Mukesh Sahani: बॉलीवुड से आकर बिहार की सियासत में छाए सहनी, अब यूपी चुनाव में करेंगे बड़ा खेल
Mukesh Sahani: बिहार में पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश साहनी (Mukesh Sahani) ने अगले साल उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में होने वाले विधानसभा चुनावों (UP Assembly Elections 2022) के लिए सक्रियता बढ़ा दी है।
Mukesh Sahani: बॉलीवुड के दो बड़े अभिनेताओं शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) और सलमान खान (Salman Khan) की बहुचर्चित फिल्मों देवदास (Devdas) और बजरंगी भाईजान (Bajrangi Bhaijaan) का सेट डिजाइन करने वाले मुकेश सहनी अब उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सियासी अखाड़े में अपनी ताकत दिखाने के लिए कूद पड़े हैं। विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के मुखिया मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) बिहार की सियासत का चर्चित चेहरा बन चुके हैं और अब उन्होंने उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों (UP Assembly Elections 2022) के लिए सक्रियता बढ़ा दी है।
बिहार में महागठबंधन से अलग होने के बाद एनडीए (NDA) के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले सहनी सियासी दांवपेच के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं और माना जा रहा है कि निषाद वोट बैंक (Nishad Vote Bank) के दम पर अब वे यूपी में अपनी ताकत दिखाएंगे। सियासी जानकारों का मानना है कि यूपी के सियासी अखाड़े (UP Politics) में सहनी की एंट्री कई दलों के समीकरण बिगाड़ सकती है। अपने भावी कार्यक्रमों के जरिए सहनी ने यूपी में सक्रियता बढ़ाने का संकेत पहले ही दे दिया है।
तीन साल में ही बिहार में दिखाई ताकत
बिहार में पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश साहनी (Mukesh Sahani) ने तीन साल पहले ही वीआईपी पार्टी (VIP) का गठन किया था और इतने कम समय के दौरान ही उन्होंने बिहार की सियासत में अपनी ताकत दिखा दी है। मौजूदा समय में उनकी पार्टी के बिहार में चार एमएलए और एक एमएलसी है।
निषादों के लिए अलग से आरक्षण की मांग करने वाले सहनी उत्तर प्रदेश की 150 विधानसभा सीटों पर अपनी पार्टी के प्रत्याशी उतारने के इच्छुक हैं। उनका कहना है कि यदि निषाद की उपजातियों को मिला दिया जाए तो यूपी में 14 फ़ीसदी निषाद हैं। अब इसी वोट बैंक के दम पर वे उत्तर प्रदेश बड़ा गुल खिलाने के लिए सियासी मैदान में उतर रहे हैं।
बिहार जैसा तरीका यूपी में अपनाया
सहनी ने उत्तर प्रदेश की सियासत में भी एंट्री का वही तरीका अपनाया है जो उन्होंने बिहार में अपनाया था। 2013 में बिहार के अखबारों में मुकेश सहनी के तस्वीरों वाली वाले बड़े-बड़े विज्ञापन छपे थे। उस विज्ञापन के जरिए सहनी ने खुद को सन ऑफ मल्लाह के रूप में प्रोजेक्ट किया था। इन विज्ञापनों के बाद सहनी बिहार में चर्चा का विषय बन गए।थे और बाद के दिनों में उन्होंने विकासशील इंसान पार्टी का गठन करके अपनी सियासी ताकत दिखाई।
उत्तर प्रदेश के सियासी अखाड़े में भी सहनी ने एंट्री का वही तरीका अपनाया है। प्रदेश के बड़े बड़े अखबारों में विज्ञापन देने के बाद उन्होंने गुरुवार को राजधानी लखनऊ में समर्थकों के बड़े जमावड़े के साथ अपने कार्यालय की शुरुआत कर दी है।
इस दौरान उत्तर प्रदेश और बिहार के विभिन्न हिस्सों से आए अपने समर्थकों की भारी भीड़ देखकर साहनी गदगद दिखे और अब सियासी कार्यक्रमों के जरिए अपनी ताकत दिखाने में जुट गए हैं।
यूपी में दिखाएंगे 25 को ताकत
उत्तर प्रदेश में निषाद समुदाय का बड़ा चेहरा रहीं फूलन देवी की याद में वे 25 जुलाई को बड़ा कार्यक्रम करने वाले हैं। फूलन देवी की 2001 में 25 जुलाई को दिल्ली में हत्या कर दी थी और फूलन की याद में कार्यक्रम के लिए सहनी ने 25 जुलाई का दिन ही चुना है।
उनका कहना है कि फूलन की याद में प्रदेश के हर जिले में कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा जबकि मुख्य कार्यक्रम गोरखपुर में आयोजित होगा। माना जा रहा है कि इस कार्यक्रम के जरिए सहनी निषादों को एकजुट करने की कोशिश के साथ ही अपनी ताकत भी दिखाएंगे।
सहनी की जिंदगी का सफर काफी दिलचस्प
सियासत के मैदान में कूदने से पहले सहनी की जिंदगी का सफर भी काफी दिलचस्प है। 19 साल की उम्र में वे काम की तलाश में दरभंगा छोड़कर मुंबई पहुंच गए थे। वहां कुछ समय तक उन्होंने एक कॉस्मेटिक दुकान में भी काम किया। इस दौरान कुछ लोगों के संपर्क में आने के बाद सहनी के दिमाग में बॉलीवुड फिल्मों के लिए सेट डिजाइन करने का आइडिया आया।
इस दिशा में प्रयास शुरू करने के बाद उन्हें सबसे बड़ा ब्रेक शाहरुख खान की फिल्म देवदास और सलमान खान की फिल्म बजरंगी भाईजान में मिला और इन दोनों फिल्मों का सेट उन्होंने डिजाइन किया। इसके बाद उन्हें बॉलीवुड में काम की कमी नहीं रही और उन्होंने अपनी अलग कंपनी बना ली। इस काम में काफी पैसा कमाने के बाद उन्होंने सियासी मैदान में उतरने का मन बनाया।
इस तरह मिली बिहार में पहचान
बिहार की सियासत में सहनी 2013 में ही कूद पड़े थे मगर उन्हें 2015 से सियासी हलकों में पहचान मिलना शुरू हुई। 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू और राजद ने गठबंधन कर लिया था। उस समय सहनी ने कोई पार्टी नहीं बनाई थी मगर उन्होंने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया।
2015 के विधानसभा चुनावों के दौरान वे कई चुनावी मंचों पर भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह के साथ दिखे थे। उन्होंने शाह के साथ कई चुनावी सभाओं को संबोधित किया मगर वे निषादों के वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब नहीं हो सके और भाजपा को पराजय झेलनी पड़ी।
लोकसभा चुनाव में नहीं मिली कामयाबी
बाद में 4 नवंबर 2018 को उन्होंने विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) का गठन किया और राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन में शामिल होने के लिए तेजस्वी यादव से बातचीत शुरू की। तेजस्वी की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद वे महागठबंधन में शामिल हो गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में वीआईपी प्रत्याशियों ने लोकसभा की तीन सीटों पर किस्मत आजमाई। वीआईपी को मुजफ्फरपुर, मधुबनी और खगड़िया लोकसभा सीटें मिली थीं मगर तीनों ही सीटों पर वीआईपी प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा। मुकेश सहनी खुद भी खगड़िया से चुनाव हार गए।
एनडीए से हाथ मिलाकर बने ताकतवर
बिहार विधानसभा के 2020 में हुए चुनाव में उन्होंने राजद से 25 सीटों की मांग की थी मगर राजद नेता तेजस्वी यादव उन्हें 10-11 सीटें देने को भी तैयार थे। इससे नाराज साहनी ने महागठबंधन की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ही हंगामा कर दिया और उनके समर्थक नारेबाजी करने लगे। उन्होंने खुद के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया। बाद में उन्होंने महागठबंधन से अलग होने का भी ऐलान कर दिया।
उन्होंने अपने सूत्रों के जरिए एनडीए से हाथ मिलाने की संभावनाएं तलाशीं और इस काम में उन्हें कामयाबी भी मिली। एनडीए की ओर से उन्हें 11 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका दिया गया जिसमें वीआईपी ने 4 सीटों पर जीत हासिल की। हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान भी सहनी को हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बावजूद एनडीए की ओर से उन्हें मंत्री बनाया गया और बाद में वादे के मुताबिक उन्हें विधानपरिषद की सदस्यता भी हासिल हो गई।
अब यूपी चुनाव में बड़ा गुल खिलाने की तैयारी
अब सहनी उत्तर प्रदेश की सियासत में बड़ा गुल खिलाने की तैयारी में जुटे हैं। जानकारों का कहना है कि यूपी की करीब 150 विधानसभा सीटों पर निषाद और उनकी अन्य उपजातियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की स्थिति में है। 70 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां निषाद समुदाय की आबादी 75,000 से ज्यादा है। ऐसे में सहनी यूपी में करीब 150 विधानसभा सीटों पर अपनी पार्टी के प्रत्याशी उतारने की तैयारी में जुटे हुए हैं।
सहनी के चुनाव मैदान में उतरने से वीआईपी और निषाद पार्टी के बीच निषाद वोट बैंक को लेकर बड़ा सियासी संघर्ष होना तय माना जा रहा है। सहनी ने अभी से ही इस वोट बैंक पर कब्जा करने की लड़ाई शुरू कर दी है और देखने वाली बात यह होगी कि वे निषाद पार्टी और अन्य सियासी दलों को चुनौती देने में कहां तक सफल साबित होते हैं।
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