दीपांकर जैन
नोएडा: आरुषि की मौत का शोक मनाने तक का समय तक नहीं मिला। एक मां-बाप को अपने आप को बेकसूर साबित करने में 9 साल का लंबा समय लग गया। 9 साल से एक भी त्योहार नहीं मनाया। आलम कभी खुशी कभी गम का है। लेकिन इस बार परिवार के साथ दीपावली का सेलीब्रेशन किया जाएगा। दिए भी जलाए जाएंगे रिश्तेदारों को भी बुलाया जाएगा। बस, कमी आरुषि की रहेगी। जलाए जाने वाले दीपकों की चमक ही हमारे दिलों में आरुषि की आहट को हमेशा जगाए रहेगी। बर्शेते अब तक कानून के हाथों से आरुषि के कातिल दूर हैं इसका गम हमें सताता रहेगा।
ये बातें, आरुषि तलवार के नाना और रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन बीडी चिटनस ने newstrack.com से विशेष बातचीत में कही।
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सवाल: क्या जेल से आने के बाद नुपुर व राजेश नोएडा में रहेंगे या कहीं और?
बीडी चिटनस: इतने संघर्ष के बाद शायद ही आरुषि के माता-पिता दोबारा नोएडा आना चाहेंगे। वो यहां नहीं आएंगे। दिल्ली में ही हौज खास स्थित मकान में अपने भाई के साथ रहेंगे। जेल में इतना लंबा समय सिर्फ आरुषि आरूषि की याद में बिता देना अपने आप में ही एक संघर्ष है। अपने गम को किताबों और कविताओं में लिखना। ऐसा दुख का पहाड़ शायद ही किसी मां-बाप को मिला हो। न्यायपालिका पर शुरुआत से भरोसा रहा। जिसका परिणाम अब सामने आया। हाइकोर्ट का फैसले का शुक्रिया।
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सवाल: आरुषि का कातिल कौन है, उसे कब सजा मिलेगी?
बीडी चिटनस: यह सवाल सुनते ही आरुषि के नाना भावुक हो गए। उन्होंने कहा, कि जांच एजेंसियों की सुई सिर्फ नुपुर और राजेश पर ही टिकी रही। लेकिन असली कातिल कौन है। इसके बारे में अब भी किसी को नहीं पता। 'हू किल्ड आरुषि'! यह जानना और उसका पकड़ा जाना बेहद जरूरी है। जब तक उसका कातिल पकड़ा नहीं जाता आरुषि का इंसाफ अधूरा ही रहेगा।
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सवाल: नौ सालों तक जांच एजेंसियों व पुलिस ने नूपुर और राजेश को ही दोषी माना। कोई लीगल एक्शन नहीं लेंगे?
बीडी चिटनस: नोएडा पुलिस व सीबीआई की दोनों ही टीमों ने नूपुर और राजेश तलवार को दोषी माना था। देखिए, आरुषि की मौत के बाद उसका शोक मनाने तक का समय नहीं मिला। इंवेस्टिगेशन, जांच एजेंसियों, मीडिया ने इस तरह से उलझाया कि अब हम चैन से रहना चाहते हैं। हमारा कोई लीगल राइट भी नहीं बनता, कि कोई एक्शन लिया जाए। फिलहाल पहले हमारे बच्चे वापस आ जाएं, इसके बाद ही कुछ सोचा जाएगा।
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सवाल: एक बेटी गई, एक वापस आ गई। क्या सोच रहे हैं आप?
बीडी चिटनस: आरुषि की मौत के बाद मेरी बेटी और दामाद को दोषी माना गया। ऐसा लगा मानो मेरा पूरा परिवार ही खत्म हो गया। लेकिन अब एक बेटी वापस आ रही है। आरुषि की कमी को तो पूरा नहीं किया जा सकता। लेकिन परिवार का प्रयास रहेगा कि नूपुर व राजेश को कभी इस बात की कमी महसूस न होने दी जाए।
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सवाल: नोएडा के मकान से आरुषि की यादें जुड़ी हैं, उसका क्या?
बीडी चिटनस: जिस मकान में आरुषि की हत्या हुई वह मकान किराएदारों को दिया गया है। वहां लौटने का मतलब नहीं बनता। मकान बेचा जाए या नहीं। इस पर अभी फैसला लेना जल्दबाजी होगी।