करिश्माः मुलायम के साथ पला बढ़ा पीपल, नेताजी की अंत्येष्टि के समय मर गया
Mulayam Singh Yadav Death: मुलायम सिंह यादव की अंत्येष्टि के दौरान 100 साल पुराना पीपल का पेड़ धराशायी हो गया।
Mulayam Singh Yadav Passed Away: भारतीय शास्त्रों में पेड़ पौधों को इंसानों की तरह देखा गया है। वह बोलते भी हैं उनको दर्द भी होता है। आधुनिक साइंस भी इस बात को मानती है कि पेड़ पौधों में जान होती है। इसका ताजा उदाहरण उस समय देखने को मिला जब मुलायम सिंह यादव के निधन (Mulayam Singh Yadav Passed Away) के बाद उनकी मौत के गम में डूबा 100 साल पुराना पीपल का पेड़ धराशायी हो गया। जिस पेड़ की छांव से मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav Passed Away) का गहरा लगाव था और ऐसा लगता है कि पीपल का भी उनसे गहरा नाता था। सैफई में पेड़ का गिरना भले ही एक संयोग हो लेकिन ग्रामीण इसे नेताजी से जोड़कर देख रहे हैं। जब मुलायम सिंह यादव की अंत्येष्टि हो रही थी उसी समय ये पेड़ भी धराशायी हो गया।
100 साल पुराना था पीपल का पेड़
आपको बता दें कि सैफई गांव में पैरामेडिकल महाविद्यालय के पास ये करीब 100 साल पुराना पीपल का पेड़ था। जहां मुलायम सिंह यादव व उनके परिवार के लोग पूजा करने आते थे। मुलायम सिंह यादव इस पेड़ के नीचे तमाम बार बैठे। ग्रामीणों की मानें तो मुलायम सिंह ये इस पेड़ की उम्र एक आध दशक ज्यादा थी। उनके बचपन में ये पेड़ ज्यादा बड़ा नहीं था। जैसे जैसे मुलायम बड़े हुए ये पेड़ भी धीरे-धीरे बड़ा और घना होता गया। कह सकते हैं कि पेड़ मुलायम सिंह के साथ बड़ा हुआ और बचपन का साथी रहा। कहा जाता है पेड़ में जीवन होता है और शायद नेताजी की मौत का गम पेड़ भी बर्दाश्त नहीं कर पाया।
नेताजी की अंत्येष्टि स्थल पर धराशायी हुआ पीपल का पेड़
मंगलवार की दोपहर नेताजी का पार्थिव शरीर सैफई महोत्सव पंडाल से अंत्येष्टि स्थल की तरफ लाया गया तभी पीपल का पेड़ भी अचानक धराशायी हो गया। इस दौरान न तो तेज हवा थी और न ही आंधी या तूफान आया। पेड़ का गिरना भले ही एक संयोग मात्र हो लेकिन गांव में चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है।
सौ साल पुराने पेड़ के पास स्थित मंदिर के पुजारी कहते हैं मुलायम सिंह यादव अक्सर घर से बिना किसी सुरक्षा के मंदिर आकर पूजा करते थे और पीपल के पेड़ की छांव में बैठा करते थे। यहां बैठकर वह मन की शांति महसूस करते थे और काफी लगाव रखते थे। यह मजबूत पेड़ अचानक जड़ से उखड़कर गिर गया है। अंत्येष्टि के समय पेड़ का गिरना, कहीं न कहीं नेताजी के प्रति लगाव की ओर इशारा करता है।