नर्स ने फतह की 16 हजार फीट ऊंची चोटी, 15 दिन की मेहनत और लहरा दिया तिरंगा

Update: 2016-11-04 10:49 GMT

गोरखपुर: बेटियां आज हमारे देश में हर चीज पर अपनी जीत का परचम लहरा रही हैं। इसका एक और उदहरण गोरखपुर के ननिहाल खजनी के कटघर ( मैदानी क्षेत्र) में देखने को मिला है। यहां रहने वाली नर्स रजनी साहू ने अपनी नर्सिंग की नौकरी छोड़कर एक पर्वतारोही बन गईं।

उन्होंने लगभग 15 दिन की प्रैक्टिस के बाद लगभग 16,000 फीट ऊंची हिमांचल की सीती धार की चोटी पर जीत हासिल की। वहीं अब उनका लक्ष्य है कि अब वह 20,000 फिट ऊंची हनुमान टिब्बा चोटी पर जीत हासिल करे।

रजनी बचपन से ही ऊंचे पहाड़ों को पार करने के सपने देखती थी

-23 साल की रजनी यूपी के संत कबीर नगर के घनघटा क्षेत्र स्थित करमा गांव की रहने वाली हैं।

-वह गोरखपुर में प्राइवेट हॉस्पिटल में बतौर नर्स के पद पर कार्यरत थीं

-रजनी की बचपन से ही ऊंचे पहाड़ों को पार करने का शौक था।

-रजनी ने गोरखपुर विश्वविद्यालय के क्रीडा विभाग से संपर्क कर पहाड़ों पर चढ़ने की इच्छा जाहिर की लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लग पाया।

गूगल से मिली पर्वतारोही बनने की जानकारी

-रजनी ने बताया कि उन्होंने गूगल से मनाली दार्जिलिंग और उत्तरकाशी की इंस्टीट्यूट की जानकारी ली।

-यहां पर्वतारोहण का प्रशिक्षण दिया जाता है।

-रजनी ने मनाली पहुंचकर 15 दिन का बेसिक कोर्स किया।

-इसके बाद वह 15 अक्टूबर की सुबह पहाड़ की वादियों की सैर करने निकल पड़ीं।

आसान नहीं था रजनी का सफर

-रजनी बताती हैं उनके पिता राम आध्या एक किसान हैं।

-परिवार में दो और छोटी बहनें और दो भाई हैं।

-उनकी पढ़ाई के दौरान पर्वतारोहण का कोर्स करने की इच्छा थी।

-पर इस कोर्स की सुविधा यहां पर नहीं थी।

-लोगों से हिमांचल प्रदेश मनाली में स्थित अटल बिहारी बाजपेई पैरामाउंट स्कूल की जानकारी मिली।

-रजनी ने नर्स के पद से इस्तीफा देकर मनाली का रुख किया।

-बेसिक कोर्स करने के दौरान पीर पंजाल की चोटी पर चढ़ने की चुनौती मिली।

-एडवांस कोर्स में ही लगभग 20,000 फीट ऊंची हिमांचल में हनुमान टिब्बा चढ़ाई करने का लक्ष्य मिला।

-रजनी ने बताया कि देश का सफल पर्वतारोही बनना उनका लक्ष्य है।

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