मुलायम का सपना बना कोरोना काल में रक्षक, बचा रहा है लोगों की जान

मुलायम सिंह यादव के द्वारा स्थापित की गई मेडिकल यूनिवर्सिटी कोरोना महामारी के इस दौर में महत्वपूर्ण रोल प्ले कर रहा है।

Written By :  Sandeep Mishra
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update:2021-05-25 10:08 IST

सैफई का रूरल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स)  (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

इटावा। देश के पूर्व रक्षा मंत्री व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के द्वारा अपने पैतृक गांव सैफई में स्थापित की गई मेडिकल यूनिवर्सिटी आज कोरोना महामारी के इस दौर में अपना महत्वपूर्ण रोल प्ले कर रहा है। कोरोना की पहली लहर में 1110 और दूसरी लहर में 756 कोरोना संक्रमित इस विश्वविद्यालय में उपचार के बाद स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं। तीसरी लहर से लड़ने की तैयारी में यूनिवर्सिटी प्रशासन 100 बेड वाले ​बच्चों के इंटेसिव केयर यूनिट का विस्तार कर रहा है।

देश के दिग्गज समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव का एक सपना था कि वे सैफ़ई जैसे पिछड़े गाँव में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस सरकारी चिकित्सा संस्थान खोलेंगे। उन्होंने अपने इस सपने को वर्ष 2005 में मूर्त रूप दिया। तब वे उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के पद पर आसीन थे। मुख्यमंत्री के तौर पर मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 2005 में रूरल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) के नाम से इस संस्था को स्थापित किया। इस चिकित्सा संस्थान को अपने पैतृक गांव सैफई में स्थापित करने के पीछे मुलायम सिंह यादव का यही मन्तव्य था कि अति पिछड़े इटावा, एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद व कन्नौज जनपदों के मरीजों को गम्भीर से गम्भीर बीमारियों के लिये आगरा, कानपुर व मध्यप्र देश—ग्वालियर के मंहगे प्राइवेट अस्पतालों में न जाना पड़े। इस रिम्स के पहले निदेशक के रूप में ब्रिगेडियर टी. प्रभाकर की तैनाती की गई थी। माना जाता है कि टी. प्रभाकर मुलायम सिंह यादव के खास लोगों में अपना स्थान रखते थे।

रिम्स सैफई में स्वास्थ्य सुविधाओं का उद्घाटन करते पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव

रिम्स ऐसे बना मेडिकल विश्वविद्यालय

इटावा के सैफ़ई स्थित रूरल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) को वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक 2015 को मंजूरी दी थी। इसके साथ ही सैफ़ई रिम्स, प्रदेश का दूसरा चिकित्सा विश्वविद्यालय बन गया। सैफ़ई रिम्स को विश्वविद्यालय में तब्दील करवाने में सूबे के तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव व तत्कालीन कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव को काफी मेहनत करनी पड़ी थी। सूबे की तत्कालीन अखिलेश सरकार ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के गांव सैफ़ई स्थित रिम्स को विश्वविद्यालय बनाने का विधेयक वर्ष 2016 में विधानमंडल के दोनों सदनों में पास करवा लिया था, लेकिन जब इस विधेयक को मंजूरी के लिये राजभवन भेजा गया था, तब तत्कालीन राज्यपाल ने इसे रोक रखा था।

सूत्र बताते हैं कि राज्यपाल को इस विधेयक को पास करने में महज यह आपत्ति थी कि कुलाधिपति के पद पर मुख्यमंत्री को नामित न किया जाय। उस समय राजभवन ने अपनी आपत्ति पर यह तर्क दिया था कि सभी सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति राज्यपाल ही होते हैं। राजभवन को लग रहा था कि मुख्यमंत्री के नामित होने से विश्वविद्यालय की स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है। इन सबके बावजूद राजभवन ने इस विधेयक को वापस नहीं किया था, लेकिन अपनी मंजूरी भी नही दी थी, जिस कारण यह विधेयक काफी समय तक अटका पड़ा रहा। बताते हैं कि तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने राजभवन को अपने तर्कों से संतुष्ट किया तब राज्यपाल ने रिम्स को उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय बनाने की मंजूरी दे दी।

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ मुलायम सिंह यादव सैफई में आयोजित एक कार्यक्रम में

आज इस विश्वविद्यालय में 850 बिस्तर वाला मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल, ट्रॉमा एवं बर्न सेंटर भी कार्यरत है। इसके अतिरिक्त 650 करोड़ रुपये के बजट के साथ एक 500 बिस्तरों वाले सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल भी है। इस मेडिकल यूनिवर्सिटी के अस्पताल में प्रतिदिन 100 से अधिक मरीज भर्ती किये जाते है।

सैफ़ई मेडिकल यूनिवर्सिटी को पिछले माह शासन से 5 करोड़ 75 लाख रुपये का बजट दिया गया है, जिसमें 50 लाख रुपये दवा, 1 करोड़ 25 लाख रुपये पीपीई किट और 4 करोड़ टेस्ट किट के लिये दिए गए हैं।

विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी उमा शंकर ने बताया कि इस समय विश्वविद्यालय में सीनियर डॉक्टर 127, जूनियर रेजीडेंट डॉक्टर 300, नर्सिंग स्टाफ 540, वार्ड बॉय 175 व सफाई कर्मी 400 कार्यरत हैं। जबकि विश्वविद्यालय के एमएस डॉ. अनिल कुमार का कहना है कि इस समय विश्वविद्यालय में मरीजों के ठीक होकर डिस्चार्ज का आंकड़ा बढ़ा है।

विवादों से पुराना नाता है मेडिकल यूनिवर्सिटी का

सैफ़ई की इस मेडिकल यूनिवर्सिटी का विवादों से पुराना नाता रहा है। जब इस विश्वविद्यालय के कुलपति बिग्रेडियर टी. प्रभाकर थे तब भी यह विश्वविद्यालय, अपने बजट के घोटालों व जूनियर डॉक्टरों के शोषण व साफ—सफाई व्यवस्था को लेकर हमेशा विवादों में रहा है। जब सूबे में योगी सरकार ने सत्ता की कमान संभाली, तब सीएम योगी ने कुछ शिकायतों को आधार बनाते हुए टी. प्र​भाकर को कुलपति के पद से हटा दिया। उसके बाद भाजपा सरकार में इस विश्वविद्यालय की कमान कुलपति डॉ. राजकुमार को दी गयी लेकिन डॉ. राजकुमार भी बतौर कुलपति विवादित होते रहे।

कोरोना महामारी के दौर में प्रसपा अध्यक्ष व क्षेत्रीय विधायक शिवपाल सिंह यादव ने सीएम योगी को एक पत्र लिखकर तत्कालीन कुलपति डॉ. राजकुमार की जारी अनियमितताओं व बन्द पड़े ऑक्सीजन प्लान्ट के बारे में अवगत कराया। शिवपाल सिंह यादव के इस शिकायती पत्र पर सूबे के सीएम ने गंभीरता से लेते हुए इटावा के प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप शाही को विश्वविद्यालय को गोपनीय जांच करने के लिये भेजा। उसके बाद कुलपति राजकुमार को भी सीएम योगी ने छुट्टी दे दी।


अब विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति के रूप में डॉ. रमाकांत यादव तैनात हैं। इस विश्विद्यालय में दवाओं की कमी, बेड की कमी, अस्पताल में समय से साफ सफाई न रहने की शिकायतें हमेशा से रही है। मुलायम सिंह यादव के पैतृक गांव सैफ़ई के ग्राम प्रधान रामफल बाल्मीकि बताते हैं कि भाजपा सरकार में इस विश्वविद्यालय का बजट कम कर दिया गया है। इसलिये इस विश्वविद्यालय के कई काम अधूरे पड़े हैं। दवाओं की कमी बनी रहती है। गरीब मरीजों को कई दवाएं विश्वविद्यालय कैंपस के बाहर बने प्राइवेट मेडीकल स्टोरों से खरीदनी पड़ती है। प्रधान रामफल बाल्मीकि ने सीएम योगी से मांग की है कि इस विश्वविद्यालय के बजट को बढ़ायें। जबकि विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति डॉ. रामाकांत यादव ने बताया कि उनके विश्वविद्यालय में न तो दवाओं की कमी है और न मरीजों के लिए बिस्तरों की कमी।

आइए, अब एक नजर डालते हैं कि सैफ़ई के इस मेडिकल विश्वविद्यालय में कोरोना मरीजों क्या आंकड़ा है? विश्वविद्यालय से जारी आंकड़ों के अनुसार, कोविड की प्रथम लहर अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक यहां कुल भर्ती मरीजों की संख्या 1388 बतायी गयी है, जिसमें उपचारोपरांत कुल 1110 मरीज डिस्चार्ज किये गए हैं। इसी तरह से कोरोना की दूसरी लहर अप्रैल, 2021 से वर्तमान समय तक कुल 756 मरीज भर्ती किये गए, जिसमें उपचारोपरांत 445 मरीज डिस्चार्ज किये गए। गत 21.5.2021 तक इस मेडिकल विश्वविद्यालय में भर्ती मरीजों की कुल संख्या 82 बतायी गयी है।

विश्वविद्यालय से दी गयी जानकारी के अनुसार वर्तमान में प्रतिदिन 2500 से 3000 मरीजों के कोरोना टेस्ट किये जा रहे हैं। जबकि इस विश्वविद्यालय की लैब में आवश्यकता होने पर प्रतिदिन 5000 मरीजों के कोरोना टेस्ट किये जा सकते हैं। मिली जानकारी के अनुसार इस मेडिकल विश्वविद्यालय में अब तक 6 लाख 25 हजार टेस्ट किये जा चुके हैं। इसमे 1.8 लाख सेम्पल पॉजिटिव रहे हैं। इस प्रकार कुल पॉजिटिव टेस्ट का प्रतिशत 24 प्रतिशत रहा है। कोरोना महामारी के इस दौर में मेडिकल विश्वविद्यालय में वैक्सीनेशन की स्थिति पर नजर डालें तो अब तक यहां कुल 7 हजार 9 सौ 45 लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है।


प्रथम डोज में 4 हजार 5 सौ 48, दूसरी डोज में 3 हजार 3 सौ 99 लोगों का वैक्सीनेशन किया गया है। साथ ही विश्वविद्यालय के लगभग 95 प्रतिशत हेल्थ वर्कर्स व मेडिकल छात्र छत्राओं के वैक्सीन लगाई जा चुकी है। कोरोना महामारी को लेकर विश्वविद्यालय का प्रशासन व चिकित्सीय स्टाफ बेहद गम्भीर है, जिसके चलते कोरोना की दूसरी लहर की टेस्ट पाजिटिविटी का अधिकतम रेट 30 प्रतिशत तक पहुंच गया था, लेकिन अब वह घटकर तीन व चार प्रतिशत ही रह गया है। इटावा के सैफ़ई स्थित इस मेडिकल विश्वविद्यालय में वेंटिलेटर कुल 191 उपलब्ध हैं। एचईएनसी 40 व बीआईपीएपी 35 उपलब्ध हैं। विगत वर्ष 2019 तक इस विश्विद्यालय में एमआरआई स्कैन 3751, सीटी स्कैन 14055, अल्ट्रासाउंड 51754, एक्स-रे 108918, बायो केमेस्ट्री लैब टेस्टिंग 899733, माइक्रोवायोलॉजी लैब टेस्टिंग 165943 व पैथोलॉजी लैब टेस्टिंग 623706 की जा चुकी है। इसी तरह इस मेडिकल विश्विद्यालय में विगत वर्ष 2019 तक कुल ओपीडी 813469, आईपीडी 71996, ऑपरेशन 48302, सुपर स्पेशलिटी ओपीडी 83560, सुपर स्पेशलिटी आईपीडी 6016, ऑपरेशन 2497 व कुल 9352 मरीजों के डायलिसिस किये गये हैं।

इटावा जिले के सैफ़ई में स्थित यह मेडिकल विश्वविद्यालय कोविड की तीसरी लहर का सामना करने के लिए अपनी पूरी तैयारी कर रहा है। यहां के कार्यवाहक कुलपति डॉ. रमाकांत यादव बताते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के अधिक प्रभावित होने की संभावना है। शासन के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय में स्थापित 30 बेड के पीडियाट्रिक्स आईसीयू को भविष्य में बढ़ाकर 100 बेड का किया जाएगा। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय परिसर में 50 ऑक्सीजनयुक्त बेड की स्थापना किये जाने का कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है। कुल मिलाकर दिग्गज समजवादी नेता व देश के पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव के सपने ने मूर्त रूप लेकर इस कोरोना महामारी काल में, इस अति पिछड़े इलाके के लोगों के लिये संजीवनी बन गया है।

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