Noida News: आखिर कब ध्वस्त होंगे सुपरटेक को दोनों टावर, 30 नवंबर तक दोनों टावरों को किया जाना था ध्वस्त

Noida News: 88 दिन में भी सुपरटेक एक भी कंपनी का चयन नहीं कर सकी और न ही प्राधिकरण में कार्ययोजना का प्रस्तुतीकरण कर सकी।

Report :  Deepankar Jain
Newstrack :  Divyanshu Rao
Update:2021-11-28 22:49 IST

सुपरटेक टॉवर (फोटो- सोशल मीडिया)

Noida News: सुपरटेक एमराल्ड (supertech emerald court twin towers noida) के दोनों टावरों को ध्वस्त करने की सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के निर्देश की अवधि एक दिन बची है। कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं किया जा सका। अब प्राधिकरण 3० नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करेगी। इसके लिए नोटिंग बनाई जा रही है। 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि 30 नवंबर तक दोनो टावर (सियान और एपेक्स) को ध्वस्त किया जाए। टावर प्राधिकरण की निगरानी में सुपरटेक को ध्वस्त करने थ्ो। सीबीआरआई इसमे सलाहकार के रुप में थी।

88 दिन में भी सुपरटेक एक भी कंपनी का चयन नहीं कर सकी और न ही प्राधिकरण में कार्ययोजना का प्रस्तुतीकरण कर सकी। इसको लेकर प्राधिकरण ने कई बार सुपरटेक के साथ बैठक की और नोटिस जारी कर कार्ययोजना प्रस्तुत करने के लिए कहा। दरअसल, सुपरटेक के दोनों टावरों में 95० से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे। 32 फ्लोर का कंस्ट्रक्शन पूरा हो चुका था। जब एमराल्ड कोर्ट हाउजिग सोसायटी के बाशिदों की याचिका पर टावर ढहाने का आदेश 2०14 में आया, तब 633 लोगों ने इसमें फ्लैट बुक कराए थे। जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं, 133 दूसरे प्रोजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को दोनों टावरों को गिराने के निर्देश दिए। इसके लिए सुपरटेक को 9० दिनों का समय दिया गया।

एसआईटी की जांच में 30 दोषी

सितंबर के पहले सह में मुख्यमंत्री के निर्देश पर आर सदस्य स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम का गठन किया गया। इस टीम का अध्यक्ष संजीव मित्तल (अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त) बनाया गया। इसके अलावा मनोज कुमार सिह (अपर मुख्य सचिव ग्राम विकास एवं पंचायती राज विभाग), राजीव सब्बरवाल (अपर पुलिस महानिदेशक) और अनूप कुमार श्रीवास्तव (मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक रहे। जांच के बाद आईएएस समेत 26 अधिकारी व कर्मचारियों की संलिप्तता एमराल्ड मामले में पाई गई। इन पर कार्यवाही के लिए प्राधिकरण नियोजन विभाग की ओर से विजिलेंस लखनऊ में एक मुकदमा दायर किया गया। साथ ही शासन की ओर से वर्तमान में कार्य कर रहे नियोजन विभाग के तीन कर्मचारियों को निलंबित किया गया।

88 दिन में भी कार्ययोजना का प्रस्तुतीकरण नहीं

सुपरटेक को निर्देश था कि वह कंपनी का चयन कर दोनों टावरों को ध्वस्त करे। इसके लिए कई विदेशी कंपनियां आई लेकिन सभी ने अतिरिक्त समय की मांग की। प्राधिकरण में कई बार कार्ययोजना को प्रस्तुतीकरण किया गया। लेकिन हर बार आधी तैयारी रही। इसको लेकर प्राधिकरण ने कई बार सुपरटेक को नोटिस जारी किए। अभी भी प्रस्तुतीकरण कब होगा उसका कोई भी नियत समय तय नहीं है।

सुपरटेक टॉवर की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

इस समयावधि में क्या हुआ खास

तीन माह के समस के दौरान जांच एजेंसियां सक्रिस रही। प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने सुपरटेक के कई ठिकानों पर छापेमारी की और सुपरटेक के निदेशक आर के अरोड़ा से भी पूछताछ की। साथ अब लुक आउट नोटिस देने की तैयारी की जा रही है।

-एसआईटी की जांच में दोनों टावरों का ड्रोन सर्वे कराया गया। इस सर्वे की एक कॉपी भी सीबीआरआई को दी गई ताकि इमारत को ध्वस्त करने में मदद मिल सके।

-एसआईटी के निर्देश पर प्राधिकरण ने ग्रीन बेल्ट की 7०००० वर्गमीटर जमीन पर अपना कब्जा लिया इस जमीन सुपरटेक ने अपना कब्जा जमा रखा था। इसको जमीन पर किए गए पक्के कंस्ट्रक्शन को भी प्राधिकरण ने हटाया।

-प्राधिकरण ने एसआईटी की जांच में दोषी पाए गए सभी 3० लोगों को खिलाफ सीजीएम कोर्ट में अभियोजन चलाने के लिए वाद दायर किया।

-सुपरटेक ने दोनों टावरों में टावर-16 को नहीं गिराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र दिया। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।

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