Jhansi News: पूंछ क़स्बे की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमराई, सालों से नहीं है डॉक्टर
Jhansi News: पूंछ कस्बे में स्थित नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कई वर्षों से डॉक्टरों की तैनाती न होने से मरीज़ बेहाल हैं। मात्र दो फार्मासिस्टों के भरोसे उक्त अस्पताल चल रहा है।
Jhansi News: पूंछ कस्बे में स्थित नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कई वर्षों से डॉक्टरों की तैनाती न होने से मरीज़ बेहाल हैं। मात्र दो फार्मासिस्टों के भरोसे उक्त अस्पताल चल रहा है। कस्बे में एकदम रेलवे लाइन के पास बने नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (new primary health center) में स्टाफ के नाम पर दो फार्मासिस्ट एक वार्ड बॉय एक चौकीदार सहित चार लोगों का स्टाफ है।
अस्पताल में दवाएं हैं पलंग भी हैं पंखे भी लगे हैं, लेकिन ना तो डॉक्टर है ना ही बिजली का कनेक्शन है। शासन की तरफ से चलाई जा रही कायाकल्प योजना के तहत अस्पताल चमकने भी लगा है, परन्तु मुख्य रूप से डॉक्टर बिजली और पानी का आभाव है। इन महत्वपूर्ण चीजों की कमी के कारण अस्पताल स्वयं में बीमार नज़र आता है।
पेयजल के नाम पर कैम्पस में मात्र एक हैंडपम्प
पेयजल के नाम पर कैम्पस में मात्र एक हैंडपम्प लगा है जिसमें पड़ी समरसेबिल विद्युत आभाव के कारण पानी नहीं सप्लाई कर पाती है, जबकि पानी की पाइप लाइन की फिटिंग बगैरह सब दुरुस्त है, मज़ेदार बात यह है की अस्पताल के कैम्पस में ही विद्युत पोल खड़ा है परन्तु जो लाइन आयी है उसको मुख्य लाइन से नहीं जोड़ा गया है।
मुख्यमंत्री आरोग्य मेला
अस्पताल में हज़ारों लीटर की एक पानी की टंकी भी रखी है जो सिर्फ दिखावे के लिए है क्योंकि उसमें पानी भरने के विद्युत आभाव है। शासन द्वारा लगने वाले प्रत्येक रविवार को मुख्यमंत्री आरोग्य मेला में मरीज़ों की संख्या खासी रहती है और बाहर से अन्य बीमारियों से संबंधित डॉक्टर भी आते हैं, परन्तु मूल भूत जरूरतों का अस्पताल में अभाव भी है।
मातृ शिशु परिवार कल्याण उप स्वास्थ्य केंद्र द्वितीय हमेशा बंद पड़ा
इसी तरह कैम्पस में भी बने मातृ शिशु परिवार कल्याण (maternal child family welfare) उप स्वास्थ्य केंद्र द्वितीय हमेशा बंद पड़ा रहता है, जबकि उसमें नर्स आशा बहू की तैनाती तो है परंतु बाहर से रंग रोशन हुए उक्त मातृ शिशु केंद्र अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है, क्योंकि यह हमेशा ठप पड़ा रहता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी झांसी से ग्रामीणों ने मांग की है कि उक्त दोनों स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों की तैनाती की जाए, जिससे मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में ना जाना पड़े एवं शासन की मंशा के अनुसार मरीजों को उचित इलाज मिल सके।