Mirzapur: विंध्याचल में ब्रह्मचारिणी का स्वरूप हैं विंध्वासिनी, सफेद वस्त्र में आते हैं श्रद्धालु
Vindhyachal : विन्ध्याचल धाम में माँ विंध्यवासिनी का ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजन व अर्चन किया जाता है। नवरात्रि के दूसरे दिन यहां लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
Mirzapur: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद में स्थित विंध्याचल मंदिर में नवरात्रि पर श्रद्धालुओं की भीड़ पहले दिन से ही जुटने लगती है। विंध्य पर्वत और गंगा तट पर बसी मां विंध्यवासिनी को ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है। नवरात्रि के दूसरे दिन माता विंध्यवासिनी की विशेष पूजा-आराधना की जाती है। इस दिन ब्रह्मचारिणी के रूप विंध्यवासिनी मां भक्तों का कष्ट दूर करती हैं।
विंध्याचल मंदिर की धार्मिक मान्यता
मिर्जापुर स्थित विंध्याचल मंदिर की महत्वता लोक विख्यात है। विंध्याचल के प्रसिद्ध तीर्थ पुरोहित राजन मिश्रा ने मंदिर के धार्मिक महत्व के बारे में बताया। पुरोहित राजन मिश्रा कहते हैं, ‘अनादिकाल से आस्था का केंद्र रहे विन्ध्याचल धाम में विन्ध्य पर्वत व पतित पावनी माँ भागीरथी के संगम तट पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी का ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजन व अर्चन किया जाता है। विन्ध्यक्षेत्र में माँ को बिंदुवासिनी अर्थात विंध्यवासिनी के नाम से जाना जाता है, जो भक्तों के कष्ट को दूर करने के लिए प्रसिद्ध हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में जो भी यहां दर्शन के लिए आता है, माँ उन सभी भक्तों की मनोकामना को पूरा करती हैं। देवी विंध्यवासिनी भक्तों को वह सभी वस्तुएं प्रदान करती हैं, जो गृहस्थ जीवन के लिए आवश्यक होती है।
दरबार में सफेद वस्त्र में आते हैं श्रद्धालु
विंध्यवासिनी के दरबार में सभी श्रद्धालु सफेद वस्त्र में दर्शन करने आते हैं। इसलिए मां ब्रह्मचारिणी के रूप में विंध्यवासिनी की पूजा के लिए भक्त को सफेद रंग के वस्तुओं को धारण कर मां की पूजा करनी चाहिए और सफेद वस्तुओं का ही मां को भोग लगाना चाहिए। मां के धाम में आने वाले भक्त को मां विंध्यवासिनी का आशीर्वाद पाने के लिए मां गंगा में स्नान करना चाहिए। मां विंध्यवासिनी के दर्शन करने के बाद त्रिकोण पथ की भी यात्रा करनी चाहिए। इसमें तीन देवियों (मां अष्टभुजी, मां काली, शीतला देवी) का दर्शन शामिल है।
पूरे साल दर्शन के लिए आते हैं श्रद्धालु
विंध्याचल मंदिर में माता विंध्यवासिनी के दर्शन करने के लिए भक्तों का ताँता पूरे साल लगा रहता है। नवरात्रि पर विंध्याचल में लाखों श्रद्धालु अपने कष्टों से छुटकारा पाने के लिए जाते हैं। माता विंध्यवासिनी के किसी भी रूप में दर्शन करने मात्र से प्राणी के शरीर में नई ऊर्जा, नया उत्साह व सदविचार का संचार हो जाता है। माँ के धाम में आने के बाद भक्तों को माँ के मनोहारी दर्शन से परम शांति मिलती है।