हिंदुत्व पर मोहन भागवत के इस बयान से मच जाएगी खलबली

संघ प्रमुख ने कहा कि उन सबको विरासत में यही धर्म और संस्कृति मिली है, तभी लोग आपस में मिलकर रहते हैं। उन्होंने कहा कि अगर समाज का हर तबका काम नहीं करता है तो कार्य का बंटवारा होगा। संघ के लोग समाज को अच्छा बनाने का काम करते हैं।

Update: 2020-01-18 08:03 GMT

मुरादाबाद: जिले में चार दिन के प्रवास पर पहुंचे संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मंच से देश के 130 करोड़ लोगों को संदेश देते हुए कहा की संघ अपनी संस्कृति के अनुसार विश्व मे बढ़ रहा है, और आज भी सबसे बड़ा है, लेकिन किसी किसी को बिना कारण ही दर्द होता है।

मोहन भागवत ने एक बार फिर हिंदू राष्ट्र का राग अलापा है। संघ प्रमुख ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि संघ का मानना है कि यह देश हिंदुओं का है।

संघ प्रमुख ने ऋषि मुनियों का उदहारण देते हुए संघ की बुराई करने वालो का नाम लिए बिना उन पर अपने अंदाज में जोरदार प्रहार करते हुए कहा कि जब कोई ऋषि मुनि तपस्या करता था, तो भगवान इंद्र भी अप्सराएं भेज कर उनकी तपस्या भंग करने का प्रयास करते थे, किसी का बड़ा होना, सज्जनों को अच्छा लगता है।

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लेकिन कुछ लोगों को लगता है कि उनकी दुकान बंद हो जाएगी, इसलिए वो इसका दुष्प्रचार करते है, संघ का कार्य भी कुछ वैसा ही है, हम लोग पिछले 60 सालों से देश और समाज के लिए कार्य करते आ रहे है। लेकिन इससे संघ को कोई फर्क नही पड़ता, और संघ से जुड़ा हर व्यक्ति इस बारे मे जनता है, वो कुछ भी कहे उन सबको तो एक दिन हमे जोड़ कर चलना ही ही है।

यहां जितने लोग हैं, उनके पूर्वज हिंदू थे: संघ प्रमुख

उन्होंने कहा कि यहां जितने लोग हैं, उन सबके पूर्वज हिंदू थे। यह सत्य है। बाहर से आया हुआ यहां कोई नहीं है। सब यहीं के हैं। उनके पूर्वज हिंदू थे। उनकी मातृभूमि भारत है, दूसरी नहीं।

संघ प्रमुख ने कहा कि उन सबको विरासत में यही धर्म और संस्कृति मिली है, तभी लोग आपस में मिलकर रहते हैं। उन्होंने कहा कि अगर समाज का हर तबका काम नहीं करता है तो कार्य का बंटवारा होगा। संघ के लोग समाज को अच्छा बनाने का काम करते हैं।

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