Bhadohi News: पुत्रों की सलामती व दीर्घायु के लिए माताओं ने की ललही माता की पूजा, जानें इसके पीछे की कहानी
Bhadohi News: ललही छठ (Lalhi Chhath) का पर्व क्षेत्र में बुधवार को धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर महिलाओं ने व्रत रख पुत्र के दीर्घायु होने की कामना की।
Bhadohi News: ललही छठ (Lalhi Chhath) का पर्व क्षेत्र में बुधवार को धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर महिलाओं ने व्रत रख पुत्र के दीर्घायु होने की कामना की। कृष्ण पर्व की षष्ठी के दिन होने वाले इस त्योहार पर व्रती महिलाएं दिनभर व्रत कर पूजा आरती करने के बाद नदी या तालाब में उगने वाले बिना हल चलाए पैदा होने वाले चावल तथा दही खाकर व्रत तोड़ती हैं। जन्माष्टमी (Janmashtami) से पहले हर साल हलषष्ठी या ललही छठ का त्योहार बुधवार को जिले में धूमधाम से मनाया गया।
पुत्रों की दीर्घायु व पुत्र प्राप्ति के लिए व्रत
जगह-जगह महिलाएं एकत्रित होकर छीउल व कूसा को जमीन में गाड़कर पूजा की। पुत्रों की दीर्घायु व पुत्र प्राप्ति के लिए विवाहिता महिलाओं ने व्रत भी रखा। इस सम्बंध में में वीरेंद्र मिश्र मोहन ने बताया कि भाद्रप्रद कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाए जाने वाले इसी दिन में भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था।
इस दिन महिलाएं व्रत रखते हुए कथा सुनती हैं। श्री मिश्र ने बताया कि इसके पीछे मान्यता है कि जब कंस को पता चला कि वासुदेव और देवकी की संतान उसकी मृत्यु का कारण बनेंगी तो उसने उन्हें कारागार में डाल दिया। छह संतानों का कंस ने वध कर डाला। सातवां पुत्र होना था तब उनकी रक्षा के लिए नारद मुनि ने उन्हें हलष्ठी माता की व्रत करने की सलाह दी जिससे उनका पुत्र कंस के कोप से सुरक्षित हो जाए।
रोहिणी के गर्भ से बलराम का जन्म हुआ
देवकी ने व्रत किया और इसके प्रभाव से भगवान ने योगमाया से कह कर देवकी के गर्भ में पल रहे बच्चे को रानी के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया। इससे कंस भी धोखा खा गया। उसने समझा कि देवकी का सातवां पुत्र जिंदा नहीं है। उधर रोहिणी के गर्भ से बलराम का जन्म हुआ।
देवकी को आठवें पुत्र के रूप में श्रीकृष्ण की प्राप्ति हुई
देवकी को आठवें पुत्र के रूप में श्रीकृष्ण की प्राप्ति हुई। देवकी के व्रत से दोनों पुत्रों की रक्षा हुई। तभी से ललही छठ त्योहार पर महिलाएं व्रत रखकर कथा सुनती है। हमारे कांवल प्रतिनिधि के अनुसार क्षेत्र के चककिसुनदास बारी चकसिखारी नन्दापुर आदि स्थानों पर माताओं ने विधि.विधान से ललही माता की पूजा की।