Navratri 2022: मां कुष्मांडा को चढ़ी 101 कुम्हड़े की बलि, दर्शन-पूजन का सिलसिला जारी

Navratri 2022: माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है।

Report :  Jyotsna Singh
Update: 2022-09-30 06:18 GMT

मां कुष्मांडा (photo: social media ) 

Navratri 2022: नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा स्वरूप की पूजन की गयी । वहीं मंदिर प्रांगड़ में मां के भक्तों द्वारा 101 कुम्हाडों की बलि देकर व धूप, दीप, आरती से मां भगवती को प्रसन्न किया गया । साथ ही धरती लोक पर संपन्नता और शांति की प्रार्थना की गई। मां पूर्वी देवी एवं महाकालेश्वर मॉटर बाबरी सिद्धपीठ में माता को पीले और हरे रंग का वस्त्र पहनाया गया। मदन को गुलाब व सफेद फूलों व कुम्हड़े से सजाया । पराग ने कहा कि मां को 101 कुम्हड़े की बलि चढ़ाई गई।

नंदना बीकेटी स्थित

इक्यावन शक्तितीर्थ धाम में आशीष सेवा यज्ञ न्यास की अध्यक्ष तृप्ति तिवारी के नेतृत्व में पिंडी पूजन धनंजय पांडेय व गीता ने किया। माता का दरबारी से शृंगार किया गया। माता का भवन व पूरा शक्तिपीठ रंग में सजाया गया। शाम को भजन संध्या में गीता, पुष्पा ने एक भजन "फूलों से भरा दरबार मैया जी को प्यारा लगे... से मां की आराधना की। शहर के अन्य प्रमुख मंदिरों में भी दर्शन-पूजन का सिलसिला जारी है।

माँ  कुष्मांडा की महिमा एवम महत्व

माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। माँ कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। यदि मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाए तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है।

विधि-विधान से माँ के भक्ति मार्ग पर कुछ ही कदम आगे बढ़ने पर भक्त साधक को उनकी कृपा का सूक्ष्म अनुभव होने लगता है। यह दुःख स्वरूप संसार उसके लिए अत्यंत सुखद और सुगम बन जाता है। माँ की उपासना मनुष्य को सहज भाव से भवसागर से पार उतारने के लिए सर्वाधिक सुगम और श्रेयस्कर मार्ग है।

माँ कूष्माण्डा की उपासना मनुष्य को आधियों-व्याधियों से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है । अतः अपनी लौकिक, पारलौकिक उन्नति चाहने वालों को इनकी उपासना में सदैव तत्पर रहना चाहिए।

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