खबरदार! बना रहे जोश, मोदी सरकार पर कड़ी कार्रवाई का दबाव

Update:2019-03-08 12:32 IST

अंशुमान तिवारी

लखनऊ: भारतीय पायलट अभिनंदन की सकुशल वापसी, जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण भारत-पाकिस्तान के बीच का संकट डिफ्यूज होता प्रतीत हो रहा है। एलओसी पर गोलाबारी भी कम हुई है। फिर भी यह मान लेना गलत होगा कि दोनों देशों के बीच तनाव खत्म हो गया है, पाकिस्तान ने सबक सीख लिया है और आने वाले महीनों में यह संकट दोबारा नहीं सुलगेगा। पुलवामा हमले की राख अभी ठंडी नहीं हुई है और मोदी सरकार पर पाकिस्तान के खिलाफ एयर स्ट्राइक के बाद और कड़ी कार्रवाई का दबाव है। देश का आम जनमानस भी इस बार पाकिस्तान के खिलाफ आरपार की कार्रवाई चाहता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह बयान अहम है जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘पायलट प्रोजेक्ट पूरा हो गया है और अब एक असली प्रोजेक्ट करना होगा। पहले वाला प्रोजेक्ट तो प्रैक्टिस था।’ इस बयान का मतलब साफ है कि भारत आतंकवादी हरकतों के खिलाफ सख्त और पहले से कड़े कदम उठाएगा और चूंकि पाकिस्तान की सरजमीं से ही आतंकी गुट ऑपरेट करते हैं सो भारत में किसी भी आतंकी कार्रवाई का खामियाजा पाकिस्तान को भुगतना पड़ेगा। देश भर में जिस तरह भारत की कार्रवाई का समर्थन किया गया उससे साफ है कि जनता इस मसले को हमेशा के लिए निपटा देने के पक्ष में है।

मोदी अपने भाषणों में लगातार पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकेत दे रहे हैं। राजस्थान की जनसभा में उन्होंने अटल की कविता उद्धृत करते हुए कहा कि मैं देश नहीं मिटने दूंगा, मैं देश नहीं झुकने दूंगा। उसके बाद गुजरात के दौरे पर पीएम मोदी ने कहा कि हिसाब चुकता करना मेरी फितरत है। भारत की ओर आंख उठाकर देखने वालों से मैं चुन-चुनकर बदला लूंगा। मैं पुलवामा में शहीद हुए जवानों के परिजनों का दर्द नहीं भूल सकता। इसके अलावा मोदी बार-बार यह कहते रहे हैं कि मेरी सरकार ने सेना को कार्रवाई करने की खुली छूट दे दी है। इससे साफ है कि आने वाले दिनों में भारत पाकिस्तान के खिलाफ और कड़ी कार्रवाई कर सकता है। चुनाव से पहले विपक्ष के कई नेताओं के एयर स्ट्राइक का सबूत मांगने के बाद भी माना जा रहा है कि सरकार आतंकियों पर कार्रवाई के मामले में रुकने वाली नहीं है।

सेना-आईएसआई के पास असली ताकत

भले ही कहने को इमरान खान के हाथ में पाकिस्तान की कमान है, लेकिन सच्चाई यह है कि सेना और आईएसआई पर उनका शायद ही कोई कंट्रोल हो। पाकिस्तान में जमे आतंकी गुट सेना व आईएसआई की सरपरस्ती में ही पनपते रहे हैं। इन आतंकी गुटों के सफाए में सरकार भी मजबूर है। जैश के बारे में ही पाकिस्तान तरह-तरह के बयान दे रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक इंटरव्यू में माना कि अजहर पाकिस्तान में है और काफी बीमार है। वह अपने घर से निकल भी नहीं सकता। विदेशी मीडिया को दिए इंटरव्यू में कुरैशी ने कहा कि जैश-ए-मोहम्मद ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को यकीन नहीं है कि पुलवामा हमले में जैश शामिल था। जब इंटरव्यू लेने वाले ने कहा कि जैश ने पुलवामा आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है, तो कुरैशी ने इसका खंडन किया।

उधर, पाकिस्तानी सेना ने दावा किया है कि हमारे मुल्क में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का वजूद ही नहीं है। यह दावा पाक सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने किया। उन्होंने कहा कि इस संगठन को हमारे मुल्क और संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंधित किया है। गफूर का ये बयान ऐसे समय आया है जब पाक विदेश मंत्री महमूद शाह कुरैशी ने कुछ ही दिन पहले कहा था कि वह जैश के सरगना मसूद अजहर के संपर्क में हैं। इस बीच पाक के वित्त सचिव ने कहा कि वित्तीय प्रतिबंधों से बचने के लिए प्रतिबंधित संगठनों के खिलाफ सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए।

पाक की दिखाने वाली कार्रवाई

अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच पाकिस्तान का दावा है कि उसने आतंकी समूहों पर कार्रवाई शुरू कर दी है और ४४ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है जिनका संबंध जैश-ए-मोहम्मद से है। पाकिस्तानी अधिकारी कह रहे हैं कि उनकी यह कार्रवाई पहले से तय रणनीति का हिस्सा है, इसका भारत की ओर से लगाए जा रहे आरोपों का कुछ लेना-देना नहीं है।

पाकिस्तानी गृह मंत्रालय के मुताबिक जैश के प्रमुख मसूद अजहर के रिश्तेदार मुफ्ती अब्दुल राउफ और हामाद अजहर को एहतियातन हिरासत में लिया गया है। हामाद को मसूद अजहर का बेटा कहा जा रहा है। पाकिस्तान के गृह सचिव आजम सुलेमान का कहना है कि अगर हमें कोई सबूत नहीं मिलता तो हिरासत खत्म हो जाएगी। इसके साथ ही पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद के जमात-उद-दावा (जेयूडी) और फलाह-ए-इंसानियत (एफआईएफ) नाम के संगठनों पर भी बैन लगा दिया है।

जैश सरगना की पाक सरकार को चेतावनी

काफी समय से शांत पड़े रहने के बाद पुलवामा हमले के साथ जैश-ए-मोहम्मद फिर सामने आ गया है। अब तो जैश के सरगना मौलाना मसूद अजहर ने पाकिस्तान सरकार को चेतावनी दे डाली है कि वह जैश के संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की जुर्रत न करे। मसूद अजहर का बयान ऐसे वक्त में आया है जब उसके मारे जाने या बेहद गंभीर रूप से बीमार होने के खबरें चल रही थीं। अब मसूद अजहर फिर सामने आया है और धमकी भरे अंदाज में बयान दिया है। इसी तरह खुफिया जानकारी भी है कि आतंकी गुट समुद्र के रास्ते भारत में आतंकियों को घुसा सकते हैं और देश में अलग-अलग जगहों पर आत्मघाती हमले किए जा सकते हैं। इन हालातों में सभी एजेंसियों और सुरक्षा बलों को पूरी तरह सतर्क रहने की जरूरत है।

मुशर्रफ का सनसनीखेज खुलासा

दूसरी ओर पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ जैश-ए-मोहम्मद को लेकर एक सनसनीखेज खुलासा किया है। मुशर्रफ ने कहा कि जैश-ए-मोहम्मद एक आतंकी संगठन है और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने इसका इस्तेमाल कर भारत में कई धमाके करवाए। मुशर्रफ ने जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ की जा रही कार्रवाई का स्वागत किया और कहा कि उन्होंने दिसंबर 2003 में जैश पर बैन लगाने की दो बार कोशिश की थी। ऐसी बातों से साफ होता है कि जैश की कितनी मजबूत पकड़ है। मौजूदा समय में पाकिस्तान के सबसे गहरे दोस्त चीन ने भी इन समूहों से अघोषित करार कर रखा है कि ‘तुम हमें मत छेड़ो, हम तुम्हें नहीं छेड़ेंगे।’ चीन पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर निवेश कर चुका है और यही कारण है कि आतंकी संगठनों के कारण अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती पाक की घेरेबंधी से वह परेशान भी है। सामरिक मजबूरियों के कारण अमेरिका भी कोई सख्त कदम नहीं उठा सका है। उसकी कार्रवाई बस चेतावनी और फंड्स को रोक देने तक ही सीमित रही है।

पाकिस्तान सरकार का कहना है कि उसने जेयूडी और एफआईएफ द्वारा चलाए जा रहे मदरसों को भी बैन कर दिया है। देश में जेयूडी द्वारा करीब 300 मदरसे चलाए जा रहे थे। बताया जाता है कि प्रशासन ने ऐसे मदरसों को बंद करके उनकी संपत्ति को जब्त कर ली है। इसके बाद मसूद अजहर ने एक वीडियो जारी कर न सिर्फ पाकिस्तान सरकार से मस्जिदों और मुलसमानों का उत्पीडऩ बंद करने को कहा बल्कि अपने समर्थकों से भारत के खिलाफ जिहाद छेडऩे का आह्वान भी किया। मसूद अजहर ने इस वीडियो में कहा कि पाकिस्तान एक इस्लामी देश है जिस पर उदारवादियों का कब्जा नहीं होने दिया जाएगा।

बातचीत मुमकिन

मुमकिन है कि अमेरिका तथा विश्व की अन्य ताकतें दक्षिण एशिया में अमन कायम करने के लिए न केवल अपनी भूमिका बढ़ाएंगी बल्कि भारत-पाक को बातचीत की मेज पर लाने की कोशिश करेंगी। इस बातचीत में कश्मीर समस्या शामिल हो सकती है। भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव से दुनिया भर के देशों में चिंता है और इसी कारण माना जा रहा है कि बड़ी ताकतें दोनों देशों को बातचीत के टेबल पर लाने के लिए प्रयासरत हैं।

इस महीने होना है मतदान

अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने और उसे प्रतिबंधित सूची में डालने को लेकर सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव दिया है। प्रस्ताव पर मार्च मध्य में मतदान होना है। फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन ने प्रस्ताव पेश करते हुए संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद से कहा कि जैश-ए-मोहम्मद के चीफ आतंकी मौलाना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाया जाए। उसकी वैश्विक यात्राओं पर प्रतिबंध लगाया जाए। साथ ही उसकी सारी संपत्ति जब्त की जाए।

इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक कामयाबी माना जा रहा है। वैसे चीन ने अभी इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है मगर ये साफ है कि चीन उतनी मजबूती से पाकिस्तान का साथ नहीं दे रहा है जितना पाकिस्तान को उम्मीद थी। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में लाए गए इस प्रस्ताव में पुलवामा आतंकी हमले का भी जिक्र किया गया है। पिछले दस साल में यह चौथा मौका होगा जब मसूद अजहर के खिलाफ प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। प्रस्ताव को रूस का समर्थन मिलने की संभावना है, लेकिन सबको चीन के रुख का इंतजार है।

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