा करती है । इस गृहस्थ जीवन में जिस - जिस वस्तुओं की जरूरत प्राणी को होता है वह सभी प्रदान करती है ।
माँ की सविधि पूजा अर्चना कर जप करने वाले भक्तो की सारी मनोकामना पूरी होती है । मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए भक्तों को चाहिए कि वह सफेद रंग के वस्तुओं को धारण कर मां की पूजा करें और सफेद ही वस्तुओं का मन को भोग लगे मां के धाम में आने वाले भक्त मां विंध्यवासिनी का आशीर्वाद पाने के लिए मां गंगा में स्नान करना चाहिए। इसके बाद वह मां का आशीर्वाद लेते हुए त्रिकोण पद की भी यात्रा कर तीन देवियों का दर्शन पाए। माता दर्शन करने के लिए भक्तों का ताँता लगा है । आदि शक्ति माँ
विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए भक्त पिछले कई सालों से आते रहे है, माँ उनकी सभी मुरादें पूरी करती है। नवरात्र में नौ दिन माँ के अलग अलग रूपों की पूजा कर भक्त सभी कष्टों से छुटकारा पाते हैं । माता के किसी भी रूप में दर्शन करने मात्र से प्राणी के शरीर में नयी उर्जा, नया उत्साह व सदविचार का संचार होता है । माँ के धाम में आने के बाद माँ की मनोहारी दर्शन कर भक्तो को परम शांति मिलती है ।