राष्ट्रीय मानव अधिकार का मुख्य सचिव को आदेश, विमुक्त जनजातियों को जाति प्रमाण पत्र करें जारी
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुये मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि 8 सितंबर 2022 तक प्रदेश की समस्त विमुक्त जनजातियों को विमुक्त जाति के प्रमाण पत्र जारी करें।
Lucknow: उत्तर प्रदेश शासन (Government of Uttar Pradesh) की उदासीनता व संवेदनहीनता के कारण उत्तर प्रदेश की विमुक्त जनजातियां शिक्षा के अधिकार तथा राज्य व केंद्र सरकार द्वारा सर्वाधिक वंचित समुदायों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे हैं।
राज्य सरकार की हठधर्मी का यह आलम है कि केंद्र सरकार (Central Government) के निर्देशों एवं राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Commission) के आदेश के बावजूद विमुक्त जातियों को या तो जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किये जा रहे हैं या उन पर क्षेत्र प्रतिबंध लगा दिया गया है।
प्रत्येक जनपद में विमुक्त जाति के प्रमाण पत्र जारी करने के दिए आदेश
उत्तर प्रदेश शासन राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Commission) को बार-बार गुमराह कर रहा है। इससे नाराज आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुये मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव समाज कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश (chief Secretary Social Welfare Department Uttar Pradesh) को स्पष्ट रूप से आदेश दिया है कि आगामी 8 सितंबर 2022 तक प्रदेश की समस्त विमुक्त जनजातियों को बिना किसी क्षेत्र प्रतिबंध के प्रत्येक जनपद में विमुक्त जाति के प्रमाण पत्र जारी करें अन्यथा 9 सितंबर को आयोग के समक्ष उपस्थित हों। यह आदेश आयोग ने मोहित तंवर, डॉ बीके लोधी एवं डॉ पंचम राजभर की संयुक्त पिटीशन पर पारित किया है।