यूपी में अखिलेश की परेशानी बढ़ाएंगे नीतीश, छेड़ेंगे शराबबंदी की मुहिम

Update: 2016-05-07 12:45 GMT

लखनऊ: शराबबंदी के बहाने नीतीश कुमार की सियासत यूपी में अखिलेश यादव की परेशानी बढ़ा सकती है। बिहार में शराबबंदी के बाद अब जेडीयू ने यह मुहिम देश भर में छेड़ने का फैसला किया है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार यूपी में इसकी शुरुआत 12 मई को बनारस के पिंडरा कस्बे से करेंगे। जेडीयू का दावा है कि उनकी मुहिम किसानों और महिला संगठनों की मांग पर शुरू हुई है।

शराबबंदी की सियासत?

-यूपी में नीतीश कुमार 12 मई को बनारस के पिंडरा कस्बे में कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान शराबबंदी का बिगुल फूंकेंगे।

-बनारस के बाद 15 मई को लखनऊ के रविन्द्रालय में महिला संगठन के प्रोग्राम में शामिल होंगे।

-चुनाव से पहले शराबबंदी का यह अभियान यूपी में सीएम अखिलेश के लिए सिरदर्द बन सकता है।

प्रतीकात्मक फोटो

पेशबंदी शुरू

-जेडीयू लीडर केसी त्यागी ने लखनऊ पहुंच कर इसकी पेशबंदी शुरू कर दी है।

-त्यागी ने कहा कि शराबबंदी की मुहिम के लिए नीतीश को महिला संगठनों ने बुलाया है और किसान मंच उनके साथ है।

-यूपी में शराबबंदी का समर्थन करते हुए जेडीयू लीडर ने कहा कि एसपी लीडर मुलायम सिंह खुद शराब नहीं पीते।

-त्यागी ने कहा किसान औसतन 3 हजार रुपये महीने कमाता है। इसमें 100 रुपये रोज की दारू का आर्थिक असंतुलन स्वीकार नहीं किया जा सकता।

-हालांकि, शराबबंदी से 5000 करोड़ तक के रेवेन्यू का नुकसान होगा लेकिन 70 से 75 हजार करोड़ रूपये की बचत भी है।

-नकली शराब के कारोबारी के लिए फांसी की सजा होनी चाहिए। बिहार में इसका इंतजाम है।

जेडीयू नेता केसी त्यागी (फाइल फोटो)

राष्ट्रीय है मुहिम

-नीतीश को नागपुर से सटे गांधी जी के आश्रम और भोपाल से भी इनविटेशन मिला है।

-उड़ीसा के कटक से भी शराबबंदी मुहिम से जुड़े महिला संगठनों ने नीतीश को बुलावा भेजा है।

-गुजरात के राजकोट से भी एक संगठन ने नीतीश को इनवाइट किया है।

-वैसे शराबबंदी की यह मुहिम यूपी से पहले झारखंड के धनबाद से 10 मई को शुरू हो रही है।

केसी त्यागी ने यह भी कहा

-सपा और बसपा से वैचारिक समानता है लेकिन दोनों दल घोषणा कर चुके हैं और उनके साथ तालमेल की बात बेमानी है।

-बिहार में गठबंधन की पार्टियां सम्मेलन के बाद तय करेंगी कि यूपी में कितनी सीटों पर लड़ सकती हैं।

-2017 में बिहार की तर्ज पर यूपी में बीजेपी को रोकना होगा। अलग अलग बीजेपी का मुकाबला मुश्किल।

-बिहार की तर्ज पर गठबंधन बनाकर लड़ते तो लोकसभा में भी बीजेपी को बहुमत नहीं मिलता।

-लोकसभा चुनाव में बीजेपी को लेकर एसपी-बीएसपी का आकलन गलत था।

-किसी मंच से नहीं कहा कि नीतीश पीएम पद के उम्मीदवार हैं।

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